Thursday, June 30, 2016

ध्यान रहें लोगो का आप पर से विश्वास ना उठ जाएं !!!


   ध्यान रहें लोगो का आप पर से विश्वास ना उठ जाएं !!!                                             
                  

रिस्ते  तो आसानी से बन जाते हैं लेकिन विश्वास पात्र बनने मे सालों लग जाते  हैं । अगर सालों के बाद  भी एक बार  विश्वास टूट गया तो फिर  जीवन भर विश्वास नही कर पाते । कहते हैं  कि - 

 " माफ़ बार बार कर सकते हैं , मगर भरोसा बार बार नही कर  सकते " 


दो दोस्त हैं रविन्द्र और शिव । शिव को मार्किट जाने का घुमने का  शॉपिंग करने का बहुत शौक है । रविन्द्र  ये  सब पसंद नही करता ।  वह हमेशा आफ़िस मे घर मे व  अन्य कार्यों मे  व्यस्त रहता है। शिव की च्वाइस अच्छी है ,  वो  जो भी लाता रविंद्र  को दिखाता एक दो बार रविंद्र ने  उससे समान खरीद लिया । शिव  के मन में लालच आ गया और इससे  रविंद्र के सामने चापलूसी करने लगा, नया नया समान लाकर देने लगा रविंद्र  को भी जो समान पसंद आता उसे खरीद लेता । इससे शिव का लालच बढ़ने लगा ।  सही कहा है किसी ने -

" हमारा तजुर्बा हमको सीखाता है, जो मक्खन लगाता है , वही चुना लगाता है " 

जो भी समान रविंद्र को पसंद आता उसे शिव बढ़ा  चढ़ाकर बता कर रविंद्र  को दे देता।  रविंद्र  भी आंख बंद करके विश्वास करता था और शिव जितना   बोलता उतना ही वो दे देता । लेकिन लालच की कोई लिमिट नही होती वो बढ़ता ही जाता है । उसी तरह शिव का लालच  भी बढ़ता ही गया। धीरे धीरे  रविंद्र के सामने सच्चाई आने लगी । शुरू मे तो रविंद्र ने सच्चाई को अवॉइड किया लेकिन सच छिपता कहा है ? एक दिन तो  सच सबके सामने आना ही था। एक दिन  शिव एक घड़ी खरीद कर लाया और उसने उस घड़ी का रेट दुगना बताकर रविंद्र को दे दी । लेकिन किसी और ने रविंद्र  के सामने ऑरिजनल रसीद पहुंचा दी । रविंद्र के होश उड़ गए रसीद देखकर। और सोचने लगा की मै तो ये सोच कर चीज लेता था कि  इसे घूमने फिरने का शौक है तो मेरे लिए भी ले आता है और मै  ये सोच कर पैसे दे देता  हूं कि मै भी जाऊगा तो समय भी  लगेगा और थकावट भी होगी । अब वो बैस्ट फ्रेंड को  क्या कहे ? वो चुप ही रह गया । कहते है कि -  

" जब आदमी अंदर से टूट जाता है ,तो बाहर से खामोश हो जाता है " 


रविंद्र सोचने लगा की अगर मैने हकीकत बताई तो शिव मेरे सामने शर्मिंदा होगा ,  हमारे रिस्ते खराब हो जाएंगे।  और अगर इसे सबक नही सिखाया तो ये आगे भी मुझे या ओरो को चुना लगाएगा। रविंद्र ने तरकीब  सोची और शिव से किसी कम्पनी की एक  शर्ट मगवाई , और वो ही शर्ट खुद जाकर ले आया ।  शिव के आने पर पूछा की मेरी शर्ट ले आया ? शिव बोला हाँ  ! रविंद्र बोला दिखा ? देख कर  बोला कितने मे लाया है ?  शिव  बोला डिस्काउंट पर २५६० की है । बिल मेरे पर्श में पड़ा  है ले लेना । रविंद्र ने अपने पास से शर्ट निकाल कर दिखाई और बोला भाई तू रोज मार्किट जाता है इसी दुकान से खरीदता  और  फिर भी  दुकानदार तुझे चुना लगाता है। और आज में उधर निकल रहा था मैने सोचा कि तेरा समय लगेगा या नही मै ही  ये शर्ट ले चलु । ये ही शर्ट मैने उससे १५०० में खरीदी है।  चल उसे पनिसमेंट देते हैं। और उसकी ये शर्ट वापिस करके आते हैं । ये सुनकर शिव का तो मुंह सफेद पड़ गया । जब रविंद्र ने देख तो वो नही चाहता था की उसका दोस्त उसके सामने शर्मिंदा हो।  रविंद्र  बोला अभी तो मुझे कुछ काम याद आ गया है बाद  में एक दिन दुकानदार  को  अवश्य डांटेंगे ये कहकर रविंद्र बाहर चला गया ।      





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