Sunday, July 24, 2016

जिस के पास जो होता है वो ही दे सकता है


हैलो दोस्तों! आज हम इंसान के व्यक्तित्व के बारे में बात करते हैं। जो व्यक्तित्व इंसान का बन चुका है ,उसे खुद भी शायद ही  बदल सकता  है । हम कई बार इंसान को बिना जाने ही रिस्ता जोड़ बैठते हैं । और इतने नजदीक आ जाते हैं की  वो हमारे जीवन का हिस्सा बन जाता है । कई बार ऐसी स्थति बनती है की वही  इंसान हमारी लिए टेंशन का सबब बनता है । आईये  में आप को  आप बीती सुनाती  हुं - 

कई साल पहले एक लेडिस मुझे मिली। उसके मिल जाने पर में इतनी खुश थी की शायद ऐसे इंसान को ही अच्छा दोस्त कहते है । हम कई साल तक साथ रहे अचानक ऐसी स्थति बनी की मेरी और मेरी दोस्त की रिलेटिव में अनबन हो गई। और उस अनबन को उन्होंने अपनी इज्जत का सवाल बना लिया । अगर वो रिलेटिव अकेले रहते तो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे या मेरे सामने खड़े होने की हिम्म्त भी नही कर सकते थे । लेकिन इन्होने मेरे ही दोस्त  को यूज किया और मेरे ही सामने मेरा दुश्मन  बना कर खड़ा कर  दिया जिस की वजह से मुझे  बहुत सी प्रॉबलम्स का सामना करना पडा । मेरी दोस्त को भी रिश्तो की समझ नही है । उसने रिश्तो की गरिमा नही समझी । सही कहा किसी ने  कि -

" समाज में प्रत्येक व्यक्ति के सभी से कुछ न कुछ रिश्ते होते हैं ,और प्रत्येक रिश्ते की अपनी गरिमा है जिसका निर्वाह करना आवश्यक होता है । समस्या वहा उतपन होती है जब हम उस रिश्ते की गरिमा को समाप्त कर केवल अपने स्वार्थ में लिप्त हो जाते हैं ,अन्य सभी के हितो को भूल कर अपना हितसाधन करने का प्रयत्न करते हैं "  

दुसरों के कंधे  बंदूक रखकर आप कितनी देर आप लड़ सकते हो ऐसा इंसान तो हारेगा ही । मेरी दोस्त के रिलेटिव का भी यही हुआ। आज वो दुबारा मुझसे मिल कर मेरे साथ चलना चाहते हैं । और में भी जानती हूँ जिनका खुद का कोई स्तम्भ नहीं होता उनकी कोई वेलु समाज में नही होती। इसलिए उन का जुड़ना या ना जुड़ना मेरे लिए कोई अहमियत नही रखता । आना चाहते हो तो आ जाओ।  और भी कुछ नही तो भीड़ तो बढ़ाएंगे। ये सोच कर मैने भी उन्हें जोड़ने से कोई एतराज नही किया । 
  
अब बात आती है उस दोस्त की जिस की वजह से मेरी इमेज बिगड़ी, टेंशन क्रिएट हुई। अब उस दोस्त को कैसे जोड़ा जा सकता है ? जिसने पहले ही दूसरों के चकर में मेरी इमेज खराब करने की कोशिस की है या जिसकी वजह से टेंशन क्रिएट हुई हैं ।  में ये  भी जानती हुं कि  ये मेरे किसी काम की नही है ये फिर किसी का हाथ का मोहरा बन कर टेंसन  ही दे सकती है। क्यों कि इस के रिलेटिव सेल्फिश हैं और इसकी वे कमजोरी हैं । और रिस्तो में ये वफादार नही है। कहते हैं कि -

" जिंदगी में अपनेपन का पौधा लगाने से पहले जमीन परख लेना ,हर एक मिटटी की फितरत में वफ़ा नही होती "  

में इसे परख चुकी हुं। ये यूज मटीरियल तो  है रिलेशन मटीरियल नही है । इस लिए आगे विश्वास करने की वजह ही नही बचती । वैसे भी कहते हैं कि - 

" स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करो रिश्ते बनेगे नही,और प्यार से बने रिश्ते तोड़ने की कोशिश कितनी करो टूटेगें नही " 

और ये अपनी आदतों से बाज नही आएगी । क्योंकि इसकी  फितरत बन चुकी है । में ये जानती हूँ की ये कभी नही बदल सकती । क्यों कि इस की परवरिश  संस्कार व सोसायटी ही ऐसी रही है । ये अपनी जिदगी जीती ही नही है इस का समय इसकी जिदगी इसकी सोच कुछ भी अपनी नही है इसे जो संसार में मिला वही दुसरो को देती है ।  हमेशा इसने धोखा खाया है और धोखा ही दे सकती है । दुसरो को निचा दिखने में तो इसे मजा आता हैं जब कि कहते हैं कि-  

" दूसरो की परेशानियों का आनंद ना ले ! कही भगवान आपको वही गिफ्ट ना कर  दे !! क्योंकि भगवान वही देता है जिसमे आपको आनंद मिलता है "





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