
सोमेश और नरेश दोनों जुड़वाँ भाई थे । दोनों एक साथ पले, पढे, बड़े हुए । थे तो दोनों जुड़वा भाई लेकिन दोनों की आदत अलग थीं । सोमेश मेहनत पर विश्वास करता था लेकिन नरेश हमेशा भाग्य के भरोसे रहता था ।
दोनों भाई एक ही शहर में आ गए । सोमेश जॉब करता था । और नरेश को एक दुकान खुलवा दी गई। सोमेश अपने कैरियर को लेकर सीरियस था, इसलिए हर काम पर बहुत ध्यान देता। जॉब के साथ साथ वह अपने मैनेजर से आगे बढ़ने के लिए बिजनैस के बारे में सीखता रहता ।
लेकिन नरेश की काम में कोई रूचि नही थी। वो हर चीज भाग्य भरोसे छोड़ देता था । नरेश दुकान पर व दुकान से आने के बाद अपने दोस्तों में गपसप करने में समय बर्बाद करता। और जितना दुकान में बचता वो पैसा दोस्तों व घूमने फिरने में खर्च कर देता । अपनी अपनी आदतों की वजह से ( सोमेश व नरेश) के बीच दूरियां बढ़ती गई ।
नरेश व उसके दोस्त सोमेश का मजाक खीचते । मजाक खीचते वक्त बोलते कि सोमेश हमेशा नोकरों की तरह काम में लगा रहता है । अरे इसी तरह लगा रहा तो इंजॉयमेंट कब करेगा।मिलेगा तो वही जो भाग्य में लिखा है ।
सोमेश उन्हें समझाने की कोशिस करता कि भाग्य कुछ नही होती ।मेहनत से ही कामयाबी मिलती है । इंजॉयमेंट तो कभी भी कर लेगे । पहले में जॉब में और आप मार्किट में पैर तो जमाओ । तभी तो लाइफ में कामयाब हो सकेंगे ।
लेकिन नरेश व उसके दोस्त सोमेश पर बहुत हंसते। की अभी से संघर्ष करेगे तो लाइफ इंजॉय क्या बुढ्ढे हो कर करेगे । अभी इंजॉय करो संघर्ष तो पूरी जिदगी चलता रहेगा । सोमेश का ध्यान अपने काम के प्रति और नरेश अपने दोस्तों में आगे बढ़ता ही गया ।
इस बीच में नरेश ने काफी पैसा बर्बाद किया और सोमेश ने कई बार नरेश की मदद। लेकिन नरेश ने अपनी आदतें नही बदली इसके चलते सोमेश व नरेश के बीच दुरी बढ़ती गई ।
सोमेश ट्रांसफर होकर दुसरे शहर चला गया। और कभी कभी किसी के विवाह आदि जैसे कार्यक्रम में थोड़ी देर के लिए मिलते। सोमेश सबके यहां पहुंचता लेकिन नरेश मन मोजी था कही चला जाता कही टाल मरता । इसलिए समय के चलते एक दूसरे से सालो नही मिले ।
समय बहुत ही तेज गति से चलता है । 17 साल बाद एक घटना घटी । नरेश एक बहुत बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने गया । उसके सामने ही सोमेश आया और एक आफिस चला गया । नरेश ने सोचा की सोमेश भी इस कंपनी में जॉब करता होगा ।
जब नरेश को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया तो नरेश ये देखकर भौचक्का रह गया। कि जिस भाई का में और मेरे दोस्त मजाक उड़ाते थे वो आज इस कंपनी का मालिक है। सोमेश को सामने देखकर नरेश का सिर शर्म से झुक गया ।
जब बोर्ड के अन्य लोगो ने नरेश का इंटरव्यू लिया । तो थोड़ी ही देर में नरेश को रिजेक्ट कर दिया और बोले की ना तो आपके पास कोई डिग्री है। और न ही किसी अच्छी कंपनी में जॉब का कोई एक्सपीरियंस है । अत: आप इस पोस्ट के योग्य नही हैं । ये सुनकर नरेश की आखों में आंसू आ गए वह सोमेश की तरफ मुड़ा ।
इतनी ही देर में सोमेश वहा से उठकर बहार चला गया । बाहर आकर नरेश ने सोमेश से कहा भाई में पिछले कई साल से परेशान हूं । दुकान बंद हो चुकी है काफी कर्जा है । और जिस भी कंपनी में इंटरव्यू देता हूं वो ही मुझे रिजेक्ट कर देते हैं । मुझे कोई छोटी मोटी जॉब दे दे तो मेरे भी बच्चे पल जायेंगे ।
सोमेश ने सोचने के लिए समय मांगा और अपना कार्ड देते हुए तीन दिन बाद फोन पर बात करने के लिए कहा । सोमेश दो दिन बाद ही नरेश से मिला। और नरेश से बोला " मेरी कम्पनी में सब काबिल लोग हैं " और सब कड़ी मेहनत में बिलीव करते हैं। उनमे से कोई भी ऐसा नही है जो मौज मस्ती या भाग्य भरोसे रहता हो। हर इंसान संघर्ष से ही यहां तक पहुँचा है ।
मैने पहले भी कई बार मौके दिए थे। लेकिन तुम खुद को नही बदल सकते । अगर मैंने तेरे को कम्पनी में रखा तो तेरे देखा देख और लोग भी लापरवाही करने लगेंगे। और में उन्हें ना कुछ कह पाऊंगा और ना ही कंपनी से निकाल पाऊगा। तेरी वजह से में खुद बर्बाद हो जाउगा ।
नरेश बोला तो आप मुझे कोई काम नही दोगे ? सोमेश हल्की सी मुश्कान में बोला नही में अपनी कम्पनी में ऐसा आदमी नही रखना चाहता। जो कि भाग्य भरोसे रहे व अपने कीमती समय को कैरियर से ज्यादा मौज मस्ती में उड़ा दे ।
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