
क्यों हम एक दूसरे को सकून देने की बजाए टेंसन देने लग जाते हैं ? :- दोस्तों जहां ' पर्सनल स्पेस ' की कमी रहती है- वहां मिठास भरे संबंधो मे कब खटास आ जाती है ? रिस्तो में गांठ कब पड जाती है ? आपस मे मिले बिना जहा खाना हजम नही होता , वहा महीनों मिले हो जाते हैं , सामने पड़ते है तो रास्ता काट जाते हैं । जिनको एक दूसरे की ठोकर लगने पर भी दर्द होता है , फिर उनको एक दूसरे के दर्द की परवाह नही रहती। "पर्सनल स्पेस" की कमी की वजह से बहुत कुछ झेलना पड़ता है जैसे - अविश्वास, अपमान ,विश्वासघात तनाव, क्रोध, पीड़ा और कड़वाहट । और कई लायक रिस्तो को खोना पड़ जाता है ।किसी ने सही कहा है कि -
"हम सभी एक जगह, एक घर, एक समाज मे रहते हैं, लेकिन हम सभी को अपने अपने समान जैसे भावनाओं ,सवेदनाओ ,अनुभूतियों और अनुभव के लिए जगह चाहिए । हम सब साथ मे रहते हैं फिर भी, हम सब की दुनिया अलग है । और उस दुनिया में रहते हुए बहुत कुछ अलग होता है। और उस अलग के लिए जगह चाहिए। 'पर्सनल इस्पेस ' चाहिए "
संबंधो मे मिठास बनाए रखने के लिए जब तब दूरियां बनाएं :- अगर हम संबंधों की बात करें तो "पर्सनल स्पेस" की संबंधों मे सबसे ज्यादा जरूरत है। लेकिन फिर भी कई जगह हम स्पेस बना कर रखना भूल जाते हैं । जब की हम अपनों से कितना प्यार करते हैं, इसे महसुस करने के लिए उनकी कमी महसूस करना जरूरी है । ज्यादातर संबंधों मे खटास इस लिए नही आती की दो लोग बहुत कम साथ थे, बल्कि इसलिए आती है कि वो बहुत ज्यादा साथ थे। अगर हर पल साथ रहने के लिए मन ललचाये तब भी जानबूझकर बीच मे कुछ समय अलग रहने का फैसला लें ।
अपने और अपनो के लिए जरूरी है पर्सनल स्पेस :- पर्सनल स्पेस हमे अवसर देता है कि हम अपने अस्तित्व के आंतरिक मर्म को समझ सके। एक दूसरे की कमी महसूस कर सके तभी हम अंतर व असमानताओं को अपना सकेंगे। लेखक जॉन ब्रैडशॉ अपनी किताब ' हीलिंग दी शेम दैट बाइंड' मे लिखती हैं -
अपने और अपनो के लिए जरूरी है पर्सनल स्पेस :- पर्सनल स्पेस हमे अवसर देता है कि हम अपने अस्तित्व के आंतरिक मर्म को समझ सके। एक दूसरे की कमी महसूस कर सके तभी हम अंतर व असमानताओं को अपना सकेंगे। लेखक जॉन ब्रैडशॉ अपनी किताब ' हीलिंग दी शेम दैट बाइंड' मे लिखती हैं -
" पर्सनल स्पेस एक तरह की सीमा रेखा है ,जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने आंतरिक संसार की रक्षा करता है "
"पसर्नल स्पेस " के बिना व्यक्ति असुरक्षित हो जाता है :- पर्सनल स्पेस व्यक्ति को स्वयं सुरक्षित करने की सुविधा देता है । यह हमे कठोर नहीं करता बल्कि दूसरों को हमारे नजदीक लाने और नुकसान का खतरा बढ़ने पर दुरी बनाने मे हमारी मदद करता है। और वास्तविक नजदीकियां और आत्मीयता का मार्ग खोलता है । श्री श्री रविशकर कहते हैं कि -
" संबंधों में प्रेम बना रहे इस लिए लोग "पर्सनल स्पेस" निर्धारित करने से बचते हैं। अन्य को अपने ऊपर नियंत्रण स्थापित करने का अवसर देते है। नियंत्रण बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ जाता है कि उन का दम घुटने लगता है। और ये घुटन रिस्तो मे प्यार को खत्म कर देती है। जब की थोड़ी दूरी प्यार को बनाए रखती है " किसी ने कहा है कि -
"ठीक से पनपने के लिए दो पौधों के बीच मे पर्याप्त अंतर की आवश्यकता पड़ती है "
"ठीक से पनपने के लिए दो पौधों के बीच मे पर्याप्त अंतर की आवश्यकता पड़ती है "
संबंधों मे 'पसर्नल स्पेस' से सहजता, धैर्य, और विश्वास के फल लगते हैं :- पूर्णिमा पांडे जी का कहना है कि अपनी जरूरतों को, अन्य की जरूरतों के साथ सन्तुलित करना। अन्य की सीमा का उलघन ना करते हुए, अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना । नियंत्रित करने व नियंत्रित होने की आवशयकता से खुद को मुक्त रखना। और अन्य व्यक्ति को सम्मान देने व अपना सम्मान को बनाए रखना, अहम से प्रेरित न रहना, भिन्नता को समझना व उसका सम्मान करना ही स्पेस की पृष्टभूमि तैयार करता है। जिसमे मधुर और सुंदर संबंध फलते फूलते हैं।
आप खुद से ही पूछे, कि आप एक आदर्श संबंध से कैसी स्वतंत्रता और सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ? अब उसी स्तर की स्वतंत्रता व सहयोग को अपने संबंधों मे देने का प्रयास करें। आप पाएंगे की आपके संबंधो की समस्याए खत्म हो रही हैं, फिर से उनमे मिठास घुलने लगी है। और आप अपने व्यक्तिगत स्तर पर सम्पूर्णता प्राप्त कर रहे हैं ।
जब आप अपनों को 'स्पेस' देने का विकल्प चुनोगे तो थोड़ी मुश्किल तो आएंगी :- अभी वहां पहुंचने के लिए मंजिल जो तय करनी है। मैने अपने दोस्तों को स्पेस देना शुरू कर दिया है, इस कोशिस के साथ की उनहे ये गलत फहमी ना हो की मेरी जिंदगी मे उनकी अहमियत या आदर कम हो गया है ।
आप खुद से ही पूछे, कि आप एक आदर्श संबंध से कैसी स्वतंत्रता और सहयोग की अपेक्षा रखते हैं ? अब उसी स्तर की स्वतंत्रता व सहयोग को अपने संबंधों मे देने का प्रयास करें। आप पाएंगे की आपके संबंधो की समस्याए खत्म हो रही हैं, फिर से उनमे मिठास घुलने लगी है। और आप अपने व्यक्तिगत स्तर पर सम्पूर्णता प्राप्त कर रहे हैं ।
जब आप अपनों को 'स्पेस' देने का विकल्प चुनोगे तो थोड़ी मुश्किल तो आएंगी :- अभी वहां पहुंचने के लिए मंजिल जो तय करनी है। मैने अपने दोस्तों को स्पेस देना शुरू कर दिया है, इस कोशिस के साथ की उनहे ये गलत फहमी ना हो की मेरी जिंदगी मे उनकी अहमियत या आदर कम हो गया है ।
Very good article on personal experience n space.
ReplyDeleteVery good article on personal experience n space.
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