
शिवानी:- उन लेडिशो मे से है जिसके पास सब कुछ है लेकिन उसकी नियत हमेशा ही मांगने की रहेगी । जो भी देखा उसे लेने के लिए तैयार । हमेशा अपने दुखड़े रोती रहेगी और हर रिस्ते मे कमी ढूढती रहेगी । अपना उलहु सीधा करेगी और इधर की उधर, उधर की इधर करती रहेगी । शुरू मे उसे जरूरत मंद समझकर उसकी मदद करने के लिए तैयार रहते थे। कबीर जी का एक दोहा याद रहता कि
" मागंन गए सो मर गए , उनसे पहले वो मरे जीन मूख निकली ना "
। लेकिन अब लगता है की ये हमे यूज कर रही है । हमारी भावुकता का ना जायज फायदा उठा रही हैं ।
दिक्षा :- ये उन लेडिशो में से है जो शायद ही कभी किसी के काम आई हो । और मांगते रहने का तरीका क्या है मेरे गुरु जी के लिए ये भिजवाना वहां ये हो रहा है आप भी दो मे वहां भागवत मे भिजवा दुगी। अरे बाबा जिसे जो जहां देना है वो अपने आप दे देगा। क्यों टेंशन लेती है और क्यों दूसरों को देती है जो इंसान खुद किसी को कुछ नही दे सकता वो औरो का लेकर क्या देगा ? खुद का गुजारा तेरा हो नही रहा दूसरों की क्या मदद करेगा ? ऐसे लोगो से चिढ़ होती है । भगवान के नाम चुना लगते हैं ।
कमलेश :-उन लेडिशो मे से है जिस की कमाई इन सब से कम है । किराए के मकान में रहती है। लेकिन मैने कभी उसे किसी के सामने अपनी परेशानियों का रोना रोते हुए नहीं देखा।जरूरत पड़ने पर सबकी मदद ही करती है और जो उसके पास है उसमे अच्छी प्लानिंग करके अपना घर चलाती है और इज्जत से रहती।
इन तीन लोगो को मैने देखा और ये सोचने पर मजबूर हुई की ये ऐसी क्यू हैं ? मैंने इन तीनो को ही जानना चाहा की इनमे इतना डिफरेंट क्यों ? दो की परिस्थति ठीक ठाक होते हुए भी भिखारियों की तरह करती हैं और एक कमी होने के बाबजूद भी इतना पेसेस इतनी समझदारी इतना आत्म स्वाभिमान । ऐसा क्यों ? मैने शुरुआत कमलेश से की तो जाना की कमलेश एक अच्छे खानदान व संस्कारी परिवार की है उसने मायके और ससुराल में सब कुछ अच्छा पाया है । इसलिए वो अपने इस कठिन दौर को समझदारी से काट लेना चाहती है । वो जानती पैसा तो आनी जानी चीज है लेकिन अगर इंसान की इमेज खराब हो गई तो दुबारा नही बन सकती । वो अपनी इमेज का ख्याल रखती है ।
शिवानी और दीक्षा :- जब मैने इनके बारे मे जाना तो पाया की इनके जीवन मे पैसा तो ठीक ठाक है लेकिन परवरिश व संस्कार किसी अच्छे इंसानो से नही मिले। ये संस्कारो की ही तो बात है एक लड़की मायके वालो से लेती रहती हैं और फिर भाई भाबियों की बुराई करती है और एक बिलकुल कुछ भी नहीं लेती फिर भी अच्छे रिस्ते बनाए रखती है ।खुद सबसे संतुष्ट है और सब को संतुष्ट रखती है। मानते भी है लेने वाला भिकारी होता है और देने वाला दाता तो दाता बनो भिखारी क्यों बनते हो ? । और एक बात और है अगर आपका भगवान के देने से गुजारा नही हो रहा तो क्या इंसान के देने से गुजारा होगा ? पैसे बड़े नही दिल बड़े बनो ।
"नाम बड़ा किस काम का जो काम किसी के ना आये, सागर से नदियां भली जो सबकी प्यास बुझाये "
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