Wednesday, June 22, 2016

किसी को ज्यादा अहमियत ना दें !!!

                     किसी को ज्यादा अहमियत ना दें !!!


जब  किसी को जरूरत से ज्यादा अहमियत देने लगते हैं , तो सामने वाले इंसान की निगाह में आप की वेलु कम होने लगती है । सामने वाले  इंसान के अंदर ये गलत फेमी हो जाती  है की उसके बिना ये जिंदगी मे कुछ कर ही नहीं सकता या जी ही नही सकता।  वो ये भूल जाता है कि ये दुनिया उसकी चलाई नहीं चल रही ।   कुछ लोग अपनी अहमियत भूलकर अपनी चलाने लगते हैं, अपना हक समझने लगते हैं ।  हम किसी को अहमियत तो देते हैं  बड़े होने के नाते , दोस्त समझकर या किसी को अपना बहुत करीबी मनाकर । लेकिन होता क्या है फिर वही दोस्त या करीबी इंसान आप को खुद चलाने की कोशिस करता है । जब तक आप उसके चलाए चलो गे तब तो ठीक है लेकिन जहां उसकी नहीं चला सकते वही वह आप का दुश्मन बनकर खड़ा हो जायेग। आप चाहे कितना ही मना लें उनके भाव और बढ़ते ही जाएंगे। वो ये भूल जायेगा की उसके इस रवैये से आपको कितना दुःख हो रहा है । वो आपसे दूर होता  जाएंगा  किसी शायर ने बहुत ही अच्छा कहा है कि -   

    '' छोड़ दो मुड़कर देखना उन्हें, जो दूर जाया करते हैं ।   
          जिनको साथ नहीं चलना वो, अक्सर रूठ जाया करते हैं ॥  

हर रिस्ते मे  पर्सनल स्पेस जरूरी है:- रिस्ता पति पत्नी का हो या अभिभावक  व बच्चों में हो ,दोस्ती का हो, पड़ोसियों का हो, भाई बहन का हो, या कारोबारी हो हर रिस्ते मे  पसर्नल स्पेस जरूरी है । मेरी मम्मी एक बात कहा करती थी - 

" थोड़ा मिलना सुख घना मन में रहे उल्लास ,  ज्यादा मेल मिलाप से होए प्रीत का नाश, होए प्रीत का नाश, बेर फिर मन में ठाणे,  

ये बात बचपन से सुनती आई थी लेकिन समझ मे अब जाकर आई । जब हम कम से कम मिलते हैं तो बकवास की बातो के लिए समय ही नहीं मिलता।  लेकिन जब हम एक दूसरे को समय अधिक देते है तो बे फालतू की ही बाते होती है। इसलिए ना ही तो हमे रिस्तो में बहुत दुरी बनकर रखनी चाहिए और ना ही बहुत नजदीकी । दुरी बनाकर रखोगे तो रिस्तो में प्यार ही नहीं रहेगा और ज्यादा नजदीकी रखोगे तो खटास आ जाएगी । इस लिए हर रिस्ते में एक इस्पेस बना कर  चलें ।  

लाइफ में  कभी भी किसी के ज्यादा पीछे ना पड़ो :- रिस्ता चाहे जो हो, जब आप  किसी के ज्यादा पीछे पड़ते हैं, तो उसके दिल मे  प्रेम तो नही बढ़ता, पर  आप अपनी रिस्पेक्ट खो दे ते हैं । उसे ये गलत फहमी हो जाती है की आप उनके आदी हो गए हैं या आपका उनके बिना काम ही नहीं चलेगा । तभी तो किसी ने सही कहा है - 

"पथर की दुनिया जज्बात नहीं समझती ,दिल में क्या है वो बात नही समझती ' 

किसी के लिए आप कितना ही कुछ भी कर लो,  लेकिन दुनिया में आप कभी किसी को हमेशा खुश  नहीं रख सकते। खुद खुश रहना सिख लें । दूसरों के लिए अच्छा बनने की बजाए सही बनना सिख लें  । इससे हमेशा तो नहीं कुछ समय वह इंसान जरूर खुश हो सकता है जो सच्चा है । झूठा तो दुखी ही होगा । 

हर दर्द किसी के साथ मत बाटो :- कई   लोगो की आदत होती है कि अपने दुखड़े ओरो को सुनाते फिरते हैं लेकिन सुनने वाला है कौन दुनिया वाले तो रोकर पूछते हैं और हस कर उड़ा देते हैं । एक लोक गीत है- 

" साथी ना बने कोई तकदीर के मारो का, इंसान की मजबूरी ये खेल सितारों का। जब दिन बुरे आएं बेदर्द बनी दुनियां, जब दिन अच्छे आएं हम दर्द बनी दुनियां " 
और किसी शायर ने कहा  है - 

        बड़ी भूल हुई अनजाने में ,गम छोड़ आए महखाने में ॥ 
       फिर खाकर ठोकर जमाने की ,जो फिर लौटे महखाने में ॥ 
       मुझे देखकर मेरे गम बोले ,बड़ी देर लगा दी आने में ॥ 



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