
एक विधवा और अनपढ़ माँ अपने बेटे को पालती है । जब उस का बेटा बड़ा हो जाता तो गलत दोस्तों की सगत से और ऊपर रोक टोक ना होने की वजह से उदन्डी हो जाता है । फिर भी माँ तो आखिर माँ है वह बेटे को बड़े लाड़ प्यार से पालती है। बड़े होने पर उसकी एक अच्छी और समझदार लड़की से शादी कर देती है। इससे लड़के के जीवन में भी बदलाव आता है इससे माँ का समय भी अच्छा कटने लगता है । लेकिन शायद ये किस्मत को मंजूर नहीं था। १५ साल बाद बहू मर जाती है । उसके दो बेटे होते है । माँ सोचती है कि अब पोता इतना बड़ा हो रहा है तो बेटे की दूसरी शादी करनी ठीक नहीं होगी| ५ ,६ साल बाद पोते की शादी कर लेंगे । दूसरा अगर इस उम्र में शादी की तो इस उम्र मे कोई अच्छे घर की लड़की नही मिलेगी दूसरी कोई मिली तो हो सकता की बच्चे उसे वो सम्मान दे पाएं या हो सकता की वो लड़की एक माँ का प्यार ना दे पाए ये सोच कर उसकी माँ ७५ साल की उम्र मे खुद बच्चों को पालने की जिम्मेदारी उठाती है । लेकिन कुछ तो बेटा पहले सी उदन्डी था और कुछ बीबी के मरने पर और उदन्डी हो गया । कुछ लोग ऐसे थे जिनकी निगाह उनकी प्रॉपर्टी पर थी उन्होंने मिलकर उसकी शादी करने की बात चलाने लगे और अपनी किसी बहुत गरीब रिस्तेदार की नाबालिग लड़की का रिश्ता लेकर आए । ये बात जब माँ को पता चली तो उसने इस शादी से इनकार कर दिया । उन्होंने लड़के को ही सीखा बुझा कर शादी के लिए तैयार कर लिया और लड़के ने अपनी माँ से पूछे बिना ही शादी कर लाया। अब माँ क्या करें ? माँ ने अपने मन को मर कर बेटे की ख़ुशी के लिए बहु का स्वागत किया। कुछ ही दिनों मे बेटा उन लोगो के साथ बैठ कर शराब में डूबता चला गया ,और घर पर धीरे धीरे बहु का कब्जा होने लगा । एक दिन ये नौबत आई की दोनों पोतो को लेकर दादी को घर से निकाल दिया । शराब में धुत बेटे ने भी बहू का ही साथ दिया । दादी ने कुएं पर झोपडी डाल कर उसमे रही और दूसरों से मदद लेकर उन बच्चों को पाला एक दिन दादी ने अपने बेटे के खेत से थोड़ा अपनी गाय के लिए चारा लेने लगी तो बेटे ने अपनी माँ को ही खेत से धक्का देकर निकाल दिया । ये सब उस का पोता देख रहा था। धीरे धीरे बच्चे बड़े हुए दोनों ही बहुत महंती और समझदार थे । वो पढ़ लिखकर कामयाब हो गए । और उनकी शादी अच्छे घरों की पढ़ी लिखी लड़कियो से हो गई । उधर बुढ़िया के बेटे के और एक बेटा और एक बेटी हो गई। घर का सही माहौल न मिलने और सही संस्कारो के न मिलने की वजह से वो बिगड़ गया । बुढ़िया के दोनों पाले हुए पोते दिन पर दिन तरक्की करते गए और उधर वो घर को बर्बाद करता गया । अब लड़की की शादी करने का वक्त आया अगर लड़की के पिता की हैसियत देखी जाए तो लड़की को किसी गरीब घर में ही शादी कर दी जाए, और अगर बड़े भाइयों को देखा जाए तो शादी समाज के अनुसार की जाए । बड़े भाइयों ने उस लड़की की शादी अपनी हैसियत से भी ऊपर होकर धूम धाम से शादी की । और जरूरत पड़ने पर समय समय पर अपने पिता और माँ की मदद भी की । लेकिन उस छोटे बिगड़े भाई ने इस बात का भी नाजायज फायदा उठाया पिता के बहाने बड़े भाइयों को लाखों का चुना ही लगाया । अब ये बात जब बड़े भाइयो की समझ में आने लगा तो वो धीरे धीरे पीछे हटने लगे । उधर पिता पूरी तरह से बर्बाद हो चूका था । और जब कुछ भी उसके पास ना रहा तो बुढ़ापे मे उसके बेटे और पत्नी ने उसे घर से निकाल दिया । जब ये बात बड़े बेटे को पता चली तो वह अपने घर ले आया । पिता रहता तो यहां लेकिन उसका मन अपने छोटे बेटे और पत्नी मे ही अधिक था। उसे अपने बड़े बेटो की शराफत नजर नहीं आई वह सिर्फ ये सोचता मैने इन्हे जन्म दिया मेरा करना इनका फर्ज है। और वह भी लालच मे अपने बड़े बच्चों से ले जा जाकर उन्हें देने लगा बडा बेटा भी बहुत धैर्यवान और सामाजिक इंसान था। अपने पिताजी की ख़ुशी के लिए देता रहा । अब वो और भी बुड्ढा हो गया । और बीमारी भी ऐसी लग गई की उसमे बदबू आने लगी । अब बूढ़े की पत्नी और बेटा लालच से भी उसकी नहीं कर सकते थे । ऐसे में फिर बूढ़े को बड़े बेटे को लाना पड़ा । अब बेटे की पत्नी और छोटा भाई सेवा करे तो कैसे करे ? पहले तो इतनी बदबू दूसरे पुरे जन्म की उसका गलत व्यवहार तीसरे अब भी बुढ्ढे का लगाव बुढ़िया और वो बिगड़े बेटे अब क्या करें ? जैसे तैसे आखिर तक बड़े बेटे बहु ने किया लेकिन छोटा बेटा और बड़ी बहू दिल से उसकी इज्जत ना कर पाए कही ना कही एक फर्ज और जिम्मेदारी ही सोच कर ये कार्य किया ।
दोस्तों आपने इस कहानी से क्या प्रेरणा ली ?
मैने जो इसमें से उठाया उसे में बताती हुं - आप आज जो भी गलत व्यवहार किसी के साथ कर रहे हो, वो आपके साथ जरूर होगा । अच्छा आपके साथ ना हो गलत जरूर होगा । कहते है ना की अच्छाई चार कदम साथ चलती है और बुराई सात पीढ़ी । दूसरे जो आप अपने बच्चों से अपने लिए व्यवहार चाहते हो वह पहले खुद अपने अभिभावकों के साथ करो बच्चे जो देखते हैं वो सीखते हैं । इसलिए अगर आपने अपनी जिंदगी में गलती की हैं और अब आप की जो थोड़ी बहुत सेवा हो रही है तो उसे भगवान का आशीर्वाद मानकर भगवान का शुक्रिया अदा करो । अपने बुढ़ापे को और ना बिगाडे । और दूसरे जो बच्चों के लिए इससे सिख मिलती है वो ये है कि जो गलती आप के अभिभवकों ने कि वो आप मत करो क्यों की आप के बच्चे आप से सीखेंगे और जो आज आप अपने अभिभवकोंके साथ कर रहे हो कल आपके बच्चे आपके साथ करेंगे और चक्र युही घूमता रहेगा । और कहते है ना लोग आपकी हजार अच्छाइयों को भूल जाएंगे लेकिन अगर आप ने जिंदगी मे एक बुराई की है तो उसे याद रखेंगे। इसलिए आपके साथ में चाहे किसी ने कैसा भी व्यवहार किया हो आप हमेशा अच्छा ही करो, कभी भी खुद को अच्छाई करने से ना रोकें फिर आपकी चाहे सरहाना हो या ना हो बेशक कुछ नुकसान क्यों न उठाना पड़े लेकिन समाज और अपने बच्चों पॉजिटिव मैसेज देने के लिए अच्छाई ही करें । अग्रवाल मूवर्स ग्रुप के चेयरमैन ,श्री रमेश अग्रवाल जी ने भी कहा है कि-
" जो व्यक्ति अपने मत पिता का सम्मान नहीं कर सकता वह कभी सफलता के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता । माता पिता व बड़ो का आशीर्वाद हमारे मानसिक व शारीरिक विकास के लिए जरूरी है । यदि आप चाहते हैं की आपके बच्चे आखरी समय मे आपकी सेवा करें तो ये आप का कर्तव्य है की आप भी अपने माता पिता की सेवा कर आदर्श उपस्तिथ करें "
" जो व्यक्ति अपने मत पिता का सम्मान नहीं कर सकता वह कभी सफलता के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता । माता पिता व बड़ो का आशीर्वाद हमारे मानसिक व शारीरिक विकास के लिए जरूरी है । यदि आप चाहते हैं की आपके बच्चे आखरी समय मे आपकी सेवा करें तो ये आप का कर्तव्य है की आप भी अपने माता पिता की सेवा कर आदर्श उपस्तिथ करें "
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