Friday, July 29, 2016

हर बात में तुनक मिजाज ठीक नही !!!

                  


 मेरी एक फ्रेंड हैं जो ऐज में तो मेरी मम्मी जितनी होगी लेकिन हमारा रिस्ता फ्रेंडली है । वो बहुत अच्छी लेडिस हैं लेकिन उनकी एक ही बात गलत थी कि वो बात बे बात पर तुनक जाती थी अगर हमने उन्हें थोड़ी सी भी अहमियत देने में चूक जाते तो वो बात बात पर तुनक जाती । में इस आदत से बहुत परेशान थी । क्यों कि में एक आजाद पंछी और उनका हर बात में बन्धन। उन्हें झेलने की मेरी ये मजबूरी  थी कि उन्होंने मेरा साथ तब दिया था जब  गांव  के काफी लोग  मेरे खिलाप थे  ।        

में  उन्हें छोड़ना भी नही चाहती थी और उन्हें झेल भी नही पा रही थी अब करू तो क्या करू ?  इस दुविधा में कई साल बीत  गए। और में ये ही सोचती रही की इन्हें सही राह पर कैसे लाया जाये । मेरी सोच  शरू से  ये रहती  है कि  अपनी मत  चलाओ। जैसा ज्यादातर लोग चाहते  हैं  वैसा कर लो  ।  

 में और मेरा फ्रेंड सर्कल हमेशा हर महीने गोर्धन जाते हैं । हम हर बार की तरह  इस बार भी गए, उस दिन बारिश बहुत थी ज्यादर लेडिस बोली कि दोनों परिकम्मा तो पैदल नही लगा पाएंगे इसलिए  एक परिकम्मा पैदल लगाते हैं, दूसरी गाड़ी से लगा लेंगे । जब पैदल की परिकम्मा पूरी हुई तो सब गाड़ी में बैठ लिए लेकिन मेरी वो सहेली नही बैठी और बोली की नही पैदल लगाएंगे । 

मैने उनसे कहा की आप भी  बेठ  जाओ, सब पैदल लगाना चाहते हैं लेकिन वो नही बैठी । मैने सोचा अगर में बार बार कहूंगी तो ये तुनकेगी । मेंने कहा जिसे चलना है वो गाड़ी में बैठ  जाये ।

इतना कहते ही सब बैठ गई , जब मेरी फ्रेंड ने  देखा की ये तो मुझे छोड़ सब बैठ गई  मुझे छोड़ कर जा  रही हैं, तो खुद भी बैठ गई । और बोली की में तो ये देखना चाहती थी की मेरे कहने  से रूकती हैं या नही,  और आप लोगों ने मुझे मनाया भी नही । 

 में बोली अगर हम आपके कहने से रुकते तो सब की मन चाही नही होती और फ्रेंड सर्कल में तो तभी साथ चल सकते हैं जब जिधर ज्यादा लोगो की राय हो उसे मान लो ।  अगर हम सब अपनी अपनी चलाएंगे तो हमारा ग्रुप में काम नही चल पायेगा । और मनाया नही क्यों कि आप और ज्यादा तुनकती ।  ये बात हुए कई साल हो गई उसके बाद उन्होंने आज तक फिर कभी अपनी चलाने की कोशिस नही की और ना ही वो अब बात बात पर तुनकती ।  नही तो वो बात बात पर तुनकती  रहती थीं । 

दोस्तों मैने ये बात इसलिए आपके साथ शेयर की कि अगर हम घर , दोस्त ,समाज व किसी सगठन का हिस्सा बनना चाहते हैं तो अपनी ना चलाये क्यों कि इस तरह हम सब के साथ नही चल पाएंगे । दुसरो की भावनाओं की कद्र करें , और जिधर ज्यादा लोग सहमत हो वो बात मान लेनी चाहिए । हाँ एक बात का ध्यान जरूर रखना की सही बात पर सहमत होना गलत पर नही अगर आप सही बात पर अलग हो रहे हो तो एक दिन सबको आपके पीछे आना पड़ेगा । 


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