Monday, June 6, 2016

समझ बिन होती हानी है !!!

                     समझ बिन होती हानी है!!! 
एक सेठ  की  शादी के बीस साल बाद एक लड़का हुआ । जाहिर सी  बात है की वो लड़का सेठ सेठानी को बहुत  ही प्यारा था। लड़का जो जो बड़ा होता गया  त्यों त्यों बिगड़ता गया, उसकी दोस्ती गलत लड़को से होती गई। और वह १५ साल  की उम्र तक आते आते पुरी तरह बिगड़ गया । एक दिन बनिया ने उसे  अपनी दुकान से आकर बहुत मारा,  स्टोर रूम मे बंद कर दिया। उसकी चाबी अपने पास रखी । पुरी एक रात और एक  दिन उसे नहीं खोला। उस दिन उस घर में खाना भी नहीं बना । दूसरे जब काफी रात हो गई तो सेठानी ने सेठ से पूछा  की आप मुझे ये बताओ की इतने दिनों में हमारे घर लड़का हुआ। इतनी भगवान से मन्नत मांगी इतनी पूजा पाठ किये तब ये हुआ । आप इसे प्यार भी बहुत करते हैं फिर आपने इसे इतनी बेदर्दी से क्युं मारा  ? और आपने इसे  मारने  के बाद प्यार से मनाया भी नहीं।  पूरी रात और पुरे दिन इसे खोला भी नही ।  आज १५ साल की उम्र में पहली बार ऐसा हुआ है की आप  इतनी बेरुखी से इसके सामने पेश आये हैं, और हमारा बेटा पहली बार एक रात और एक दिन भूखा रहा  है। ये बाते लड़का स्टोर रूम मे  सुन रहा था । सेठ बोला की मेरी बात ध्यान से सुन कल मेरी दुकान पर पुलिस वाला आया था, उससे मेरी पुरानी दोस्ती है, उसने मुझे बताया कि  हमारे  बेटे के दोस्तों का नाम किसी कत्ल मे आया है, और उन्होंने हमारे दुशमन के कहे में आकर हमारे बेटे का नाम भी लिया है, अब की बार तो उसने मेरी दोस्ती और अहसान के बदले मे हमारे बेटे को बचा लिया। लेकिन अगली बार वो उसे नहीं बचा पाएगा । अगर मैने इसे इतना ना मारा होता तो ये आज भी उन्ही के पास जाता और मेरे दुश्मन इसे जान बूझकर फांसी की सजा दिलाये  बिना नहीं रहते । में पथर नहीं हुं बहुत प्यार करता हुं लेकिन अपने जीते जी अपने बेटे को फांसी चढ़ता हुआ नही देख सकता। इसलिए मैने इसे मारा और अलग कमरे मे बंद कर दिया जिससे की किसी को भी ये पता ना चले की यह इसी शहर था । उधर जब लड़के ने ये बात सुनी तो उस का दिल पश्यताप से जलने लगा  क्यों कि उसने दौहरी गलती की थी, एक गलत दोस्तों से दोस्ती करके और दूसरी उसने अपने मन ही मन में अपने पिता को मारने की प्लानिंग करके । रात को जब उसकी माँ ने दरवाज खोला तो वो लड़का माँ से बोला की माँ मनसा पाप से कैसे बचा जाए ? माँ बोली बेटा मन को ही कष्ट देकर उसका पश्यताप करें । १४ साल की उम्र में उसकी शादी हो चुकी थी । उसकी सुसराल वाले गरीब थे उसने सोचा की में वही पर जाकर उनकी खेती करुगा इससे मेरा पश्यताप होगा और वह ये सोच कर कुछ दिन में ससुराल गया और वहां उनकी  सभालने लगा। एक दिन उसकी पत्नी रोटी लेकर आई और उससे बोली की हम अपने घर चलते हैं । वह लड़का बोला की  मुझसे मनसा पाप हुआ है इसलिए में १० साल तक  आपके यहां खेत में कार्य करुगा  तब अपने गांव जाऊगा ।  लड़की बोली मेरे माँ बाप का सब कुछ बिक चूका है पहले मेरी शादी मे अब हमारे खर्चो मे । तब लड़के ने पत्ते पर लिखा - सोच समझ कर कार्य करो, समझदारी जरूरी है, समझ बिन होती हानि है । ये पत्ता उसने लड़की को देकर कहा इसे किसी समझदार व्यक्ति के पास ले जाकर बेक दो । लड़की एक सेठानी  के घर गई सेठानी  ने जब पत्ते पर लिखा  ये श्लोक देखा तो उसने उसे खरीद कर एक तांबे की पतरी पर जड़वा कर गेट पर लगवा दिया । उस का पति कई सालो से विदेश गया हुआ था । जब वह गया तो उसका बेटा छोटा था  और अब वह बड़ा हो चुका था । पहले वैसे भी कई  कई  साल बाद घर आते थे । जब सेठ घर  आया उसने अपनी पत्नी के पास किसी आदमी को सोते पाया , उसे देखकर बनिया आग बबूला हो गया और उसने बंदूक निकल ली अपनी पत्नी और उस लड़के को मारने के लिए आगे बढ़ा तभी अचानक  उसकी निगाह उस पत्री पर पहुंची जिस पर लिखा था समझ बिन होती हानि है।  देखकर रुक गया इतनी ही देर मे सेठानी  की आँख खुल गई । जल्दी से उसने अपने बेटे को जगाया की बेटे उठ, तेरे पिताजी आये हैं ।   ऐसा सुनकर सेठ की आँखो में आंशु आ गए और बोला  की अगर इस पतरी पर मेरा ध्यान नही जाता तो आज अनहोनी हो जाती। आज में तुम दोनों को मार देता ।  

दोस्तों ये किसी के जीवन की हकीकत कहानी इससे आप क्या प्रेरणा लेते हो ?

ये कहानी हमे ये प्रेरणा देती है की चाहे जीवन मे कैसी भी परिस्थतियां हो बिना सोचे समझे कोई भी डिसीजन ना लें , और ना ही ऐसा कोई कार्य करें जिससे बाद में पछताना पड़े । कई बार हम गलत फहमी या भावुकता मे गलत डिसीजन ले लेते हैं। जिसकी सजा कई बार तो हमे उम्र भर भुगतनी पड़ता है । 


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