
ये सोच कर चंदूराम ने अपने बेटे को किसी रिश्तेदार के घर भेज दिया । और उनसे कहा की आपको जितने पैसे चाहिए वो में दुंगा लेकिन मेरे बेटे को तुम अच्छी तरह पढ़ाना। रिश्तेदार गरीब थे उन्होंने पहले मना किया लेकिन फिर पैसे की बात सुनकर वो राजी हो गए ।
चंदूराम को एक डर था की उनके रिश्तेदार गरीब तो हैं, लेकिन सत्यवादी हैं कही उनके बेटे में उनका ये गुण ना आ जाए । ये सोच कर उन्होंने अपने रिश्तेदार को समझाया की मेरे बेटे को अपने सत्यवादी व्यवहार से दूर रखना। आपका सिर्फ एक काम है की आप मेरे बेटे को पढ़ा लिखा दें ।
चंदूराम का रिश्तेदार अपने बच्चो के साथ चंदूराम चोर के बच्चे को भी पढ़ाता। लेकिन जब भी बात सच कहने की आती तो वो चुप हो जाता । और अपने बच्चो को अकेले में बुलाकर कहता बच्चो कितनी भी परेशनियों में क्यों ना फंसे हो ! फिर भी सच बोलना आपका एक सच बड़ी से बड़ी परेशानी से बचा लेगा । चंदूराम के बेटे ने ये बात सुन ली ।
चंदू राम का बेटा पढ़ लिख कर घर आया । चंदूराम ने अपने बेटे को अपने ही रस्ते पर चला दिया। और उसको पहली चोरी राजा के घर करने के लिए भेजा ।
राजा भेष बदल कर अपने राज्य में घूम रहा था । राजा ने लड़के से पूछा तुम कौन हो ? लड़के ने कहा में चोर हूँ ! राजा ने कहा तुम कहा जा रहे हो ? लड़का बोला में राजा के महल में चोरी करने जा रहा हूँ ! राजा उस सच को सुनकर स्तम्भ रह गया ।
लड़के के बारे में आगे जानने के लिए ,राजा ने लड़के से कहा में भी चोर हूं ! में राजा के महल में पहले जा चूका हूँ । राजा की तिजोरी में बेसकीमती हीरे हैं। इन्हें चुराओ! आधे आधे बाट लेगे।
राजा ने लड़के को रास्ता बताया । लड़के ने तिजोरी का ताला तोडा वहां देखा की तीन हीरे हैं। लड़के ने दो हीरे लिए और राजा को एक हीरा दे दिया । राजा ने पूछा वहां दो ही हीरे थे ? लड़का बोला नही वहां तीन हीरे थे । अगर में तीनो लाता तो उन्हें बाटने में दिक्कत होती इसलिए में एक वही छोड़ आया ।
राजा ने चोर की सचाई देखकर, दिन निकलते ही ढिढोरा पिटवा दिया ।जिस चोर ने राजा के महल में चोरी की है राजा उसे अपना मुनीम बनाएगा । ये सुनकर सब चौके की एक चोर को मुनीम? राजा ने कहा वो लड़का ही मुनीम बनने योग्य है। क्यों कि उसमे ईमानदारी व सच पर चलने का गुण है । और मुनीम में ये दोनों गुण होने अनिवार्य हैं ।
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