Thursday, May 26, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 9विजय माला में आना है कभी संशय नकरें निश्चय बुद्धि बने। कई बार माया से हारते हैं किसी ने गुस्सा किया हमने भी किया किसी ने गलत बोला हमे चुप रहना था वहा बोले। अपने दिल को बङा बनाओ अपनी बुद्धि को बङा बनाओ।सदा ऊंची स्थिति के श्रेष्ठ आसन पर स्थित रहने वाली माया जीत महान आत्मा भवशांती का दूत बन सबको शांति दो यही आपका काम है।
Monday, May 9, 2022
सफलता का अध्यात्मिक नियम पार्ट 9
Saturday, May 7, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 8
Tuesday, May 3, 2022
Monday, May 2, 2022
सफलता के अध्यात्मिक नियम
Sunday, May 1, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम
Thursday, April 28, 2022
मानव तू स्वार्थी क्यों ?
Monday, April 25, 2022
सफलता के अध्यात्मिक नियम पार्ट 7
Thursday, April 21, 2022
सफलता के आध्यात्मिक सूत्र पार्ट 6
Monday, April 18, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 5
Thursday, April 14, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 4
Thursday, April 7, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम3
Wednesday, April 6, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम 2
Monday, April 4, 2022
सफलता के आध्यात्मिक नियम 1
Friday, January 14, 2022
बता मन तेरा क्या करू ?
बता मन तेरा क्या करु ?
जिसकी मदद की, उसी ने बेईमान बताया। जिस के लिए झुके ,उसी ने अहंकारी बताया । जिनके के दोष छिपाए, उन्ही ने इल्जाम लगाए l जिनके लिए जिए उन्हीं ने बेगाना बनाया । जिसको अपना समझ कर ,दिल हल्का करने के दिल के दर्द बताए,उसी ने घर घर जाकर बदनाम किया । फिर भी तू उनसे लगा बता मन तेरा क्या करु?
जिसको जितना अपना समझा वो उतना ही पराया निकला । सब से धोखा खाया
जो जितने नजदीक आए उतना ही उसने सताया फिर भी तू उनके लिए रोया l तूने उन्हीं को दुखेडे सुनाए बता मन तेरा क्या करु ?
वही पैसा अपना है, वही टाइम अपना है, वही मेहनत अपनी है, जो प्रभु सेवा में लगे नही तो कुछ भी अपना नही है । वही प्रेम अपना है वही खुशी अपनी है, वही दुख अपना है , वही सुख अपना है जो प्रभु से मिला नही तो कुछ भी अपना नही है । वही रिश्तेदार अपने हैं वही दोस्त अपने हैं जो सिर्फ प्रभु से जुड़े हैं। नही तो कोई अपना नही है ।
कितना ही धन कमाए कितनी ही मेहनत करें कितनी ही प्रॉपर्टी जोड़े कितना ही परिवार ब रिश्तेदार या दोस्तो के लिए करे ये दुनिया स्वार्थी है यहां की हर चीज़ झूठी है । यहां कोई अपना नही है ।
कोई चीज़ खुशी नही देती खुशी प्रभू चिंतन से, भ्ग्गति से मिलती है प्रमार्थ से मिलती है पर ये मन वहा लगता ही नही ये मन दुनिया में भागता है जहां सिर्फ दुख है । बता मन तू प्रभु चरणों में क्यू नही लगता ? जहा सच्चा सुख है