
"अंजली को खुद टयूसन छोड़ कर आओ, अकेले जाना लड़कियों का ठीक नही है " अंदर से अंजली के पापा बोले ।
"पापा! " नाराज होती हुई अंजली ने कहा, देखो ना मॉम पापा कैसे करते हैं ?
थोड़े दिनों में जब में कॉलिज जाऊगी क्या वहां भी आप मुझे छोडने जाएगी ? अब में बड़ी हो गई हूँ आपके साथ स्कुल या ट्यूशन जाते मुझे शर्म आती है ! बच्चे मजाक खीचते हैं !
मॉम पापा पर नाराज होते हुए बोली " ठीक कह रही है ! तब ये कॉलिज जाएगी,या कही बाहर पढेगी तब भी इसे कॉलिज में छोड़ने जाऊँगी क्या ? अब बड़ी हो गई है अपना भला बुरा जानती है। अपने बच्चों पर विश्वास करना सीखो ।
जाओ बेटी ध्यान से जाना। अंजली ने मॉम को थैक्स कहा और ट्यूसन चली गई ।
पापा मॉल में गए और ये देख कर घबरा गये कि अंजली किसी लड़के के साथ । पापा बदहवास अंजली के पास पहुंचे ! और बोले यहां चल रहा है तेरा टयूशन ? अंजली का हाथ पकड़ कर खीचते हुए मॉल से बाहर चले गयें ।
घर आकर मॉम के सामने खड़ा कर के बताया, कि तेरी लाड़ली मॉल में किसी लड़के के साथ पिक्च्चर देखने गई थी। ये टयूसन चल रहा है ? यही है इसकी समझदारी ? इतना ही भला बुरा समझती है ये । शर्म आनी चाहिए तुमको इसे समझा नही सकती ? इतनी छूट क्यों देती हो ? मेरी इज्जत की तुम्हें कोई परवाह नही है ।
मॉम का सिर शर्म से झुका जा रहा था ,वो बस एक ही बात सोच रही थी कि मेरी बेटी ने ही मेरा विश्वास तोड़ दिया । मैने इसकी हर बात पर विश्वास किया और इसने ऐसा करते हुए मेरे बारे में बिलकुल भी नही सोचा । कि मॉम डेड़ पर क्या बीतेंगी ?
क्या माँ बाप से बढ़ कर बच्चो का कोई हित चाह सकता है ? ' नही " जो माँ बाप बच्चो के हित के लिए सब कुछ कर सकते हैं। कम से कम उन माँ बाप का विश्वास तो मत तोड़ो ।
बच्चो की गलतियों को सिर्फ माँ बाप ही समाज से छुपा सकते हैं उन्हें सुधार सकते हैं । बच्चे अपनी जिदगी में निजी डिशिजन लेकर आगे तो बढ़ते हैं लेकिन कुछ कदमो पर ही डगमगा जाते हैं ।
No comments:
Post a Comment