Monday, May 9, 2022

सफलता का अध्यात्मिक नियम पार्ट 9

संग का रंग बहुत चढ़ता है। तुम सब रावण की जेल में हो।अशोक वाटिका में बैठे हैं जिससे राम आकार ही बचा सकेंगे।

में और मेरे पन की अलाए खाद को समापत करना ही रियल गोल्ड बनना है।

सब से बहुत मीठी बोली बोलनी है। गलत संग से संभालनी है।

मैं और मेरा  परमात्म इस विधि द्वारा  जीवन मुक्त स्थिति का अनुभव करने  वाले सहज योगी भव।

Saturday, May 7, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 8

तपस्या बड़ा से बड़ा समारोह है। तपस्या से नई दृष्टी नई सृष्टि मिलती है गुणों को दिखने वाली बन जाती है। बोलने का चलने का सोचने का तरीका बदल जाता है। परमात्मा दूर होते पास महसूस होते हैं। देवी गुण आते जाते हैं। हर घड़ी नवीनता आती है।

ज़िंदगी में दुआ लें। दुआ ज़िंदगी को आसान बना देती है। दुखो को टाल देती हैं।
असली घर तो परमात्मा का घर है दुनिया का घर घर तो आपका काम है और काम में तो परेशानी चलती रहती हैं। उन परेशानियों से घबराओ मत।

जो आप बोलते हो उस में सरलता मधुरता सत्यता पवित्रता आनी चाहिए।

हरेक को कुछ ना कुछ देना है। लेना नही है। देने में लेना समाया हुआ है।

अपनी स्थिति मजबूत रखना है बेडौल रखना है।
जो गाली देता है उसका भी बलहरी क्यू कि बहुत पाप होते हैं वो कटे वो हल्के हुए। इससे सहन शक्ति बढ़ेगी। तो बुरा हुआ या अच्छा हुआ ? परमात्मा किसी ना किसी रूप में परीक्षा लेती ही है। खुद खुश रहो ओरो को भी खुश रखो। सफलता के सितारे हो ये मानते हो जहां देवी गुण होते हैं वहा सफलता प्राप्त होती है। विजिय का चेहरा हमेशा हर्षित रहता है।
स्वयं भी डायमंड हो और आपका जीवन भी डायमंड है। तपस्या करनी है तपस्या मतलब परमात्मा को याद करो। सहज योगी बनो।

सुध संकल्प और श्रेष्ठ संग वाले हमेशा खुश रहेंगे।

Monday, May 2, 2022

सफलता के अध्यात्मिक नियम

किसी को दुख नही देना। क्रोध नही करना पाप गति को जानते हुए कोन सा कर्म नही करना। 

दान भी पात्र को देना है। इस पाप की दुनिया को पुन्य की दुनिया बनाना है। श्रेष्ठ मत से विकारो से बचे रहोगे और श्रेष्ठ बनोगे अपनी मन मत पर मत चलो।

पाप क्यू करते हो अपना खर्चा कम कर दो। कर्जा लेकर भी शादी में लगाते हैं उन्हे पतित बनाते हैं। फिर सहन भी करना पड़ता है।

 मीरा ने भी कृष्ण जी के लिए सहा ना। ऐसा पुरषार्थ करो जो बाप दादा से उच्च जाओ। माया से हारे हार माया से जीते जीत। मन संकल्प करेगा पर कर्म बुद्धि विवेक से करना।

घर में रहो पर पवित्र रहो। तुम्हारी लाइफ में रॉयल्टी झलकनी चाहिए। दान करने से पुण्य नही है दान वो है जो पुण्य कार्य में लगाया जाए।

रेगुलर पढ़े बिना उच्च पद पर नही जा सकते

मान शान का त्याग करने से सब के माननीय बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

Sunday, May 1, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम

परमात्मा के पास जाने के लिए टिकट है ज्ञान बीजा है पवित्रता, वहा की मनी है निस्वार्थ की सेवा दुआएं

कर्मो का हिसाब किताब चलता है किसी के आपने 100साल पहले लिए उसे 100बाद ब्याज सहित देना पढ़ेगा सौ साल पहले 10गाली दी ब्याज सहित सुन्नी पड़ेगी किसी को धोखा दिया ब्याज सहित धोखा खाना पड़ेगा। खुद हिसाब लगाओ ब्याज कितना हुआ।

जो सोचते हैं बोलते हैं करते हैं उससे कर्म बनते हैं और हर का फल भुगतना पड़ेगा।

पवित्रता,शुद्ध भोजन, ध्यान,
 मुरली सुनना ( सत्संग) सत्य सरुप बनना।
किसी भी बुराई को टच ना करें।

सत्यता, पवित्रता ,निर्भयता, सभ्यता , अंतर्मुख्ता , वेराग्यवर्ती, अनिच्छा, उपविरामवृति, एकांत वासी, समेट ने की शक्ती, एकाग्रता, कृतज्ञता अकनामी सरलता, करुणा उदारता मधुरता गंभीरता सहन शीलता, निर्हणकारी, आज्ञाकारी,ईमानदारी, फरमान व्रदारी

Thursday, April 28, 2022

मानव तू स्वार्थी क्यों ?

मनुष्य तू स्वार्थी क्यों ?

मै माउंट आबू आई हूं इस वक्त ज्यादातर लोग ऑडिटोरियम देखने गए हैं और मैं आम के पेड़ के नीचे छाया में बैठी हूं आम के पेड़ पर आम लगे हुए हैं जिन्हें देख कर मेरे मन में ये आर्टिकल लिखने की प्रेरणा हुई। मे इस पेड़ को देख सोच रही हूं पुरी सृष्टि सेवा में लगी है और एक हम मानव हैं जो अपने स्वार्थ से ऊपर नही उठते ये धूप सहता गर्मी सहता है पतझड़ सहता है बारिश सहता है और सब कुछ सहने के बाबजूद हम लोगो को धूप से बचाते हैं गर्मी से बचाते हैं बारिश से बचाते हैं खाने के लिए फल देते हैं छाव देते हैं और हम इन्हे अपने स्वार्थ के लिए कटवा देते हैं पुरी श्रष्टि मानव की सेवा करती है और हम मानव अपने स्वार्थ से ऊपर नही उठते😊

Monday, April 25, 2022

सफलता के अध्यात्मिक नियम पार्ट 7

पुरानी देह और देह संबंधी जो दुख देने वाले हैं उनको को भूल प्रभु को याद करो
कर्मातित नही बने तो बीच मे रुक कर सजा भुगतोगे।

जब तक जीना है तब तक सीखना है।

पुरसार्थ करने वाले छिप  नही सकते। श्री मत ले पाप आत्मा बनने से बचना भी है और बचाना भी है।

किसी भी प्रकार के डिफेक्ट से परे रहना ही परफेक्ट बनना है।
चलन और चेहरे से प्योर्टी तब झलकेगी जब संकल्प में भी अपवित्रता का नाम निशान न हो

Thursday, April 21, 2022

सफलता के आध्यात्मिक सूत्र पार्ट 6

सर्व शक्तियों द्वारा हर कंप्लेन को समापत कर कंप्लीट बनने वाले शक्ति शाली आत्मा भव

शांती और धेर्यता की शक्ति से विघ्नो को समाप्त करने वाले ही विघ्न विनाशक है।

अंदर में अगर कोई भी कमी है तो उसके कारण को समझकर निवारण करो क्यों कि माया का नियम है कि जो कमजोरी आपमें होगी उसी कमजोरी के दुवारा वह आपको माया जीत बनने नही देगी। माया उसी कमजोरी का लाभ लेगी और अंत समय में वही कमजोरी धोखा देगी। योग के प्रयोग द्वारा हर कमपलेन को समापत कर कंप्लीट बन जाओ।
ज्ञानी वह है जो ना डरता है ना डराता है।

Monday, April 18, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 5

निश्चय करो हमारा जो कुछ भी है सो परमात्मा का है फिर ट्रस्टी होकर संभालो 
 तो सब पवित्र हो जायेगा तुम्हारी पालना परमात्मा करेंगे। 

परमात्मा का बनने के बाद कोई कुकर्म किया तो सजा कई गुणा अधिक मिलेगी

जो पैसा तुम्हारे पास है वो एक एक पैसा श्रीमत से खर्च करना तुम्हें अपना घर भी संभालना है । एक भी पैसे की बरबादी ना हो लक्ष्मी का सम्मान करें।

प्रालब्ध कब अच्छा बनेगा जब पुरसार्थ अच्छा होगा।
सजना है तो विकारों को तज दो। सद्गुणों से सजना है।

सच्ची कमाई कर हाथ भ्रतू करके जाना है। एक बाप से सच्चा सौदा करने वाला सच्चा व्यापारी बनना है।

सब फिकर परमात्मा को देकर बेफिक्र स्थिति का अनुभव करने वाले परमात्म प्यारे भव

मेरा कहना मुस्कील में
 पड़ना

Thursday, April 14, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम पार्ट 4

कर्म करो उस में फसो मत। मरते वक्त ये विचार होना चाहिए कि परमात्मा में आपकी शरण में आ रही हूं मेरे परिवार में सूख शान्ति रखना अपनी याद इनके दिल में अपनी याद बनाए रखना। दुनियां अपने फायदे की बात करेगी साथ तो तुम्हारे शुभ कर्म ही जाएंगे। जितना टाइम मिले परमात्मा को याद करो। परमात्मा की याद से ही तुम्हारे विक्रम जलेंगे। फालतू वार्तालाप नही करनी है। पवित्रता फॉस्ट है। दुनियां में ऐसा काम करके जाओ जिससे दुनियां से जाने के बाद भी सेवा होती रहे। भोजन करते समय याद में रहना है। दिन में शरीर निर्वाह अर्थ कर्म कर  रात को जाग प्रभु को याद करो। दुसरो की प्रॉबलम समझो।
डबल नशे की स्थिति द्वारा सदा निर्वघन बनने और बनाने वाले विश्व परिवर्तन भव

Thursday, April 7, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम3

इस कलयुग में सब रावण की जंजीरों में बंधे हुए हैं उन्हें जीवन मुक्त बनाना है।

मुखड़ा देख ले दर्पण में कितना पाप किया जीवन मे। अर्थात कितने विकारों पर जीत हासिल की है।

जीवन मुक्त होगे पुरसार्थ अनुसार धर्म अनुसार नंबर वार।

एक बार लक्ष्य मिल गया तो आप विदेश में रहकर भी पढ़ सकते हो।

कलयुग में सुख थोड़े समय का है शांति यहां मिलनी ही नही है। शांति के लिए मन जुबान कर्म पर कंट्रोल होना बहुत जरूरी है।

 जब संकल्प चलता है तो सामने वालो को महसूस हो जाती है इसलिए जितने शुद्ध रहोगे उतनी पॉजिटिव वाई बस फेलेंगी।

इन्सान सिर्फ निमित हो। अब खुद सोचो तुम किस चीज के निमित बनना चाहते हो कुछ अच्छा करना चाहते हो या कुछ और

परमात्मा को पाना है तो परमात्मा को याद करो विक्रम नाश हुए बिना मुक्त नही हो सकते।

कोई भी उलटी चलन नही चलनी है अच्छे गुण धारण करने हैं हमें माता पिता को धारण करना है हमे योग बल से काम क्रोध के हल्के नशे को समापत करना है।

क्या, क्यों, ऐसे और वेसे के सभी प्रसानो से हमे अलग रहना है जो हो रहा है वो मेरे लिए अच्छे के लिए ही हो रहा है। तुम्हारे लिए परमात्मा अच्छा ही करेगा।

स्वयं को मेहमान समझकर कर कर्म करो तो महान और महिमा योग्य बन जाएंगे।

Wednesday, April 6, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम 2

तुम हो कर्म योगी तुम्हें चलते फिरते प्रमात्मा को याद का अभ्यास करना है।

 एक बाप के सिमरन में रह नर से नारायण बनने का पुरसार्थ करो।

रात गवाई सो कर दिन गवाया खा कर हीरा जैसा  अनमोल जीवन कोड़ी बदला जाए।

सिर पर पाप का बोझ है इसलिए रात में जाग कर प्रभु को याद करो।
निश्चय बुद्धि बन परमात्मा से प्रेम करना है बाबा के फ्रमान पर चल माया पर विजय पाना है। याद का चार्ट 8घंटे का बनाना है।

 सारे दिन में व्यर्थसंकल्प व्यर्थ बोल व्यर्थ संबंध संपर्क होता है उस व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो ।व्यर्थ को अपनी बुद्धि में स्वीकार नही करो अगर एक व्यर्थ को भी स्वीकार किया तो अनेक व्यर्थ का अनुभव करायेगा
साधना के बीज को प्रत्यक्ष करने का  साधन है  बेहद की विराग्य वृति।

बिगड़ी हुई तकदीर को बनाने वाला परमात्मा है
जब तकदीर को बनाने वाले को भूलते हैं तब तकदीर बिगड़ती है।

Monday, April 4, 2022

सफलता के आध्यात्मिक नियम 1

मनुष्य भले ही बूढ़ा हो जाए विकार कभी बूढ़ा नही होता है। 

किसी भी आत्मा को हमे दुख नही देना। 

माया बहुत विघ्न डालती है। कई बार ऐसा थपड़ मरती है जिसका असर सालो रहता है।
इन्सान बूढ़ा हो जाता है क्रोध बूढ़ा नही होता।

सपूत बनने के लिए बाबा की श्रीमत पर चलना है जो भी बुरी आदत है चोरी की झूठ बोलने की बुराई करने की आदत को छोड़ना है

 अपना तन मन धन को सेवा में लगाना है। 

सदा हर कर्म में रूहानी नशे का अनुभव करने कराने वाले खुश नसीब भव 

साधनों को सेवा के प्रति यूज करो आराम पसंद बनने के लिए नही।

Friday, January 14, 2022

बता मन तेरा क्या करू ?

         बता मन तेरा क्या करु ?

जिसकी मदद की, उसी  ने बेईमान बताया। जिस के लिए झुके ,उसी ने अहंकारी बताया । जिनके के दोष छिपाए, उन्ही ने इल्जाम लगाए l जिनके लिए जिए उन्हीं ने बेगाना बनाया । जिसको अपना समझ कर ,दिल हल्का करने के दिल के दर्द बताए,उसी ने घर घर जाकर  बदनाम किया ।  फिर भी  तू उनसे लगा  बता मन तेरा क्या करु?

जिसको जितना अपना समझा वो उतना ही पराया निकला । सब से धोखा खाया
जो जितने नजदीक आए उतना  ही उसने सताया   फिर भी तू उनके लिए रोया l तूने उन्हीं को दुखेडे सुनाए बता मन तेरा क्या करु ?

वही पैसा अपना है, वही टाइम अपना है, वही मेहनत अपनी है, जो प्रभु सेवा में लगे नही तो कुछ भी अपना नही है । वही प्रेम अपना है वही खुशी अपनी है, वही दुख अपना है , वही सुख अपना है जो प्रभु से मिला नही तो कुछ भी अपना नही है । वही रिश्तेदार अपने हैं वही दोस्त अपने हैं जो सिर्फ प्रभु से जुड़े हैं। नही तो कोई अपना नही है ।

कितना ही धन कमाए कितनी ही मेहनत करें कितनी ही प्रॉपर्टी जोड़े कितना ही परिवार ब रिश्तेदार या दोस्तो के लिए करे ये दुनिया स्वार्थी है यहां की हर चीज़ झूठी है । यहां कोई  अपना नही है ।

कोई चीज़ खुशी नही देती खुशी प्रभू चिंतन से, भ्ग्गति से मिलती है प्रमार्थ से मिलती है पर ये मन वहा लगता ही नही  ये मन दुनिया में भागता है जहां सिर्फ दुख है । बता मन तू प्रभु चरणों में क्यू नही लगता ? जहा सच्चा सुख है