Thursday, November 17, 2016

शादी बराबर वालो में करें| एक कहानी !!!



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माधव सिह एयरफोर्स से रिटायर मेजर थे,  उनके पिताजी की सैदपुर के बड़े जमीदारो में गिनती थी। कहते हैं कि  माधव सिंह व उनके पिताजी के राज में घर से कोई भी जरूरत मंद कभी खाली हाथ नही लौटा ।   



लेकिन समय का कुछ फेर ऐसा आया की माधव सिंह की मौत अचानक हो गई । सब की मदद करने वाले के बच्चो को औरो की मदद की जरूरत पड़ने लगी । 



लेकिन माधव सिंह की पत्नी सुलक्षणा सुशील व अच्छे खानदान की लड़की थी, इसलिए उसने सब कष्ट सहे लेकिन अपने बेटे रवि व शिव  के लिए माँ बाप दोनों का फर्ज निभाया। खानदान की मान  मर्यादा को आंच नही आने दी । जैसे तैसे सुलक्षणा ने रवि व शिव को पढ़ालिखकर कामयाब किया । 



रवि पढ़ा लिखा होकर भी सामाजिक प्रथाओ का विशेष प्रेमी था । सम्लित कुटम्ब व समाज को साथ लेकर चलने का उपासक था। रवि की इस सादगी से पूरा गांव व रिस्तेदारी रवि का बहुत मान सम्मान करते थे । इससे जो लोग अपने परिवार से मिलकर नही चलना चाहते थे, या सेल्फिश किस्म के लोग रवि से घृणा करते थे । रवि हमेशा सबको यही समझाता की घर परिवार में मिलकर चलने से ही समाज में इज्जत मिलती है । 

सुलक्षणा चाहती थी कि रवि की ऐसी बहु आये, जो उस घर की मानमर्यादा का ख्याल रखे और जो इमेज माधव सिंह के समय थी व मानमर्यादा रवि व शिव इस घर की बनाए रखें । और ये तभी हो सकता है जब घर में बहु डाउन टु अर्थ हो । 


एक दिन प्रीति को उसने कंडे थापते हुए देखा । देखते ही उसके मन में आई की ऐसी ही लड़की मेरे घर के लिए ठीक रहेगी । पढ़ी लिखी भी लग रही है और देखने में सुंदर और सुशील है जरूर किसी अच्छे खानदान की है ।  इस गांव की तो नही लग रही ।

सुलक्षणा  ने प्रीति का पता लगाया ये किस की लड़की  है ? पता चला की प्रीति ब्रह्मजीत की बहु की दूर की भतीजी है । ब्रह्मजीत की बहु बीमार है इसलिए इसे बुलाया हुआ है । बात बातो में पता चला की प्रीति  बहुत ही होशियार व मेहनती लड़की है लेकिन बहुत ही गरीब घर की है  । 


सुलक्षणा कुछ सोच में पड़ गई कि इस लड़की को में अपने घर की बहु बनाना चाहती हूँ पर कही ये कल मेरे घर में आकर उचखल ना हो जाये । कहते है खाली घडा ज्यादा छलकता है कही ये लड़की भी हमारे घर में आकर छलने ना लगे । 


दूसरे ही पल सोचने लगी ये तो समय समय की बात है, मेरे जीवन में भी कुछ समय ऐसा आया था जब मेरे पास भी कुछ नही था । जरूर ये लड़की समझदार निकलेगी । और ये सोचकर उसने प्रीति की शादी अपने बेटे के रवि के साथ करा दी  ।


थोड़े ही दिनों में प्रीति ने अपना रंग दिखाना शुरू किया। प्रीति के भाई बहनो ने  हमेशा के लिए वही डेरा जमा लिया । प्रीति के हाथ में सब कुछ था लेकिन अब उसे अपनी सास का  घर में रहना अखरने लगा । 

 प्रीति सोचती थी की में अपने हसबेंड के साथ चली जाऊ तो मेरे घर वालो का रहना खाना किसी को नही दिखेगा । में अपने भाई बहनो की खुलकर मदद कर सकुंगी  ।  अब हर बात की खबर मेरी सास को रहती है । जिससे मुझे इनके शर्मिंदा होना पड़ता है ।

कई बार प्रीती ने  अपने हसबेंड रवि से साथ चलने के लिए कहा लेकिन रवि चाहता था की प्रीति मेरी माँ के पास रहे । माँ गांव घर व इतनी जमीन ज्यादाद को छोड़ कर कभी  साथ नही चलना चाहेगी । और शिव भी बाहर रहता है माँ को अकेला नही छोड़ सकते । 



जब प्रीति को अपनी एक भी चलती ना दिखी तो प्रीति एक दिन घर छोड़ कर चली गई। प्रीति को ढूढ़ते ढूढ़ते पूरा दिन पुरी रात गई । सुबह 5 बजे  प्रीति का फोन आया कि में जौधपुर के रेलवे स्टेशन पर हुं  रोने लगी की मुझे आप ले जाओ । 


रवि और उस का दोस्त श्याम उसे लेने पहुंचे । तब प्रीति ने फंड फैलाया की मुझे मम्मी ने मरने के लिए मजबूर किया था ।  में मरने के लिए यहां आई थी, लेकिन बच्चो की सोचकर मर ना सकी ।  

जब की इस चाल में प्रीति की बहन व परिवार वाले भी शामिल थे । उन्होंने रवि व रवि के परिवार वालो को परेशान देखकर भी एक बार भी ये नही बताया की प्रीति वहा है।  

उल्टा प्रीति को मारने की व दहेज  के लिए प्रताड़ित करने का मुकदमा दायर करने की धमकी देने लगे । जब की ये सब जानते थे  कि शिव बाहर जॉब करता है। और प्रीति की सास बहुत बुजर्ग है जो खुद दो रोटी बना कर नही खा सकती वह प्रीति को क्या दुःख देगी । 


रवि व रवि के परिवार वाले दुखी थे की अब क्या करें ? प्रीति की हकीकत सामने थी । अगर प्रीति से रिस्ता तोडा जाए तो प्रीति के घर वाले दहेज का नाटक करके लाखों खीचना चाहेगे वो पहले भी प्रीति की भुआ से मिलकर भुआ  की ससुराल वालो के साथ ऐसा कर चुकें हैं । 


इससे समाज में हमारी बेजयति होगी और रवि के भी लड़की है कल कोई अच्छा परिवार उसका रिस्ता नही लेना चाहेगा । प्रीति की करनी की सजा प्रीति व रवि की लड़की को उठानी पड़ेगी । प्रीति तो अपनी भुआ की तरह कही और शादी करके बैठ जाएगी । ये सोच कर रवि व उसके माँ और भाई ने यही डिशिजन लिया की रवि इसे अपने साथ ले जाए । अब प्रीति खुश है। 


लेकिन ये कड़वा सत्य समय भी नही बदल सकता । जो रवि समाज गांव व रिस्तेदारो को मिलकर चलना सिखाता था आज उसी की पत्नी ने रवि का सिर निचा कर दिया आज चाहते हुए भी अपनी माँ की सेवा या देख भाल नही कर  सकता । रवि व माँ और भाई के दिल में हमेशा ये रहेगा की शादी बराबर वालो में की होती तो आज ये नोबत नही आती ।



1 comment:

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