
जातिवाद की लड़ाइयों से समाज को सिर्फ नुकसान हो रहा है। और हमारे समाज को कई समस्याओ का समान करना पड़ रहा है।
लोग ये भूलते जा रहे हैं कि ऋषियो ने जाति सिर्फ कार्य के आधार पर बाटी थी। जैसे-
पढ़ाई लिखाई करके समाज को सही राह दिखाने वालो को ब्राह्मण।
खेती करने व देश की रक्षा व जरूरत मंद की मदद करने वालो का बीड़ा उठाने वालो को क्षत्रिय ।
आयत निर्यात ( यानी व्यापार ) करके समाज का हित करने वालो को वेश्य ।
मानव सेवा और छोटे मोटे कार्य करने वालो को शुद्र में बांटा था ।
और अगर आज भी ये बटवारा यहां तक ही रहे तो सही है । इससे अधिक बाटने पर तो सिर्फ नुकसान ही है । जिससे हमारा गांव, शहर, समाज देश तरक्की करने की बजाय गरीबी, बेहाली, अशिक्षा व बेरोजगारी की दल दल में फसता जायेगा। इस समय हमे आपस में लड़ने की बजाए अशिक्षा ,गरीबी, बेरोजगारी, बेहाली व आतंकवाद जैसे बड़े मसलों से लड़ना चाहिए ।
जातिवाद की लड़ाई ने तो हमारे लिए कई समस्याएं पैदा की हैं जैसे -
आरक्षण :- आरक्षण के चलते योग्य बच्चे रह जाते हैं और अयोग्य चुन लिए जाते हैं । आप को ये तो मानना पड़ेगा कि 90 % नम्बर लाने वाला 60 % नम्बर लाने वाले से अधिक योग्य है ? और जब आरक्षण के चलते 90 % वाला इंसान रिजेक्ट कर दिया जायेगा और 60 % वाला चुना जाएगा तो इससे हमारी आने वाली जनरेशन की नीव कमजोर रह जाएगी । और योग्य इंसान को रहते देख मेहनत करने वाले डिमोटिवेट होंगे ।
झगड़े :- जातिवाद के चलते अब आपस में इतनी नफरत बढ़ चुकी है की अब लड़ाई सही गलत की नही रही बल्कि जात पात की बन चुकी है । जिसकी वजह से अहम मुद्दों पर तो लोगो का ध्यान ही नही जाता। जब की मानवता का नारा है।
" हिन्दू मुश्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई "
" जाति तोड़ो राष्ट्र जोड़ो "
ऑनर कॉलिग :-ऑनर कॉलिग के चलते हर साल कई हजार केस कोर्ट में चल रहें हैं । अपने ही अपने बच्चो को मौत के घाट उतार रहे हैं सिर्फ इसलिए की बच्चो ने अपने पसंद से जीवन साथी चुना । जब की जीवन साथी चुनने की छूट तो पहले भी दी जाती थी ।
जहाँ हमारा फॉक्स देश को एक जुट होकर नई पहंचान दिलाने में होना चाहिए। वहां हम आपस में लड़ लड़ कर अपनी एनर्जी पैसा व योग्यता को बर्बाद कर रहें हैं। जब की सब जानते हैं जाति वाद की लड़ाई सिर्फ सत्ताधारी अपने लालच के चलते करवाते हैं जिनका ना कोई धर्म है और ना कोई ईमान । इनका एक नारा है -
जहाँ हमारा फॉक्स देश को एक जुट होकर नई पहंचान दिलाने में होना चाहिए। वहां हम आपस में लड़ लड़ कर अपनी एनर्जी पैसा व योग्यता को बर्बाद कर रहें हैं। जब की सब जानते हैं जाति वाद की लड़ाई सिर्फ सत्ताधारी अपने लालच के चलते करवाते हैं जिनका ना कोई धर्म है और ना कोई ईमान । इनका एक नारा है -
" फुट डालो राज करो "
और भोली भाली जनता इनके चक्कर में आकर अपना , समाज व देश का अनहित कर बैठती है । और अपनी ही लगाई आग में झुलस रही है ।
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