Saturday, July 23, 2016

ईर्ष्या से कैसे बचें ?

                    
                                                      
काश कोई ऐसा स्कुल होता, जहां  हिस्ट्री, सोसोलॉजी, मेथ के साथ साथ ' भावना, नाम का भी सब्जेक्ट पढ़ाया जाता । शिक्षा तथ्यो, सूचनाओं और सूत्रों पर केंद्रित रहती है, लेकिन  हमारी बाहरी दुनियां का निर्माण हमारी आंतरिक दुनिया से होता  है। 


सिया और सगीता में बीस साल पुरानी  दोस्ती है। जब सिया से सगीता  के बारे में जाना की आपकी  किस बात से सगीता को सबसे ज्यादा दुःख होता है, तो सच मानों में सुनकर दंभ रह गई, जब सिया ने बताया की जब मेरा कोई भी काम या चीज सगीता से अच्छी होती है, तो  सगीता को  दुःख होता है ।

इंसान इसलिए किसी से जलता है क्योंकि उसके पास वो है जो वो चाहता था कि उसके पास हो इससे उसको वो कभी नही मिल  सकता। अच्छे काम अहसास कराते हैं कि में बेहतर नही हुं ।  मतलब  जब किसी को कुछ ऐसा मिलता है जो आप चाहते हैं की आपको मिले या जब कोई किसी काम को आपसे  बहुत अच्छी तरह करता है  या किसी को अपने से अधिक सम्पन समृद्ध सुखी देखकर या अपने से अधिक योग्य देखर खुद को कमतर मापे। या उसकी वजह से उसका स्थान लेने की अभिलाषा हो आपको बुरा लगे, मन में कष्ट या  जलन हो  तो  उसे ईर्ष्या कहते हैं । 

हम कितने बड़े या बुद्धिमान क्यों न हो जाएं फिर भी किसी दूसरे की सफलता का उतसव पुरे मन से  नही मना पाते । कई  लोग ऐसे  होते हैं की कुछ भी करके दूसरों से ईर्ष्या करना बंद नहीं करेंगे ।

 ईर्ष्या से वही  लोग बच पाते हैं जो ईर्ष्या को प्रेरणा के रूप में लेते हैं । ईर्ष्या अपने मन में नकरात्मकता लाती है और प्रेरणा सकरात्मकता है । नकारात्मकता इंसान को गिराती है और सकारात्मकता इंसान को मंजिल तक पहुँचाती है। ईर्ष्या दूसरों से कमतर महसूस कराती है जबकि प्रेरणा सुखद एहसास दिलाती है कि  किसी और ने ये काम कर दिखाया है और वो उपलब्धि पाई है , इसलिए में भी ये कार्य कर सकता  हूँ ।  ईर्ष्या अवसर को दूर करती है और प्रेरणा उसे आकर्षित करती  है । ईर्ष्या अपने और अपनों के बीच दुरी पैदा कर देती है । पछतावे भरे कदम लेने पर मजबूर कर  देती है । 

 जीन का जीवन पूरी तरह सम्पूर्ण दिखाई देता है उनके जीवन में भी परेशानी व मुशिकलें होती हैं । हम अपने समय को दूसरों की  जिंदगी में झांकने के चक़्कर  में बर्बाद कर  देते है । इन भावनाओं को रोकना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन आगे बढ़ने और रिस्तों को सुरक्षित रखने के लिए ये जरूरी है ।

 ईर्ष्या को भड़काने वाली स्थिति को पहंचाने और भीतर से निपटने के लिए आत्मविश्वास बढ़ाएं । अपने अंदर छिपी   विषेशताओं  व खासियत के बारे में सोचे । ईर्ष्यालु व्यक्ति जो करता है वैसा करने से बचें। जब भी आप ईर्ष्या महसूस करें तो आरोप लगने की बजाय भरोसे मंद व्यक्ति की तरह व्यवहार  करें । अगर आपको आसानी से ईर्ष्या होती है तो शायद आपका अतीत में विश्वास टुटा है, ऐसे में आपको अतीत के बारे में सोचना बंद करना चाहिए। वर्तमान में रहकर सोचना चाहिए।

आप अपना ध्यान उस चीज पर केंद्रित करें जिस पर आपको काम करने की जरूरत है । इससे जल्दी ही आप अपने लक्ष्य पर पहुंचोगे । जिस व्यक्ति ने आपके विश्वास को बार बार तोडा है तो उस रिस्ते को भूलकर आपको आगे बढ़ जाना चाहिए । आप इससे बेहतर के लायक है । 






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