Saturday, November 12, 2016

आज की युवा पीढ़ी एटिकेट्स भूलती जा रही है| चिंता का सबसे बड़ा विषय !!!



Image result for maa baap se jhagda karte bachcheहाय दोस्तों ! आज  कुछ बच्चो के रवैया  को देखकर मन में ये लेख लिखने की प्रेरणा आई । एक तरफ हम इकीसवीं सदी में चल रहे हैं, दिन प्रति दिन प्रोग्रेस की तरफ बढ़ रहे हैं, वही दूसरी तरफ हमारे बच्चे एटिकेट्स भूलते जा रहे  हैं । 

डिग्री  हासिल करने की तो होड़ हैं लेकिन एटिकेट्स पर किसी का ध्यान नही है ।  चिंता का सबसे बड़ा विषय तो ये है की हम पेरेंट्स भी अपने बच्चो के पीछे लाखों खर्च कर के सिर्फ उन्हें डिग्री दिलाने की दौड़ में सामिल हैं। लेकिन एटिकेट्स के मामले में लापरवाह होते जा रहे हैं। जिस का खामियाज हम और हमारे बच्चे आने वाले समय में भुगतेंगे ।  

बच्चो को संस्कार, माँ बाप की सेवा, बड़ो की इज्जत करना , आशिर्वाद लेना, दुआ बदुआ, पूजा पाठ, परिवार से मिलकर चलना सब फालतू की बातें लगती हैं  सब को अन्धविश्वास  बताते हैं । इन्हें समझाओ तो वो बात इन्हें गलत लगती है । जवाब देने में ये अपनी शान समझते हैं, अपना हक समझते हैं । 

अगर  बच्चो के दोस्तों के सामने एक बार उन्हें किसी बात पर टोक दो तो उसमे उन्हें शर्म महसूस होती है । माँ बाप का  डांटना  बच्चो  इन्सल्ट लगती है । किसी से भी दोस्ती कर लेते हैं  और उनके घर आने जाने लगते हैं। 

गलत दोस्तों का साथ सही लगता है। उनका खाना पीना रहना अच्छा लगता। लेकिन ये क्यों भूल जाते हैं कि ये सब अपने पेरेंट्स की खून पसीने की कमाई बर्बाद कर रहे हैं ।

अपनी पसंद की शादी करना चाहते हैं ना करो तो घर से चले जाने की धमकी देते हैं। अधिकतर पढे लिखो को माँ बाप नही चाहिए, सब रिस्ते नाते को तोड़कर चले जाते हैं । इनकी सोच अपनी जिदगी तक सिमित रह गई है । वो ये भूल गए हैं कि - बुरे दिनों के लिए चार लोग चाहिए । 

कई बच्चे तो अच्छे पढे लिखे होते हुए भी पास में रहते हुए अपने पेरेंट्स से अलग रह रहे हैं । पेरेंट्स के जीते जी उनकी कमाई में से हिस्सा ले रहे हैं और जो  अभी नही देना चाहते उन्हें देने के लिए मजबूर कर देते हैं  ।

 ये तक भूल जाते हैं कि उनके अभी और भाई बहन अनमैरिड हैं । इस बात पर वे लड़ने झगड़ने लगते हैं। बोलते वक्त ये तक भूल जाते हैं कि वो अपने पेरेंट्स से  बात कर रहे हैं। जब की पेरेंट्स बच्चो को बाधते नही हैं वे सिर्फ इतना चाहते हैं की बच्चे किसी त्यौहार ख़ुशी या अच्छे दिन में साथ साथ हो । जिंदगी का एक पहलु । 

 न्यू जनरेशन अपने सामने किसी को समझती ही नही है। किसी ने एक दो डिग्री क्या ले लीं खुद को सबसे अधिक समझदार समझने लगते हैं ।अपनी डिग्री के सामने किसी के अनुभव की कोई अहमियत ही  नही समझते। 

 बच्चे  पेरेंट्स को सिखाते हैं कि आप को कुछ नही पता। बच्चो से कोई पूछे की आप क्या जानते हो ? सिर्फ चार डिग्री ले लीं और हो गये समझदार या लाखों कमा कर समझदार बन गए। जितना कमा रहे हो उसमे खुद का गुजारा नही है और पेरेंट्स को सीख़ दे रहे हैं । 


बच्चे ये क्यों भूल जाते हैं कि आज जो भी कुछ तुम हो वो सिर्फ पेरेंट्स की वजह से हो आज जो डिग्री तुम लिए बैठे हो वो पेरेंट्स ने दिलवाई हैं । उन पेरेंट्स ने दिलवाई है जिन्हें आज तुम अपनी ईगो के चलते हर बात में निचा दिखाते हो । 



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