
24 साल पहले जब मेरी शादी हुई तो बदनसीबी से मुझे ऐसा परिवार मिला जो बिखरा हुआ था। जहाँ रिस्तो की किसी को कोई कदर नही थी। किसी को किसी की परवाह नही थी । इससे उस घर में लड़ाई झगड़े व बर्बादी शुरू हुई ।
मेरे हस्बेंड व उनके भाई जॉब करने लगे । मेरे हसबेंड के मन में ये बात थी की अगर मेरे छोटे भाई कामयाब हो गए तो घर में शन्ति बन जाएगी और फिर से घर, घर बन जायेगा । इसलिए उन्होंने घर की सारी जिम्मेदारी ले ली ।
मुझे अपने हसबेंड का अपने परिवार के पीछे पैसा खर्च करना अच्छा नही लगता था । कुछ मेरे ससुराल वालो का भी मेरे व हसबेंड के प्रति रवैया अच्छा नही था । ऐसे में ऊपर से तो सब नार्मल लगता था लेकिन अंदर ही अंदर में इस परिवार खिंची खिंची रहती थी ।
जब उनका छोटा भाई ग्रेजुएशन के लिए शहर गया तो हर खर्चे के लिए वो मेरे हसबेंड के पास फोन करते । इस बात से मुझे चीड़ होती थी । एक दिन मैने अपने हसबेंड से गुस्से में कहा की क्या ये भिखारी की तरह जब देखो जब मांगते रहते हैं । क्या ये अपने बेटे की फ़ीस भी नही भर सकते ।
मेरे हसबेंड ने मुझे समझाया की समय समय की बात है। चलता रहता है कोई बात नही थोड़े दिन की बात है वो कामयाब हो जायेगा फिर हमे देने की जरूरत नही होगी ।
इस बात को हुए सालो बीत गए। मेरा बेटा c.a कर रहा था। उस समय मेरे हसबेंड के बिजनेस में ऐसा उतार चढ़ाव आया की मुझे अपने बेटे की कोचिंग की फ़ीस के लिए हर बार किसी ना किसी से मांगना पड़ा ।
अब मेरा घमंड टूट चूका था और में उनकी बजाए खुद को भिखारन महसूस कर रही थी। जरूरत मंद की जो मदद करे वही अमीर है । वरना इस दुनियां में जब आपको जरूरत में फँसना पड़े तो दुनियां में खुद से बड़ा भिखारी कोई नही होता ।
उस दिन मुझे समझ में आया कि अनुभव के बिना डिग्री सिर्फ कागज का टुकड़ा हैं । जैसे डिग्री ले लो और अनुभव ना हो तो डिग्री कागज के टुकड़े के समान रहती है। ऐसे ही मेरे संस्कार भी अनुभव के बिना अधूरे थे । मुझे भी जिदगी का अनुभव उस दिन हुआ ।
कहते है कि - " बड़े टुक खा लो लेकिन बड़े बोल मत बोलो" । " आकाश का थूका अपने मूहं पर आकर पड़ता है" । ये बुजर्गो ने सही कहावतें बनाई हैं । हमे समय रहते जीवन में सीख उतार लेनी चाहिए । नही तो कई बार जिदगी गलतियों को सुधारने का मौका नही देती ।
कहते है कि - " बड़े टुक खा लो लेकिन बड़े बोल मत बोलो" । " आकाश का थूका अपने मूहं पर आकर पड़ता है" । ये बुजर्गो ने सही कहावतें बनाई हैं । हमे समय रहते जीवन में सीख उतार लेनी चाहिए । नही तो कई बार जिदगी गलतियों को सुधारने का मौका नही देती ।
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