Thursday, June 27, 2019

आगे बढ़ना है तो साथियों से सलाह लें !!!

कई बार मेरे साथी ऐसी सलाह देते हैं जो मुझे सुनना पसंद नही होता ,लेकिन सुनना जरूरी होता है | अपने आसपास अच्छे सलाहकार  रखने का यही लाभ है कि वे जानते है कि सही निर्णय कैसे लें | अनुनायी आपको वो बताते हैं जो आप सुनना चाहते है और सलाह कार वो बताते हैं जो सुनना जरूरी है |

निर्णय लेने से पहले सलाह लें | निर्णय लेने से पहली ली सलाह बहुत महत्वपूर्ण होती है और निर्णय लेने के बाद की सलाह का कोई महत्व नहीं होता | 

सलाह कार सिर्फ आपकी तरह ही काम नही करते वे आपकी तरह सोचते भी हैं | इससे वे आपका काम हल्का कर देते हैं | निर्णय लेने, विचार मंथन करने और दुसरो को दिशा देने में ये बहुत अमूल्य है | 

जो लोग क्षमतावान  लोगो का  मार्ग दर्शन करते हैं वे अपनी प्रभावकारिता  को कई गुना बड़ा लेते हैं | 

"किसी भी इंसान की सफलता की परिभाषा यह है उसके अधीन काम करने वालो की योग्यता का अधिकतम दोहन " 

जिग जिगलर कहते है 
" सफलता अपनी योग्यता का अधिकतम दोहन करना है |

 एंड्रूय कार्नेगी ने इसे इस  तरह स्पष्ट किया था : " में अपनी कब्र के पत्थर पर यह लिखवाना चाहता हूँ यहाँ वह व्यक्ति लेटा  है  जो इतना बुद्धिमान था कि वह अपने से  दर लोगो को अपनी सेवा में लाया | 

जो लोग हमारी योग्यता में विश्वास दिखाते हैं ,वे हमे प्रेरित करने से भी ज्यादा बड़ा काम करते हैं-वे एक ऐसा माहौल बना देते हैं ,जिसमे हमारे लिए सफल होना ज्यादा आसान हो जाता है | इसका विपरीत भी सच है जब कोई लीडर हमरी क्षमता पर विश्वास नहीं करता , तो हमारे लिए सफल होना बहुत मुश्किल हो जाता है | यह लगभग असंभव हो जाता है | अगर हम अपने संगठन की सफलता चाहते हैं तो लीडर के रूप में हम अपने अनुयायीयों  के साथ ऐसा नही होने दे सकते |  

दोस्तों ! ये समृ जॉन सी.मेक्सवेल की बुक " अपनी टीम के लीडर्स को कैसे विकसित करें" की है | अगर आप अपनी टीम के लीडर को विकसित करना चाहते हैं तो आप को ये बुक बहुत ही हेलफुल रहेगी |  





Sunday, June 23, 2019

मानव जीवन के दस पश्चाताप !!!

सोचो! आपको भी आपके जीवन में ये दस पश्चाताप ना करने पड़ें | 

1 आपका जीवन जो एक बेहद प्रभावशाली गीत गाने के लिए मिला था ,आखरी समय में तुम पाओगे के तुमने निस्तंभ  होकर जीवन गुजारा है | 

2 अपने आखरी समय में महसूस करोगे कि अच्छा काम करने की  और अच्छी चीजें हासिल करने की प्राप्त हुई नैसर्गिक शक्ति का तुमने अनुभव लिया ही नही | 

3 आखरी दिनों में यह महसूस होगा तुमने ऐसा कोई काम नही किया जिससे अन्य लोग प्रोत्साहित हो सकें | 

4 आखरी दिनों में तुम्हे लगेगा कि तुमने जीवन में कोई कठिन काम करने का जोखिम नही उठाया जिससे तुम्हें कोई पुरस्कार नही मिला | 

5 आखरी दिनों में तुम्हें यह समझ आयेगा तुमने जीवन में कई अच्छे मौके गवाएं - जो तुम्हें विशेष स्थान पर ले जाते | तुम झूठी धारना में आकर साधारण योग्यताओ पर संतोष मानते आये हो | 

6 आखरी दिनों में तुम्हे ये सोच कर बुरा लगेगा कि तुमने आपदा को जीत में बदलने की और शीशे को सोने में बदलने का हुनर नही सीखा | 

7 तुम्हें इस बात का खेद रहेगा कि तुमने सिर्फ खुद की मदद की ,लोगो की मदद नही कर सकें | 

8 आखरी दिनों में तुम्हे ये पता चलेगा कि तुमने ऐसा जीवन व्यतीत किया जो तुम्हे समाज ने सिखाया | 

9 आखरी दिनों में तुम्हें इस वास्तविकता का पता चलेगा कि तुम्हारी क्षमता तुम्हे पता ही नही चली | अपनी योग्यता को वास्तविकता में बदलने का प्रयास ही नही किया |  

10  आखरी दिनो में तुम्हें ये अहसास होगा कि तुम एक अच्छे इंसान इंसान बन सकते थे | जीवन में जो पाया उससे अधिक दे कर जा सकते थे | तुमने यह कभी स्वीकार ही नही किया की कि तुम्हारी घबराहट के कारण तुमने चुनौतियों को स्वीकार नही किया और अपना जीवन बर्बाद कर लिया |  

दोस्तों ! ये समरी रॉबिन शर्मा की बुक अपने "अंदर के लीडर को पहचानों " की है | इसमे बहुत ही बेहतरीन तरीके बताये है अपने अंदर के लीडर को पहचानने के | 
   


  







   

ऐसे दोस्तों से दूरी बना कर रखो !!!

दोस्तों ! आज में आप लोगो से एक खास टॉपिक शेयर कर रही हूँ जिसका मुख्य बिंदु है ' फ्रेरनेमी,शायद आप लोगो में से कुछ लोगो ने ये शब्द पहली बार ही सुना हो | इसका मतलब है दोस्त होकर दुश्मन का काम करना | अब आप समझ गये होगें कि ये आर्टिकल किस तरह के लोगो के बारे में है |

दोस्त इंसान की पहंचान होते है कहते कि अगर इंसान के बारे में जानना है तो उसके चार मित्रो को मिलो वो वैसा ही होगा जैसे उसके चार मित्र होंगे | जैसा इंसान होता है वैसे ही उसके दोस्त होते हैं | अगर सोच में फर्क मिल भी जाए तो कर्म में फर्क नही मिल सकता  | सोसायटी का असर जरूर पड़ता है | 

आज समज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है | समाज व कार्यस्थल में कई लोग देखे जाते हैं जिनकी सत्ता छोटे छोटे कई सिंहासन पर टिकी होती है जिसपर प्रभुत्व जताने के लिए रोज नई नई लड़ाई लड़नी पड़ती हैं | चाहे वह परिवार में खुद को बेहतर साबित करने की  बात हो या कार्य स्थल व दोस्तों को इंप्रेस करने का संघर्ष | 

ऐसी स्थति में लोग सीधी लड़ाई ना लड़ कर बहुत ही चालाकी से सामने मीठा बनकर अपना काम साधते हैं और पीठ पीछे बुराई करते हैं | दोस्तों के वीक पॉइन्ट बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं | झूठ बोलकर समाज में उनका आत्म सम्मान छलनी करते हैं | और  उनका ये रवैया नकारत्मक है वे खुद से इतने अभिभूत होते हैं कि दोस्तों को नीचा दिखाकर स्वयं को बेहतर सिद्ध करना चाहते हैं | इसके लिए वे दोस्तों को बैकहैंड कम्प्लीमेंट्स देते है ,जिससे वे ये जता सकें कि उनका स्तर उनके दोस्तों के स्तर से बहुत ऊंचा है | वे हमेशा आपकी उन्ही चीजों को निशाना बनाकर वार करते हैं जो आपके दिल के बहुत करीब हो | 

आप ये तो जानते ही हैं कि जब तक सच घर से बहार निकलता है तब तक झूठ सारे शहर में ढिढोरा पीट आता है | जिसका खामयाजा उस इंसान को भुगतना पड़ता है जिसके बारे में झूठी अफवाह फैलाई गई है | एक तो वो पहले ही अपनी विपरीति परस्थतियों व समस्याओं को झेल रहा होता है दूसरे ऐसे लोग जो खुद अपनी लाइफ में कुछ नही करना चाहते वे लोग उसका श्रेय लेने या ईर्ष्या से झूठे आरोप लगा कर और समस्या खड़ी कर देते हैं | जिसकी वजह से उस इंसान को  बार -बार अपनी सफाई देनी पड़ती है | जिसकी वजह से वो सक्सेस नही पाता जो पा सकता था  | 
सच्चा दोस्त आपके सामने ही सरलता और सचाई से आपकी कमजोरी के बारे में बताएगा ,लेकिन फ़्रेनेमी उसी कमजोरी को डंके की चोट पर बताएगा जिससे ज्यादा लोगो को उसके दोस्त की कमजोरी के बारे में पता चल सकें और उसकी तुलना में वह फ़्रेनेमी बेहतर दिखे 

दोस्तों आप अपने फ़्रेनेमी को अच्छी तरह पहंचान सकते हो | और सावधान हो सकते हो कहि वही दोस्त आपको दोस्ती की आड़ में मानसिक व शारीरिक रूप से चोट ना पहुंचा दे | दोस्त होकर लोग ऐसा काम क्यों करते हैं ? दोस्तों मेंने  कही पढ़ा था -

 " चार शराबी एक साथ रह सकते हैं ,चल सकते हैं, पर चार विद्धवान एक साथ नही रह सकते | क्यों ? क्यों कि शराबी को तिरस्कार मिलता है गालियां मिलती हैं जिन्हे वो दे सकते हैं | विद्वान् को सम्मान मिलता है और विद्वान सम्मान को बाटना नही चाहता | सम्मान की भूख सभी को होती है इसलिए जिसे नही मिला वो जबरदस्ती लेना चाहता है | जिसके चलते मन मुटाव होता इसलिए एक साथ नही रह सकते| 



 दुसरो के जैसा दिखने या बनने का लालच ही दोस्तों में ईर्ष्या पैदा करता है | जिसकी वजह से वह खुद को कमतर आंकता है | बेहतर दिखने या कहलाने के कारण ही ऐसा करता है | जबकि  कभी भी दुसरो के आदर्श रूप को प्रस्तुत नही करना चाहिए | 

हर एक इंसान को भगवान ने एक अलग हुनर से नवाजा है फिर कोई भी इंसान किसी दूसरे जैसा कैसे बन सकता है ? किसी भी काम को सीख कर या डिग्री लेकर तुम नौकरी पा सकते हो लेकिन सक्सेस तो आपको हुनर से ही मिलेगी | और उस हुनर को देने वाला सिर्फ परमात्मा है | इसलिए जैसे हो वैसे ही खुद को स्वीकार करो खुद से प्रेम करो | जो हुनर परमात्मा ने आपको दिया है उस हुनर को तरासो  |


Monday, June 3, 2019

आपकी सफलता के स्तर को आपके सबसे करीबी लोग तय करते हैं !!!

आपके आसपास लीडर्स रहे यह सुनिश्चित करने की कुंजी यह है कि आप अच्छे से अच्छे लोगो को खोज कर उन्हें अपनी टीम में शामिल करें और फिर उनकी सर्वोच्च क्षमता के अनुसार उन्हें लीडर्स के रूप में तैयार करें | महान लीडर्स ही दूसरे लीडर्स तैयार करते हैं | आपको ये बता दू कि ऐसा क्यों करते हैं-  लीडर के आस पास के लोग ही उसकी  सफलता के स्तर को तय करते हैं |  




इस कथन का नकारत्मक पहलू भी सच है : लीडर के करीबी लोग ही उसकी असफलता के स्तर को भी तय करते हैं | दूसरे शब्दों में " जो लोग मेरे करीब हैं वे या मुझे बना देंगे या मुझे मिटा देंगे "मेरी लीडर शिप का सकारत्मक या नकारात्मक परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि मुझमे अपने सबसे करीबी लोगो को लीडर के रूप में विकसित करने की कितनी योग्यता है | यह मेरे इस मूल्यांकन की योग्यता पर निर्भर करता है कि मेरे संगठन में आने वाले लोग मुझे और मेरे संगठन को क्या दे सकते हैं | मेरा लक्ष्य अनुयायियों की भीड़ इकटठा करना नही है | मेरा लक्ष्य तो ऐसा लीडर्स का विकाश करना है जो बहुत कुछ परिवर्तन कर दे | 

एक पल के लिए रुकें और अपने संगठन में अपने करीबी पॉच छ :लोगो को देखें क्या आप उनका विकाश कर रहे हैं ?उनके लिए आपकी योजना क्या है ? क्या वे विकाश कर रहे हैं ? क्या वे आपका बोझ उठाने में समर्थ हैं ? 





जब भी कोई समस्या सामने आती है यानि संगठन में 'आग' लग जाती है तो लीडर के रूप में आप ही अक्सर सबसे पहले घटना स्थल पर पहुंचते हैं | उस समय आपके हाथ में दो बाल्टीयां होती है | एक में पानी होता है और दूसरे में पैट्रोल अगर आप उस 'आग' में पेट्रोल की बाल्टी डाल दें तो आग और भड़क सकती है और दूसरी और अगर आप उस पर पानी की बाल्टी दाल दें तो वह बुझ सकती है



लीडर का विकाश होगा ,तो संगठन अपने आप विकाश करेगा | कोई भी कंपनी या संगठन तब तक विकाश नही कर सकता तब तक उसके लीडर्स खुद विकाश न करें | लीडर्स खुद में सकारत्मक परिवर्तन कर लेंगे ,तो विकास अपने आप हो जाएगा | 



आम तौर पर लीडर्स दूसरे लीडर्स को विकसित करने में इसलिए असफल होते हैं ,क्युकि या तो उनमे प्रशिक्षण की कमी होती है या फिर दुसरो को अपने साथ जोड़ने और प्रोत्साहित करने के उनके नजरिए दोषपूर्ण होते हैं | अक्सर लीडर्स की मानसिकता अलग होती है कि उन्हें अपने करीबी लोगों के साथ मिलकर काम करने के बजाय उनसे पर्तिस्पर्धा करना है | 


महान लीडर्स की मानसिकता अलग होती है |प्रोफाइल्स इन क्रेज में राष्टपति जॉन एफ.कैनेडी ने लिखा है ," आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका दुसरो के साथ मिलकर आगे बढ़ना है | इस तरह की बात सिर्फ तभी हो सकती है, जब लीडर में परस्पर -निर्भरता का नजरिया हो और वह जीत -जीत वाले संबंधो के लिए समर्पित हो |  


दोस्तों ये समरी जॉन सी मैक्सवेल की लिखी। "अपनी टीम के लीडर्स को विकसित कैसे करें " की है | 







Sunday, May 26, 2019

लीडर का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि अच्छे लोगो को टीम में शामिल किया जाए और उन्हें टीम में बनाए रखा जाए| !!

अगर आप लोगो का मार्ग दर्शन करना चाहते हैं और उन्हें लीडर्स के रूप में विकसित करना चाहते हैं तो आपको ये काम करने होंगे -
1 उनके वास्तविक रूप की सराहना करना 2  विश्वास करना कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे 3 उनकी उपलब्धियों की सराहना करना 4  उनके लीडर के रूप में अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी को स्वीकार करना | 

लीडर को ये पता होना चाहिए कि टीम को एक सूत्र में कैसे बांधा जाता है ?कुछ लोगो को ऊपर कैसे उठाया जाता है और बाकियों को जब तक शांत कैसे किया जाता है ? जब तक की टीम अंतत एक ही शुर में न धड़कने लगे |

 में हमेशा तीन बातें कहता हूं : अगर कोई काम बिगड़ जाता है तो ये मैने किया है या मेरी वजह से बिगड़ा है | या कोई काम आधा अच्छा है तो हमने किया  है || अगर कोई काम वाकई अच्छा हुआ है  तो यह मेरे साथियों ने किया है | टीम जीतने के लिए इतने की  ही जरूरत  है | 

सर्वोच्च सफलता प्राप्त  वाले लीडर्स का अध्ययन करने पर यह पता चला  हैं कि उनमे एक चीज सामान होती है वे जानते हैं कि लीडर का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि अच्छे लोगो को टीम में शामिल किया जाए और उन्हें टीम में बनाए रखा जाए | 

किसी संगठन में जो सम्प्पति सचमुच बढ़ती है वह उसके लोग हैं |सिस्टम पुराने पड़ जाते हैं| इमारतों में दरार पड़ जाती है ,मशीने घीस जाती हैं ,परंतु लोग प्रगति कर सकते हैं विकाश कर सकते हैं और अधिक प्रभावकारी बन सकते हैं  | 

परन्तु उनका लीडर ऐसा हो जो उनकी  क्षमता व  महत्व को समझता हो | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप ये काम अकेले नही कर सकते | सफल लीडर बनना हैं तो आपको अपने आसपास दूसरे लीडर्स को तैयार करना होगा | आपको एक टीम बनानी होगी | आपको एक ऐसा तरीका खोजना होगा ,ताकि दूसरे आपकी भविष्य द्रष्टि को देखें ,उस पर अमल करें और उसे साकार करने में योगदान दें |

लीडर बड़ी तस्वीर देखता है ,परन्तु अपनी मानसिक तस्वीर को हकीकत में बदलने के लिए उसे दूसरे लीडर्स की जरूरत पड़ती है | ज्यादातर लीडर्स के पास अनुयायी होते हैं | वे मानते हैं कि बहुत से अनुयायी होना ही लीडरशिप की कुंजी है |

बहुत कम लीडर्स अपने आसपास दूसरे लीडर्स  को रखते हैं ,परन्तु जिन संगठनों के लीडर्स ऐसा करते हैं उन्हें बहुत फायदा होता है | इससे न सिर्फ ऐसे लीडर्स का बोझ हल्का होता है बल्कि सपना भी साकार हो जाता है और उस सपने का विस्तार भी होता है | 

दोस्तो ! ये सामरी जॉन सी. मैक्सवेल की बुक ' अपनी टीम के लीडर्स को विकसित कैसे करें'  की है  | 




Friday, May 24, 2019

आपका दोस्त आपका दुश्मन तो नहीं ?

दोस्तों ! आज में आप लोगो से एक खास टॉपिक शेयर कर रही हूँ जिसका मुख्य बिंदु है ' फ्रेरनेमी,शायद आप लोगो में से कुछ लोगो ने ये शब्द पहली बार ही सुना हो | इसका मतलब है दोस्त होकर दुश्मन का काम करना | अब आप समझ गये होंगे कि ये आर्टिकल किस तरह के बारे है |

दोस्त इंसान की पहंचान होते है कहते कि अगर इंसान के बारे में जानना है तो उसके चार मित्रो को मिलो वो वैसा ही होगा जैसे उसके चार मित्र होंगे | जैसा इंसान होता है वैसे ही उसके दोस्त होते हैं | अगर कर्म में फर्क मिल भी जाए तो सोच में फर्क नही मिल सकती | सोसायटी का असर जरूर पड़ता है | 

आज समज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है | समाज व कार्यस्थल में कई लोग देखे जाते जिनकी सत्ता छोटे छोटे कई सिंहासन पर टिकी होती है जिसपर प्रभुत्व जताने के लिए रोज नई नई लड़ाई लड़नी पड़ती हैं | चाहे वह परिवार में खुद को बेहतर साबित करने की  बात हो या कार्य स्थल व दोस्तों को इंप्रेस करने का संघर्ष | 

ऐसी स्थति में लोग सीधी लड़ाई ना लड़ के पीठ पीछे बुराई करते हैं दोस्तों के वीक पॉइन्ट बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं | झूठ बोलकर समाज में उनका आत्म सम्मान छलनी करते हैं | और बहुत ही चालाकी से सामने मीठा बनकर अपना काम साधते हैं | उनका ये रवैया नकारत्मक है वे खुद से इतने अभिभूत हैं की दोस्तों को नीचा दिखाकर स्वयं को बेहतर सिद्ध करना चाहते हैं | इसके लिए वे दोस्तों को बैकहैंड कम्प्लीमेंट्स देते है ,जिससे वे ये जता सकें कि उनका स्तर उनके दोस्तों के स्तर से बहुत ऊंचा है | वे हमेशा आपकी उन्ही चीजों को निशाना बनाकर वार करते हैं जो आपके दिल के बहुत करीब हो | 

आप ये तो जानते ही हैं कि जब तक सच घर से बहार निकलता तब तक झूठ सारे शहर में ढिढोरा पीट आता है | जिसका खामयाजा उस इंसान को भुगतना पड़ता है जिसके बारे में झूठी अफवाह फैलाई गई है | एक तो वो पहले ही अपनी फिल्ड में सक्सेस के  लिए समस्याओं को झेल  रहा होता है दूसरे ऐसे लोग जो खुद अपनी लाइफ में कुछ नही कर पाए वे उसका श्रेय लेने के लिए झूठे आरोप लगा कर और समस्या खड़ी कर देते हैं | जिसकी वजह से उस इंसान को  बार -बार अपनी सफाई देनी पड़ती है | जिसकी वजह से वो सक्सेस नही पाता जो पा सकता था  | 
सच्चा दोस्त आपके सामने ही सरलता और सचाई से आपकी कमजोरी के बारे में बताएगा ,लेकिन फ़्रेनेमी उसी कमजोरी को डंके की चोट पर बताएगा जिससे ज्यादा लोगो को उसके दोस्त की कमजोरी के बारे में पता चल सकें और उसकी तुलना में वह फ़्रेनेमी बेहतर दिखे

दोस्तों आप अपने फ़्रेनेमी को अच्छी तरह पहंचान सकते हो | और सावधान हो सकते हो कहि वही दोस्त आपको दोस्ती की आड़ में मानसिक व शारीरिक रूप से चोट ना पहुंचा दे | दोस्त होकर लोग ऐसा काम क्यों करते हैं ? दोस्तों मेंने  कही पढ़ा था -

 " चार शराबी एक साथ रह सकते हैं ,चल सकते हैं, पर चार विद्धवान एक साथ नही रह सकते | क्यों ? क्यों कि शराबी को तिरस्कार मिलता है गालियां मिलती हैं जिन्हे वो दे सकते हैं | विद्वान् को सम्मान मिलता है और विद्वान सम्मान को बाटना नही चाहता | सम्मान की भूख सभी को होती है इसलिए जिसे नही मिला वो जबरदस्ती लेना चाहता है | जिसके चलते मन मुटाव होता इसलिए एक साथ नही रह सकते| 

 दुसरो के जैसा दिखने या बनने का लालच ही दोस्तों में ईर्ष्या पैदा करता है | जिसकी वजह से वह खुद को कमतर आंकता है | बेहतर दिखने या कहलाने के कारण ही ऐसा करता है | जबकि  कभी भी दुसरो के आदर्श रूप को प्रस्तुत नही करना चाहिए | 

हर एक इंसान को भगवान ने एक अलग हुनर से नवाजा है | किसी भी काम को सीख कर या डिग्री लेकर तुम नौकरी पा सकते हो लेकिन सक्सेस तो आपको हुनर से ही मिलेगी | और उस हुनर को देने वाला सिर्फ परमात्मा है | इसलिए जैसे हो वैसे ही खुद को स्वीकार करो खुद से प्रेम करो | जो हुनर परमात्मा ने आपको दिया है उस हुनर को तरासो  |  








Monday, May 13, 2019

भाग्य तो लगडा है इसे कर्म की बैसाखी से चलना पड़ता है!!!


" खुदी को कर बुलंद इतना ,खुदा जमी पर आकर, बंदे से पूछे ? बता तेरी रजा क्या है "

दोस्तों! मेहनत जीवन को निखारती है, सवारती है और इंसान को ऐसा गढ़ती है जिसकी प्रसंसा किये बिना कोई नही रह सकता । हर इंसान उसके जैसा बनना चाहता है। महेनती इंसान ही पथरों में फूल खिला सकता है | मेहनत से ही इंसान कामयाबी की उचाईयों को छू सकता है | मेहनत हमे आगे ही नही बढ़ाती बल्कि जीवन जीने का नया अंदाज सिखाती है।

"भागवत गीता में भी कर्म के ऊपर 80 श्लोक लिखे गए हैं | और प्रथम 6 अध्याय में कर्म  की ही व्याख्या की गई है | 

सर्व प्रथम स्थान कर्म को ही दिया गया हैं | किसी भी सपने को साकार करने की प्रथम जरूरत कर्म है | कर्म किये बिना सपना साकार नही होता | सपने देखना आसान है लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना जरूरी  है | जो लोग कर्म प्रधान होते हैं वे लोग ही अपने सपने को साकार  कर पाते हैं | जब किसी सक्सेस इंसान को देखते हैं तो कहते हैं कि इसकी किस्मत अच्छी है। लेकिन दोस्तों किस्मत कुछ भी नही है सिर्फ मेहनत का फल है । सुरेश माली जी कहते हैं - 

"भाग्य तो लगडा है इसे कर्म की बैसाखी से चलना पड़ता है इसलिए भाग्य के भरोषे मत बैठिये "

मेहनत कर रहे हो तो एक दिन आपको सक्सेस का फल मिल ही जायेगा | किस्म्मत किसी की भी अच्छी नही होती किस्मत मेहनत से अच्छी बनाई जाती है | अगर लगातार मेहनत करते हैं तो किस्मत अच्छी बन जाती है | अगर आपने पूरी मेहनत नही की तो किस्मत खराब रह जाती है।

हाँ ऐसा हो सकता है कि मेहनत में आपको कम ज्यादा मिले । ये नही हो सकता कि आप पढ़ाई करो चार घन्टे और सपने देखो आई ए एस  बनने के । हाँ ये हो सकता है की आपने पढ़ाई की आई ए एस की और आप बन गए pcs । किसी भी फिल्ड में सक्सेस पाने के लिए अपने कार्य को चौबीस घंटे देने पड़ते हैं ,चौबीस घंटे देने का मतलब ये नही है की आप चौबीस घंटे काम करो, चौबीस घंटे का मतलब है कि दिमाग से सोचो,  मन से कल्पना करो, पूजी लगाओ और जितनी शरीर की मेहनत जरूरी है उतना मेहनत करो तभी जाकर आप सक्सेस हो सकोगे |  

"तुलसी दास जी ने 78 साल मेहनत की तब जाकर अपने अनुभव से रामयण लिखी" 

मैने अपने आसपास के कई लोगो को देखा है जिन्होंने अनपढ़  या थोड़े पढ़े लिखे होने पर भी अपनी मेहनत व अनुभव से लाइफ में बहुत कुछ अचीव किया है | अगर आप की अपने कार्य में श्रद्धा नही है अपने पर व परमात्मा पर विश्वास नही है तो आप अपने कार्य में कभी सक्सेस नही हो सकते  | 

दोस्तों ! सक्सेस का पढाई से कोई खास लेना देना नही है | सक्सेस का मतलब सिर्फ अपनी फिल्ड की नालिज व मेहनत से है | आपने कितनी मेहनत की है कितनी आप अपनी फिल्ड की नालिज रखते हैं इसी  पर आपकी सक्सेस निर्भर करती हैं | अगर सिर्फ पढ़े लिखे लोग ही सक्सेस होते तो कभी भी अनपढ़ या काम पढ़े लिखे लोग अपनी फिल्ड में सक्सेस नही हो पाते |  बिलगेट्स ,अंबानी ,मार्क जुगलबर्क्स जैसे लोगो को उनकी सक्सेस से कोई नही जानता | 









Thursday, April 25, 2019

मनुष्य अपनी नियति स्वयं ही निर्धारित करता है !!!

दोस्तों ! विक्टर ई फ्रैंकल कहते हैं कि यह विडंबना है इंसान का डर उसके सामने उस चीज को लाकर खड़ा कर देता है जिससे वह भयभीत होता है | ठीक उसी तरह जो काम मजबूरी में किए जाते हैं वे हमारे मजबूत इरादों में रूकावट बनते हैं | मनुष्य अपने जीवन को सिर्फ जीता नही है, बल्कि निरंतर तय करता रहता है कि आगे उसका जीवन ,उसका अस्तित्व कैसा होगा और अगले क्षण क्या बनेगा ?


मनुष्य अपनी नियति  स्वयं ही निर्धारित करता है | वह अपने पर्यावरण व अपनी परिस्थतियों के बीच जो भी बनता है स्वयं ही बनता है | मनुष्य के भीतर दोनों ही तरह की सम्भवनाएं उपस्थित हैं| उनमे से कौन सी संभावना साकार होगी ,यह उसकी अवस्थाओं  या परिस्थतियों पर नही बल्कि उसके द्वारा लिए गए निर्णयों पर आधारित है | 



मनुष्य को नकारत्मक पक्षों को सकारत्मक या रचनात्मक रूप देने की पूरी ताकत होती है | ख़ुशी के पीछे भागने से वह हासिल नहीं होगी वह स्वत: ही आपके जीवन में आती है | मनुष्य अपने लिए ख़ुशी की नही ,बल्कि खुश रहने की तलाश में रहता है | इसे पाने के लिए वह किसी भी हालात में छिपे अर्थ की पहंचानकर उसे साकार कर सकता है | 



एक बार जब मनुष्य की अर्थ की तलाश पूरी हो जाती है तो वह ना केवल उसे ख़ुशी देती है बल्कि उसे अपनी पीड़ा से पार पाने की क्षमता भी प्रदान करती है | लेकिन यदि किसी की अर्थ की तलाश पूरी ना  हो सके तो क्या होता है ?  हो सकता है वह स्थति उसके लिए घातक सिद्ध हो जाए |  यह भी सच है कि केवल दूसरों की भलाई करके ही अपना जीवन नही जिया जा सकता | लेकिन ऐसा करने से उनके हालात में सुधार जरूर हुआ है | 



यह मानना अच्छा है कि अनुभव लेना भी उपलब्धि हासिल करने के सामान एक महत्वपूर्ण बात है | क्युकि हम सदा आंतरिक जगत के बजाय ,बाहरी जगत पर अधिक ध्यान देते | इससे हमारी इस क्रिया की भरपाई हो जाती है | 



एक अर्थ पाने के लिए पीड़ा का होना जरूरी है | लेकिन जानबूझकर पीड़ा को सहन करने वाला मनुष्य एक नायक नहीं बल्कि एक आत्मपीड़िक होता है | प्राथमिकता केवल यही है कि हम पीड़ा देने वाली परिस्थति को कितनी रचनात्मकता के साथ बदल सकते हैं |

जिन लोगो को हर कोई आदर सम्मान देता है | वे कोई महान  कलाकार,महान वैज्ञानिक,  महान वक्त या महान खिलाड़ी नहीं बल्कि वे लोग हैं,जिन्होंने अपना सर ऊंचा रखते हुए अपने जीवन के हर कठिन संघर्ष का सामना किया है | जिंदगी को ऐसे जिओ ,मानो आप दूसरी बार जी रहे हो और आपको अपने पिछले जीवन की सारी भुलों को सुधारने का अवसर मिला हो | महान  चीजों को पाना जितना दुर्लभ होता है उनका अहसास होना भी उतना ही कठिन होता है |   









  






Tuesday, April 23, 2019

आप जैसे विचार करेंगे वैसे ही बन जाएंगे !!!





Image result for जैसे विचारमनुष्य के विचार ही उसके भाग्य का निर्माण करते हैं | व्यक्ति के विचार कोई अमूर्त या अशक्त भावनाएं नहीं हैं | विचार बड़े शक्तिमान ,जीवंत और गतिशील धाराएं हैं जो एक बार प्रकट होने के बाद दबाए नही जा सकते | शुभ विचार व्यक्ति को देवदूतों के सामान सुख समृद्धि और सफलता की और ले जाते हैं | और अशुभ व गंदे विचार व्यक्ति को अवनति और पतन के गर्त की और धकेलते हैं | 

विचारो की अवहेलना अथवा उनकी उपेक्षा करना उचित नही है  | शुभ विचारो के महत्व को समझकर उन्हें ग्रहण करना तथा अशुभ विचारो को त्याग देना ही श्रेयकर है | यदि आपके विचार स्वस्थ होंगे तो आपका स्वास्थ भी स्वस्थ रहेगा | 

विचारो को सिर्फ विचार समझकर अवॉइड ना करें | एक विचार हमे हंसाता है और एक रुलाता है आपने अनुभव भी किया होगा जब हमारे मन में एक नेगेटिव विचार आता है तो उसके बाद नैगेटिव विचारो की एक श्रखला बन जाती है और एक बाद एक नेगेटिव विचार आता जाता जिससे हम बिना किसी ठोस वजह  के ही हम परेशान हो जाता है | 

ऐसे ही कभी आपने अनुभव किया होगा कि बिना किसी वजह  के हम बहुत खुश रहते हैं | किसी भी कार्य का सर्जन विचार के रूप में ही होता है | जब कोई क्रिएटिव विचार आए तो थोड़ा रुकर उसका मंथन जरूर कर लेना चाहिए | हो सकता है वो विचार आपकी लाइफ चेंज करने की पावर रखता हो | एक विचार में ही संभावना होती है कि वह किसी को डॉक्टर ,इंजीनियर ,वकील या जज बना देता है | 



Friday, April 12, 2019

इंसान अपनी जिभ्या से अपनी कवर खोदता है !!!


जीभ को संभालकर रखें शब्द बिगडे या हैल्थ बिगड़े दोनों ही हार्मफुल हैं | 
इंसान को पहंचान ने के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत नही है उसकी बोली से ही पता चल जाता है |  

जो धर्म से भृष्ट हो गया हो जिसने पाप करने का दृढ निष्चय कर लिया हो ऐसे व्यक्ति का त्याग करने से व्यक्ति ऐसे निर्भय हो जाता जैसे व्यक्ति हाथ पर बैठे सांप को त्याग देने 
                                 -विभीषण ( रामयण )

जो परिवार से विमुख हो जाता है उसका परमात्मा भी आदर नही करता - मेघनाथ (रामायण )

कोई भी महत्वपूर्ण कार्य बिना सोचे समझे नही करना चाहिए जिसके लिए बाद में पछताना पड़े इसलिए उचित ,अनुचित व परिणाम के बारे में सोच कर ही कार्य करें |  

पुत्र का कर्तव्य है जीते जी पिता की सेवा करना मृत्यु के बाद सुगति दिलाना | 

ये विश्वास रखो सपने पुरे होने में देर नही लगती | 
- तिरजटा राक्षसी  

अपने शरीर को स्वस्थ रखना पहला धर्म है -हनुमान जी 

जिसके पास सत्य है धर्म है ईश्वर भी उसकी रक्षा करता है | 

रामायण में हर संशय का समाधान है | 

देव -देव आलसी लोग करते हैं जिनमे संघर्ष करने की शक्ति नही है | 
-लक्ष्मण 

ईश्वर पर भरोषा करना कायरता नही है | मनुष्य के पास शक्ति केवल काम करने की है उसका फल विधाता के हाथ है | 

सुख और दुःख तो केवल मन की स्थति का नाम है | किसी को दोष देने से किस्मत नही बदल जाती मनुष्य अपने ही कर्मो का फल पाता है | 


महाभारत में लिखा है कि - " जो इंसान अपने कार्य से आशाए व इच्छाएं नही रखता उसी व्यक्ति के कार्य पूर्ण होते हैं | एक असफलता से दुखी होकर जिसका मन नही डोलता ,एक सफलता से आनंदित होकर खुद को श्रेष्ठ नही मानता ऐसा व्यक्ति जीवन में बार - बार सफल होता है "  

Monday, April 8, 2019

सफलता की गारंटी !!!

हाय दोस्तों में ललतेश यादव ! दोस्तों आप क्या मानते हो कि सफलता हमारी मेहनत, प्लानिंग, जनून से मिलती है ? या इसका कोई और कारण है ? में ऐसा नहीं मानती मेरा मानना है कि परमात्मा ने हर इंसान को कोई ना कोई टैलेंट दिया है किस्मत में कुछ विशेष लिखा है और जो जिसके जीवन में लिखा है वैसा ही उसके जीवन में होकर रहता है | मम्मी कहती थी कि -

" देश ,काल और पात्र का जब मिलता संयोग ,करता को ढूढे कर्म" 


जो होना होता है वैसी  ही परिस्थति वैसे ही संयोग वैसा ही माहौल बनता चला जाता है वैसे लोग तुम से जुड़ते चले जाते हैं | आपने देखा होगा कि कई बार छोटी सी बात से परिस्थति बिगड जाती है और तब इंसान लाख कोशिस करने के बाबजूद भी उसे नही संभाल पाता | और कई बार बड़ी से बड़ी परेशानी को भी चुटकियों मे हल कर लेते हैं| 

कई लोगों के साथ हमारा काफी मनमुटाव होने के बाबजूद भी रिश्ते बने रहते है कई बार बिना किसी ठोस वजह के भी  हमारे रिश्ते बिगड़  जाते हैं | इन सभी बातों का क्या मतलब है ? में तो यही मानती हूँ इंसान सिर्फ एक कठपुतली है वह सिर्फ परमात्मा के नचाये नाचता  है | जैसे परमात्मा को नचाना होता है वैसे ही उसकी बुद्धि ,परिस्थति, संयोग, और तो ओर दोस्त भी वैसे ही मिला देता है |  

अगर ऐसा ना होता तो आप देखते हो कि एक घर में एक बच्चा पेरेंट्स का नाम रोशन करता है और दूसरा उनकी बदनामी का कारण बन जाता है | एक बच्चा हर सुख देने की कोशिस करता है और एक टेशन के सिवाय कुछ देता ही नहीं है | 

जो सुख दे रहा है उसके साथ हमारे अच्छे कर्मो का संयोग  है और जो दुःख दे रहा है उसके साथ हमारा दुःख का ही संयोग है | इस लिए लाइफ में जो भी हो रहा है अच्छा या बुरा उसे अपने ही कर्म का फल मानकर स्वीकार कर लो | इसका मतलब ये नही है कि उसे सुधारने की कोशिस ना की जाए इसका मतलब ये है की अगर लाख कोशिस  करने से भी नही संभल पा रहा  हो तो उसे स्वीकार कर लो  समय के अनुसार सब ठीक हो जाता है | मेरी मम्मी कहती थी -

" मौन रहो धैर्य रखो ,समय आने पर सब ठीक  जायेगा "

ऐसे ही अगर आपकी हर कोशिस करने पर भी आप कामयाब नहीं हो रहे तो आप बारीकी से चिंतन करो उसका सलूशन निकालो और फिर भी आप को रास्ता नजर नही आ रहा तो आप उसे समय पर छोड़ दो समय उसका रास्ता निकल ही देगा | परमात्मा में आस्था रखो | आस्था से आज भी चमत्कार होते हैं |  

एक बात और आप लोगो से कहना चाहुगी की सफलता या असफ़लत के बारे में ज्यादा मत सोचो बस जिस काम को कर रहे हो उसे करते जाओ उसे इंजॉय करो उस पर डटे रहो परिस्थतियों के बिगड़ने या निदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़े क्यों कि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालो की राय बदल जाती है | 




Thursday, February 28, 2019

जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य पार्ट 3 !!!

भले ही हम जीवन में कितनी भी अहसाय स्थति का सामना क्यों न कर रहे हों जिसे बदलना नामुमकिन लग रहा हो या किसी ऐसी स्थति को झेल रहे हो ,लेकिन हमे यह नही  भूलना चाहिए कि ऐसे समय में भी हम जीवन का अर्थ ढूढ़ सकते हैं | जब हम किसी हालात को बदलने की स्थति में नही होते उसी समय हमे अपने आपको बदलने की चुनौती मिलती है | जब पीडा को उसके होने के मायने मिल जाते हैं तो वह पीड़ा नहीं रह जाती जैसे कुछ लोगो के लिए उस पीड़ा का अर्थ बलिदान भी हो सकता है | 




जीवन का अर्थ पाने के लिए यह कतई आवश्यक नहीं कि आपके जीवन में दुःख व कष्ट होना ही चहिए |  जो चीजे जीवन से अर्थ छीन लेती हैं उनमे न केवल पीड़ा बल्कि मृत्यु भी शामिल है | कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं जिनके कारण इंसान को अपना काम करने या जीवन का आनंद प्राप्त करने के अवसर नहीं मिल पाते | लेकिन इस बात से कभी इनकार नहीं किया जा सकता कि अनपेक्षिक पीड़ा को सहन करना ही होता है | पूरी बहादुरी के साथ अपनी पीड़ा को सहन करने की चुनौती लेते ही आपके जीवन को अंतिम क्षण  तक के लिए अपना एक अर्थ मिल जाता है | 


निराशा वादी आदमी अपनी दीवार पर लगे उस कैलेंडर को भय और उदासी के साथ देखता है ,  दिन - ब - दिन पन्ने फाड़े जाने के कारण पतला होता जा रहा है और उम्र बीतने का प्रतीक है | वही दूसरी ओर जीवन की समस्याओं पर सक्रिय रूप से धावा  बोलने वाला व्यक्ति ,अपनी दीवार लगे कैलेंडर के पुराने पन्ने फाड़ता है लेकिन वह उनके पीछे अपने अनुभव से जुड़े कुछ नोट्स लिखकर उन्हें कहीं संभालकर रख देता हैं |  






Wednesday, February 20, 2019

सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है !!!

कोई भी अपनी जोखिम भरी कल्पनाओं से परे  सफलता हासिल नही कर सकता ,बशर्ते पहले जोखिम भरी कल्पनाओं पर सोचना शुरू कर  देना चाहिए
-राल्फ चैरेल    

कुछ हासिल करने की द्रष्टि किसी और इंसान को  देना ही इंसान की सबसे बड़ी भेंट है |
          -आयन रैंड 

हम में से हर एक प्रतिभावन व्यक्ति के रूप में पैदा हुआ है | दुःख की बात यह है कि ज्यादातर लोग  सामान्यता के बीच जीते हुए ही मर जाते हैं | 
आप  जो भी कार्य श्रेष्टता  के साथ करना चाहेंगे कर पाएंगे | और बार आपने वह काम कर दिया आप घर जाकर आराम से चैन की नींद सो सकोगें |

 जो अपने बस में नही है उसके बारे में चिंता करते रहने से इंसान बीमारियों को आंमत्रित करता है | ज्यादातर हम उन चीजों पर ध्यान देते या सोचते रहते है जो अपने वस में नही है या जो कभी हो ही नही सकती | इस बारे में कर्ट वोनेगट का बहुत ही अच्छा व्यक्तव्य है | 

आपके जीवन की सबसे बड़ी समस्या यह है कि आपके मन में जो विचार आते हैं वह चिंता युक्त मन में नहीं आते बल्कि वह उस वक्त आते हैं जब आप किसी दिन आराम से बैठे हैं और वह आपके मन में  आ जाते हैं | 

खुले और सशक्त इंसान की विशेषता यह है कि वह हमेशा सीखने के लिए तैयार रहता है | कठिन समय लोगो को बेहतर बनाता है | हम में से हर कोई जीतने के लिए ही आया हुआ है - काम और जिंदगी दोनों में | 

दोस्तों ! ये समरी रॉबिन शर्मा की '' बुक ''नेता जिसको कोई उपाधि नहीं की पार्ट 1" नेतृत्व व सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है"  की है | 





Monday, February 18, 2019

जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य पार्ट 2 की समरी !!!

किसी को भी कुछ अनुचित करने का अधिकार नही है | भले ही उसके साथ कितना ही बुरा क्यों न हुआ हो | एक मनुष्य अपने आदर्शो व मूल्यों के लिए ही जीवित रह सकता है | 

जीवन में कोई पीड़ा होने का अर्थ हमेशा ये नही होता कि जीवन दयनीय अवस्था से गुजर रहा है | अगर वह पीड़ा खास तौर पर अस्तित्व संबंधी निराशा से जन्मी हो ,तो वह न्यूरोसिस का लक्षण होने की बजाय ,किसी मनुष्य के लिए एक उपलब्धि भी हो सकती है | 

 अर्थ की तलाश करते हुए ,इंसान के भीतर आंतरिक तालमेल की बजाय आंतरिक तनाव भी उभर सकता है | हालांकि मानसिक स्वास्थ के लिए  ऐसा तनाव होना भी आवश्यक है | में मानती हूं कि जो चीज बद से बदतर हालात में भी इंसान को जीवन का अर्थ जानने में मदद करती है वह उसके लिए संसार की सबसे महत्वपूर्ण चीज है | जिस मनुष्य के पास जीने के लिए एक क्यों है ,वह लगभग हर ' कैसे ' को सहन कर सकता है | 

हमे  किसी भी आदमी को उसके जीवन के संभावित अर्थ की तलाश करने की चुनौती देने में संकोच नहीं करना चाहिए | केवल ऐसा करके ही हम उसे उसके आलस से बाहर निकाल कर जीवन के अर्थ की ऒर भेज सकते हैं | 


दर असल हर मनुष्य के लिए उसके जीवन का अर्थ अलग -अलग होता है , जो हर दिन या हर घंटे के हिसाब से भी अलग -अलग हो सकता है | हर व्यक्ति के पास जीवन में कोई विशेष कार्य या मिशन होता है ,जिसे वह पूरा करना चाहता है उसे ना तो बदला जा सकता है और न ही कोई दूसरा कार्य उसका स्थान ले सकता है |  

जीवन की प्रत्येक परिस्थति मनुष्य के सामने कोई न कोई चुनौती खड़ी करती है और उससे  किसी न किसी समस्या का हल निकलना होता है | जिंदगी हर मनुष्य से सवाल करती है |और वह जिंदगी को इस जवाब तभी दे सकता है जब वह अपने जीवन के लिए जवाब देह हो एक ऐसा जीवन जिसकी वह जिम्मेदारी ले सकता हो |  





Saturday, February 9, 2019

प्रेम ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो......

प्रेम ही एकमात्र ऐसा माध्यम है ,जो किसी दूसरे इंसान के भीतरी व्यक्तित्व तक ले जाता है | जब तक आप सामने वाले व्यक्ति से प्रेम नही करते ,तब तक उसके दिल की गहराइयों के पार नही उतर सकते | इंसान अपने प्रेम के बल पर ही अपने प्रियतम की खूबियों व गुणों को जान पाता है | और इतना ही नही वह उसमे छिपी सम्भावनाओ को साकार करने में अपनी ओर से अहम भूमिका निभाता है | 

प्रेम को केवल काम वासना संबंधी प्रवृतियों व आवेगों का निर्माता ही नही माना जाता | प्रेम भी सेक्स की तरह ही एक प्रमुख कारक है | यदि सेक्स प्रेम व्यक्त करने का साधन बने ,तो ही इसे जायज माना जाता है व पवित्र भी मान लिया जाता है | प्रेम को केवल सेक्स के प्रभाव के तौर पर नहीं लेना चाहिए | सेक्स तो उसे व्यक्त करने का माध्यम है | 


प्रेम में ही मुक्ति है | प्रेम ही अंतिम व उच्चतम लक्ष्य है ,जिसकी एक मनुष्य आकांक्षा कर सकता है | जब अवसाद व दुख के कोहरे के बीच मनुष्य खुद को सकारत्मकता से साथ प्रकट न कर सके ,जब अपने कष्टों को अच्छी तरह सहना ही उसकी एकमात्र नियति रह जाए - जो कि एक सम्मान जनक उपाय है -जो ऐसी दशा में वह अपने मन बसी प्रियतम की छवि का मनन करके संपूर्ण संतोष पा सकता है | एक छोटी सी बात भी आनंद का कारण बन सकती है | 



इंसान  इस संसार में अपनी कामनाओं या वासनाओं की पूर्ति से संतुष्ट होने के लिए नहीं आया है और न ही अपने अहं की पुष्टि करने या समाज व पर्यावरण के अनुसार अनुकलन करने आया है बल्कि किसी अर्थ को पूरा करने के लिए संसार में आया है |

जिससे भी मनुष्य प्रेम करता है उसे हासिल कर ही लेता है चाहे वह प्रेम किसी व्यक्ति ,सामान या किसी ओहदे से हो यही लो आफ अट्रेक्शन का नियम है | जिन लोगो को किसी ओहदे या बिजनिस में बड़ा मुकाम हासिल करने की चाह होती है वे लाख परेशानी या रुकावट आने के बाबजूद अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं | 


प्रेम और मोह में फर्क है प्रेम मजबूत बनाता है और मोह कमजोर बनाता है | चाहे वो मोह  कुर्सी , सत्ता  इंसान या किसी वास्तु से हो जिस चीज से आपको मोह होगा उसके बारे में आपका मोह सही निर्णय नही लेने देगा |  उसे खोने का डर आप पर हावी होगा | जिसकी वजह से आप सब कुछ जानते हुए भी गलत  का साथ दोगे | 

जब बच्चो को प्रेम करते है तो उन्हें संस्कार सभ्यता ,टेलेंटिड बनाने उनका भविष्य संभालने के लिए उन्हें कठोर दंड़ भी देते हैं | उनकी किसी भी गलती को इग्नोर नही करते | लेकिन जब मनुष्य मोह में अँधा होता है तो सही गालत का निर्णय ना करके उनकी गलतियों को इग्नोर कर देते जो की  आगे चलकर बच्चो के लिए घातक सिद्ध होती है | 

दोस्तों! ये सामरी विक्टर ई फ्रैंकल की ' बुक '  "जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य "





Thursday, February 7, 2019

जीवन का उद्देश्य क्या है ?


Related imageअगर जीवन में कहीं भी कोई भी सार्थकता है तो कष्ट के भी अपने मायने हो जाते हैं | कष्ट जीवन का एक ऐसा हिस्सा है जिसे अलग नही किया जा सकता | इसे भाग्य व मृत्यु की तरह जीवन से जुड़ा हुआ ही जानें | कष्ट व मृत्यु के बिना मनुष्य का जीवन पूरा नही हो सकता | 



मनुष्य को हर स्थान पर भाग्य का सामना करना होता है , उसके पास ऐसा अवसर हमेशा होता है कि वह अपने ही कष्टों से स्वयं कुछ हासिल कर लें | जिस व्यक्ति ने खुद को अपने भविष्य से तोड़ लिया हो वह अकसर अतीत के विचारो में ही उलझा रहता | 

असाधारण किस्म की बाहरी कठिन अवस्थाएं ही इंसान को आध्यात्मिक रूप से उन्नत होने का अवसर देती हैं | जिस व्यक्ति के पास जीवन जीने का कोई कारण रहा हो ,उसके लिए सब सहन करना सरल हो जाता है ,जो करना जरूरी हो |

जिस व्यक्ति के जीवन में कोई उद्देश्य ,लक्ष्य या अर्थ न रहा हो उसे किसी तरह से जीने के लिए लुभाना आवश्यक होता है , ताकि उसे लगे जीने का अभी कोई सार बाकि है |अन्यथा उसके लिए जीवन में कुछ भी शेष न रहता | 



जीवन का असली उद्देश्य यही है कि तुम उसकी समस्याओं का उचित हल ढूढ़ने का दायित्व उठाएं और उन सभी कामों को पूरा करें , जो जीवन ने प्रत्येक व्यक्ति के लिए तय कर रखें हैं | 



जीवन का अर्थ अज्ञात व संदिध नही हो सकता इसे बहुत ही वास्तविक व ठोस होना चाहिए| हर परिस्थति अपने अनूठेपन के कारण सबसे अलग होती हो और उस परस्थति दुवारा सामने रखी गई समस्या का केवल एक ही उचित हल होता है |    



आप किसी सार्थक गतिविधि के माध्यम से सक्रिय सर्जन करते हुए कुछ हासिल करें व एक उद्देश्य के साथ आगे बढ़े | 


जब किसी मनुष्य को एहसास होता है कि उसका स्थान कोई दूसरा नही ले सकता तो इस तरह  वह अपने असितत्व के लिए एक जिम्मेदारी का अनुभव करता ,ऐसी  जिम्मेदारी जो अपनी पूरी भव्यता के साथ निरंतर बनी रहती है |  

आपने जो भी अनुभव पा लिया है ,संसार की कोई भी ताकत उसे आप से छीन नही सकती | मेरे इन शब्दों का उद्देश्य यही था कि हम अपने जीवन का सम्पूर्ण अर्थ पा सकें | 

दोस्तों ! ये समरी विकटर ई फ्रैंकल की बुक 'जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य '' पार्ट 2 जीवन का उद्देश्य की है |  






Thursday, January 31, 2019

समृद्धि का रहस्य !!!

जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य पार्ट 1 !!!


जिस व्यक्ति के पास अपने जीवन के लिए एक क्यों है ,वह किसी भी तरह के कैसे को सहन कर सकता है | किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन में सबसे बड़ा कार्य यही है कि वह अपने जीवन के अर्थ की तलाश करें | 


व्यक्ति चाहे तो वह वीर ,मर्यादित व गरिमामयी बना रह सकता है | या फिर स्वयं को महफूज रखने के प्रयास में वह अपने मानवीय गरिमा को भुलाकर ,किसी पशु से भी बदतर व्यवहार कर सकता है | मनुष्य का आंतरिक बल उसे नियति से भी परे ले जा सकता है | 



जो बल आपके नियंत्रण से बाहर है वह आपकी एक चीज को छोड़कर आपसे बाकि सब कुछ छीन सकता है , लेकिन आपसे आपकी आजादी नहीं छीनी जा सकती कि आप उस नकारत्मक हालात के साथ किस तरह पेश आएंगे | आपके साथ जीवन में जो हुआ ,उस पर आपका वश नही है |  लेकिन आपने उस घटना के प्रति क्या अनुभव किया और उसके साथ कैसे पेश आए वह तो हमेशा से ही आपके वश में रहा है | 



जिस व्यक्ति का स्वाभिमान हमेशा दुसरो से मिले आदर व मान पर टिका होता है  उसे भावनत्मक रूप से नष्ट होने में जरा भी देर नहीं लगती | 

सफलता को अपना लक्ष्य मत बनाओ | तुम इसे जितना अधिक अपना लक्ष्य या उद्देश्य बनाओगे तुम उससे उतनी ही दूर होते जाओगे | ख़ुशी की ही तरह सफलता को भी कही पाया नहीं जा सकता इसे तो परिणाम स्वरूप पाया जाता है |  


जब भी हम अपने से भी विशाल किसी ध्येय से जुड़ते है या अपने से परे  किसी दूसरे के समर्पित होते हैं तो उसके फल स्वरूप ख़ुशी या सफलता प्राप्त होती है | ख़ुशी या सफलता अपने -आप ही घटते हैं आप चाह कर भी इन्हें अपने लिए घटने पर विवश नही कर सकते | एक मनुष्य के रूप में हम किसी भी चीज के आदि हो सकते हैं |



प्रेम में ही मुक्ति है | प्रेम ही अंतिम व उच्चतम लक्ष्य है ,जिसकी एक मनुष्य आकांक्षा कर सकता है | जब अवसाद व दुख के कोहरे के बीच मनुष्य खुद को सकारत्मकता से साथ प्रकट न कर सके ,जब अपने कष्टों को अच्छी तरह सहना ही उसकी एकमात्र नियति रह जाए - जो कि एक सम्मान जनक उपाय है -जो ऐसी दशा में वह अपने मन बसी प्रियतमा की छवि का मनन करके संपूर्ण संतोष पा सकता है | एक छोटी सी बात भी आनंद का कारण बन सकती है | 

भाग्य को अपना काम करने देना चाहिए | कई बार जब सामने वाला अपनी उदासीनता या बेपरवाही की हद कर दे तो आपका चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है | इंसान पर अपने माहौल का बहुत असर होता है या ये कहिये कि मनुष्य अपने आसपास के माहौल के असर से अछूता नही रह सकता |   



एक मनुष्य से सब कुछ छीना जा सकता है : मानवीय स्वतंत्रता से जुडी हर चीज छीनी जा सकती मगर उससे यह चुनाव करने की छमता नहीं नहीं छीनी जा सकती कि वह किन्ही परिस्थतियों का सामना किस रवैये के साथ करेंगे और अपने लिए कौन सा मार्ग चुनेगा | आध्यात्मिक आजादी को हमसे कोई नही छीन सकता -वही हमारे जीवन को सार्थक तथा अद्देश्यपूर्ण बनती है |   


दोस्तों ! ये समरी विक्टर ई फ्रेंकल की "बुक" जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य की है | 

Wednesday, January 2, 2019

विचार ही भाग्य का निर्माण करते हैं !!!

शरीर को स्वस्थ रखने का सीधा व सरल उपाय है - मन को स्वस्थ रखना | तभी कहा भी गया कि जैसा मन वैसा तन | यदि मन में विकार तथा दुर्बलता बने रहेंगे तो सच जानिए ,आप स्वस्थ होते हुए भी रोगी सा अनुभव करेंगे | मन और तन का संतुलन होना आवश्यक है | अपनी जीवन चर्या संतुलित करिये मन को द्रढ़ विचारो से परिपूर्ण करिए -फिर देखिए ,रोग चाहते हुए भी आपके पास फटक नही पाएगा | यही स्वास्थ का मूल मन्त्र है | 

अस्वस्थ शरीर वाला व्यक्ति स्वस्थ और सशक्त चिंतक कैसे हो  सकता है ? अस्वस्थ व्यक्ति के विचार भी अस्वस्थ ही होते हैं | क्यों कि मन के कुविचार तन पर बहुत जल्दी कुप्रभाव डालते हैं जिससे व्यक्ति का शरीर रोगी हो जाता है | इसलिए स्वस्थ ,सुखी और शांतिमय जीवन के लिए यह परम् आवश्यक है कि शरीर और मन के स्वास्थय में संतुलन बना रहे | 

कुछ लोगो का जीवन इतना तनाव पूर्ण रहता है कि रात में उन्हें नींद आती ही नही है | और आती भी है तो हल्की और कच्ची तनिक -सी आहत से ही टूट जाती है | उस समय में वे बिस्तर पर करवट बदलते रहते हैं | अनेक विचारो में व्यस्त रहते हैं | अनेको चिंताए उन्हें घेरे रहती हैं जिसकी वजह से निरतर उनका स्वास्थ बिगड़ता रहता है और व क्रमश : अनिद्रा के रोगी हो जाते हैं | आपने ऐसे व्यक्ति भी देखे होंगे जो अनिद्रा के रोगी होते है जिन्हे रात में नींद लाने के लिए नींद की गोलियां खाते है इंजेक्शन लगवाते हैं या अन्य किसी नशीले तत्व का प्रयोग करते हैं | 

नींद वस्तुत : प्रकृति दुवारा आयोजित और निर्धारित एक प्रकार से विश्राम की सिथति है | दिन भर काम करने से व्यक्ति का शरीर और मन थक जाता है | डाक्टरों का कहना है कि कार्य में लगे रहने से शारीरिक तत्वों में टूट फुट होती रहती है | और वे विखडिंत होते रहते हैं | इसी प्रकार मन भी दिनभर विचारो और चिंतन के कार्य में लगे रहने के कारण थक जाता है | इसलिए उसे विश्राम की जरूरत होती है | रात्रि में नीद के दुवारा शरीर और मन  दोनों को विश्राम मिलता है | जिसके दुवारा उनकी थकान दूर होती है | और व प्रातकाल तरोताजा होकर दिनभर के परिश्रम के लिए तैयार हो जाता है | 

जिन लोगो को नींद नही आती उनके शरीर को विश्राम नही मिल पाता जिसकी वजह से उनका शरीर कमजोर व दुर्बल होता जाता है | इन बातो का असर उनके व्यवसाय ,व्यापार अथवा नौकरी आदि पर भी प्रभाव पड़ता है | 

यदि आप लड़ते झगड़ते ,चीखते चिल्लाते अथवा चिंता में फंसे हुए बिस्तर पर जाते हैं इसका अर्थ यही है कि आप नींद को दूर भगा रहे हैं | अगर आपको नींद आ भी गई तो उससे वो लाभ प्राप्त नही होता | जो स्वस्थ नीद से होना चाहिए | तनाव पूर्ण स्थति में सोने से हम तरोताजा होकर नही उठ सकते |   
  
विश्राम करने का मतलब ये नही कि जब और जहां जी आया लेट गए और सोच लिया कि हमने आराम कर लिया | वह विश्राम नही बल्कि अपना समय नष्ट करना है इससे उद्गीनता और बेचैनी बढ़ती है | विश्राम करने के लिए आवश्यक है कि शरीर स्वस्थ हो, तथा जिस स्थान पर आपको विश्राम करना है, वह भी सुखद हो सबसे आवशयक बात तो यह है कि आपका मन सभी प्रकार के भय ,चिंताओं और सोच -विचार से मुक्त होना चाहिए |  

यह बात सत्य है कि सुख, शांति और समृद्धि के लिए कल्पना की तीव्रता परिश्रम ,उत्साह ,चिंतन व मनन की जितनी आवशयकता है उतनी ही उचित रूप से विश्राम की भी है | 

ये बहुत स्वाभिक सी बात है रोगी मन शरीर को भी रोगी बना देता है | इसलिए स्वास्थ पर ध्यान देना जितना जरूरी है उतना ही मन के स्वास्थ पर ध्यान देना जरूरी है |  

मनुष्य के विचार ही उसके भाग्य का निर्माण करते हैं | व्यक्ति के विचार कोई अमूर्त या अशक्त भावनाएं नहीं हैं | विचार बड़े शक्तिमान ,जीवंत और गतिशील धाराएं हैं जो एक बार प्रकट होने के बाद दबाए नही जा सकते | शुभ विचार व्यक्ति को देवदूतों के सामान सुख समृद्धि और सफलता की और ले जाते हैं| और अशुभ व गंदे विचार व्यक्ति को अवनति और पतन के गर्त की और धकेलते हैं | 
  
इसलिए विचारो की अवहेलना अथवा उनकी उपेक्षा करना उचित नही | शुभ विचारो के महत्व को समझकर उन्हें ग्रहण करना तथा अशुभ विचारो 
को त्याग देना ही श्रेयकर है | यदि आपके विचार स्वस्थ होंगे तो आपका स्वास्थ भी ठीक रहेगा | 


दोस्तों ! ये समरी स्वेट मार्डन की बुक "आगे बढ़ो " की पार्ट 4 की है |