
दोस्तों ! हर जरूरत मन्द इंसान सम्रद्ध इंसान से मदद की उम्मीद करता है, और हर सम्रद्ध इंसान जरूरत मन्द इंसान से दुरी बनाता है। अगर जरूरत मन्द इंसान पास भी आता है तो एक ही बात दिमाग में आती है कि कही ये कुछ मांगने तो नही आया । गोदामो में अनाज सड़ रहा लेकिन गरीब भूख से तिल तिल मर रहा हैं । सरकार या अन्य लोगो को गरीबो के दुःख से द्रवित होते नही देखा ।
सबको अपने ही पेट की पड़ी है और अपना पेट भरने के कारण कही ना कही हम गरीबो का पेट काट रहे हैं । जो हजारो कमाते हैं, उन्हें लाखो की और जो लाखो कमाते हैं, उन्हें करोड़ो की ऐसे ही बढ़ते बढ़ते हम ये भूलते जा रहे है हमारे ही देश में बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं । जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है। उन्हें हमशे घर गाड़ी या अच्छी लाइफ स्टाइल की नही दो वक्त की रोटी की उम्मीद करते हैं जो उन्हें मुश्किल से मिल रही हैं या भूखे ही सो जाते हैं । कितने ही तो ऐसे लोग देखे जाते है जो सड़को पर रहकर भीख मांग कर गुजर कर रहे हैं ।
आप और हम सभी ये देखते है की जो गरीबो के लिए पेंसन या अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं या ज्यादातर राशन कार्ड पर मिलने वाली मदद का लाभ भी इन गरीबो को नही मिलता इसे भी बीच वाले ही खा जाते हैं । सम्रद्ध लोग ही राशन लाकर खा रहे हैं उन्हें भी गरीब लोगो को नही मिलने दिया जाता। जो गरीबो के लिए योजनाए बनाई भी हैं तो उसे गरीबो के घर तक जाने नही दिया जाता।
सरकारी प्रबन्धक होते हैं वो धन वितरण व अनाज वितरण के झूठे आंकड़े सरकार को दिखाकर सरकार का मुह बंद कर देते है । इसके खिलाप कोई आवाज नही उठता और कोई विरला आवाज उठाने की कोशिस भी करता है तो शक्तिशाली तबका अपने सामर्थ्य से उसका मुंह बन्द कर देता है । अगर सर्वे किया जाये तो गरीबो को मिलने वाली मदद का ९०% हिस्सा आमिर ही रख लेते हैं । पर कोई बोल नही सकता क्यों की ऊपर से लेकर नीचे तक सभी सामिल हैं ।
एक तरफ हमारे देश में जहाँ हर साल पचास हजार करोड़ रुपए के करीब अनाज बर्बाद होता है । वहां दूसरी तरफ करोड़ो लोगो को एक समय की रोटी नसीब नही हो रही है । यह एक विडंबना नही तो और क्या है ? दुनिया में सबसे ज्यादा भूख मरी हमारे देश में है । कृषि प्रधान देश होते हुए भी ऐसा है तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है ? भारतीय किसान सब का पेट भरत है लेकिन खुद ही गरीबी से सुसाइड करता है ।सयुक्त राष्ट की भूख सबधी रिपोर्ट बताती है कि
"दुनिया में सबसे ज्यादा भूख मरी के शिकार भारतीय हैं "
हमारे घरो 25 % खाना कम से कम व्यर्थ जाता है जिसे हम बासी या अन हाइजेनिक मानकर फेक देते हैं लेकिन इन गरीबो के लिए नही सोचते जो हम फेक देते हैं उसे ये खाते हैं। अगर हम साल में २ % भी अपनी कमाई का हिस्सा गरीबो की भूख का इंतजाम करने में लगा दें तो दुनिया में कोई भूखा नही मरेगा । आज के हालात हमारा आवाहन कर रहे हैं की आके हमे बदलो । दोस्तों में कहना चाहती हूं की सबसे बड़ा धर्म किसी भूखे को खाना खिलाना है । भगवान को आप क्या पैसे चढ़ाते हो क्या भगवान उसे स्वीकार करते हैं ? गरीबो को खिलाओ जरूर मंजूर करेगे ।
सबको अपने ही पेट की पड़ी है और अपना पेट भरने के कारण कही ना कही हम गरीबो का पेट काट रहे हैं । जो हजारो कमाते हैं, उन्हें लाखो की और जो लाखो कमाते हैं, उन्हें करोड़ो की ऐसे ही बढ़ते बढ़ते हम ये भूलते जा रहे है हमारे ही देश में बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं । जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है। उन्हें हमशे घर गाड़ी या अच्छी लाइफ स्टाइल की नही दो वक्त की रोटी की उम्मीद करते हैं जो उन्हें मुश्किल से मिल रही हैं या भूखे ही सो जाते हैं । कितने ही तो ऐसे लोग देखे जाते है जो सड़को पर रहकर भीख मांग कर गुजर कर रहे हैं ।
आप और हम सभी ये देखते है की जो गरीबो के लिए पेंसन या अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं या ज्यादातर राशन कार्ड पर मिलने वाली मदद का लाभ भी इन गरीबो को नही मिलता इसे भी बीच वाले ही खा जाते हैं । सम्रद्ध लोग ही राशन लाकर खा रहे हैं उन्हें भी गरीब लोगो को नही मिलने दिया जाता। जो गरीबो के लिए योजनाए बनाई भी हैं तो उसे गरीबो के घर तक जाने नही दिया जाता।
सरकारी प्रबन्धक होते हैं वो धन वितरण व अनाज वितरण के झूठे आंकड़े सरकार को दिखाकर सरकार का मुह बंद कर देते है । इसके खिलाप कोई आवाज नही उठता और कोई विरला आवाज उठाने की कोशिस भी करता है तो शक्तिशाली तबका अपने सामर्थ्य से उसका मुंह बन्द कर देता है । अगर सर्वे किया जाये तो गरीबो को मिलने वाली मदद का ९०% हिस्सा आमिर ही रख लेते हैं । पर कोई बोल नही सकता क्यों की ऊपर से लेकर नीचे तक सभी सामिल हैं ।
एक तरफ हमारे देश में जहाँ हर साल पचास हजार करोड़ रुपए के करीब अनाज बर्बाद होता है । वहां दूसरी तरफ करोड़ो लोगो को एक समय की रोटी नसीब नही हो रही है । यह एक विडंबना नही तो और क्या है ? दुनिया में सबसे ज्यादा भूख मरी हमारे देश में है । कृषि प्रधान देश होते हुए भी ऐसा है तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है ? भारतीय किसान सब का पेट भरत है लेकिन खुद ही गरीबी से सुसाइड करता है ।सयुक्त राष्ट की भूख सबधी रिपोर्ट बताती है कि
"दुनिया में सबसे ज्यादा भूख मरी के शिकार भारतीय हैं "
हमारे घरो 25 % खाना कम से कम व्यर्थ जाता है जिसे हम बासी या अन हाइजेनिक मानकर फेक देते हैं लेकिन इन गरीबो के लिए नही सोचते जो हम फेक देते हैं उसे ये खाते हैं। अगर हम साल में २ % भी अपनी कमाई का हिस्सा गरीबो की भूख का इंतजाम करने में लगा दें तो दुनिया में कोई भूखा नही मरेगा । आज के हालात हमारा आवाहन कर रहे हैं की आके हमे बदलो । दोस्तों में कहना चाहती हूं की सबसे बड़ा धर्म किसी भूखे को खाना खिलाना है । भगवान को आप क्या पैसे चढ़ाते हो क्या भगवान उसे स्वीकार करते हैं ? गरीबो को खिलाओ जरूर मंजूर करेगे ।
No comments:
Post a Comment