
जिंदगी के हर मोड़ पर किसी ना किसी की मदद की जरूरत पड़ी है फिर आप किसी के जरूरत पड़ने पर मदद करने से पीछे कैसे हट सकते हो ? क्या पीछे हटने के लिए आपका जमीर मानेगा ? क्या आपका दिल नही कचोटेगा ? हाँ जरूर कचोटेगा लेकिन फिर भी कुछ लोग अपने अंतर् मन की आवाज नही सुनते । इतने खुदगर्ज हो जाते हैं की अपने सिवाय किसी के बारे में नही सोचते ।
खुद को जरूरत पड़ती है ? तो दूसरों की मदद करना शुरू कर दो :- जो लोग दूसरों की मदद करते हैं उनकी खुद मदद हो जाती है । ये सिर्फ कहने की बात नही है जो लोग दुसरो की मदद करते हैं उनसे पूछ लो ? स्वामी विवेकानंद जी का कहना है कि -
" दीनानाथ को प्रसन्न करना है तो दरिद्रों की सेवा करो "
हम मंदिर में भगवान देखते हैं लेकिन बात तब बनेगी जब हम उसके बनाए इंसान में उसकी मूरत देखेंगे। उनकी मदद करेंगे । भगवान ने स्रष्टि में सबसे सुंदर रचना इंसान की की है । दुनिया में जितनी भी चीजे हैं सब इंसान की मदद करती हैं जैसे सूरज चन्द्रमा हवा नदी जल पेड़, औषधि पशु पक्षी सब ऐसी अनेक चीजें जो हर समय इंसान के काम आती है लेकिन इंसान सेलफिश होता जा रहा है जो अपने से ऊपर सोच ही नही पाता क्यों ?
" दीनानाथ को प्रसन्न करना है तो दरिद्रों की सेवा करो "
हम मंदिर में भगवान देखते हैं लेकिन बात तब बनेगी जब हम उसके बनाए इंसान में उसकी मूरत देखेंगे। उनकी मदद करेंगे । भगवान ने स्रष्टि में सबसे सुंदर रचना इंसान की की है । दुनिया में जितनी भी चीजे हैं सब इंसान की मदद करती हैं जैसे सूरज चन्द्रमा हवा नदी जल पेड़, औषधि पशु पक्षी सब ऐसी अनेक चीजें जो हर समय इंसान के काम आती है लेकिन इंसान सेलफिश होता जा रहा है जो अपने से ऊपर सोच ही नही पाता क्यों ?
दिखावे ने इंसान को अंधा कर दिया है:- देखो दोस्तों कुछ चीजें जरूरी हैं। लेकिन जरूरत से ज्यादा हम लोग दिखावे में आ गए हैं जैसे कही भी आने जाने के लिए गाड़ी जरूरी है, लेकिन महगी हो ये दिखावा है, फोन जरूरी है लेकिन मेरा फोन दोस्तों में सबसे महगा हो ये दिखावा है, कामवाली रखना जरूरी है लेकिन दूसरों के देखा देख हर काम उनसे कराना दिखावा है । हम इन दिखावे से बच जाये तो जिंदगी बहुत आसान हो जाएंगी। अपनी कमाई के उस हिस्से वास्तव में किसी जरूरत मंद की मदद हो जाएगी । लेकिन होता क्या है की मदद करना तो दूर जो लोग किसी की मदद करते हैं उनकी भी आलोचना करना शुरू कर देते हैं उनपर शक करना शुरू कर देते हैं । आप किसी की मदद कर सकते हो तो अच्छा है लेकिन अगर किसी की मदद नही कर सकते तो मदद करने लायक लोगो को जोड़िये और ऐसे लोगो पर किसी प्रकार का दोषा रोपण मत कीजिये क्यों कि आप किसी की भावनाओ को नही समझ सकते । कहते भी हैं कि
" किसी की गलतीयो को बेनकाब ना कर ,ईश्वर बैठा है तु हिसाब ना कर "
क्या कभी किसी गरीब को देखकर ये लगता की इसे हमारी मदद की जरूरत है ? लगता है तो अपने जमीर की सुनो और नहीं लगता तो आपका जमीर सो गया है उसे जगाओ । और अगर आप किसी की मदद नही कर सकते तो स्रष्टि में मदद लेना बंद कर दो जब आप किसी की मदद नहीं कर सकते तो आपको मदद लेने का भी अधिकार नही है। प्रकृति आप को फिरी में धुप देती है हवा देती है जल देती है साग सब्जी व फल देती है दूध देती है यहां तक की आप जो स्वास आक्सीजन भी आपको प्रकृति दे रही है । अब आप बताओ की आप किसी को क्या दे रहे हो ? कुछ नही ना तो फिर आप सेल्फिश हो ? और सेलफिश को किसी से लेने का अधिकार नही है।
क्या कभी किसी गरीब को देखकर ये लगता की इसे हमारी मदद की जरूरत है ? लगता है तो अपने जमीर की सुनो और नहीं लगता तो आपका जमीर सो गया है उसे जगाओ । और अगर आप किसी की मदद नही कर सकते तो स्रष्टि में मदद लेना बंद कर दो जब आप किसी की मदद नहीं कर सकते तो आपको मदद लेने का भी अधिकार नही है। प्रकृति आप को फिरी में धुप देती है हवा देती है जल देती है साग सब्जी व फल देती है दूध देती है यहां तक की आप जो स्वास आक्सीजन भी आपको प्रकृति दे रही है । अब आप बताओ की आप किसी को क्या दे रहे हो ? कुछ नही ना तो फिर आप सेल्फिश हो ? और सेलफिश को किसी से लेने का अधिकार नही है।
आप की थोड़ी सी मदद से किसी की जान बच सकती है,किसी का जीवन बदल सकता है :- किसी भूखे को रोटी देने से, प्यासे को पानी देने से, बीमार को दवाई देने से, बेरोजगार को रोजगार देने से, उसकी जान बच सकती है उनकी जिंदगी बदल सकती है । में जब मदद के बारे में बाते करती हुं तो कई लोगो ने मुझे कहा की आज के समय में कोई गरीब नही है सब इनके लेने खाने का धंधा है लेने के लिए ही ये गरीब बन जाते हैं । तो उन लोगो को मेरी एक राय है जिन लोगो की हम मदद की बाते करते हैं उन लोगो के बीच में जाकर रहें ,जितने में वो गुजारा करते हैं उतने में वो गुजारा कर के दिखाए । 8, १० हजार रूपये कमाने वाला इंसान कैसे गुजारा कर सकता है या उनकी पत्नी भी कमायेगी कितना ३ ,४,5 इससे अधिक कमा सकती है ? तो आप ही बताओ की इतनी कमाई में ये बच्चों को पढ़ा सकते हैं ,बीमार होने पर डॉकटर को दिखा सकते हैं या इनके विवाह शादी कर सकते हैं? क्या इन्हें मदद की जरूरत नही है ? क्या ये काम सिर्फ सरकार का है ? क्या हमारी कोई जिम्मेदारी नही है ? अगर सरकार से मदद मिलती है तो कितनी ? और कितनो को ? ये लोग तो अपने अधिकार भी नही जानते । अगर ये सरकारी हॉस्पिटल में भी जाते हैं तो इन लोगो को कौन पूछता है हमारे जैसे जाते हैं तो दोस्ती रिस्तेदारी निकाल कर इलाज करवा लेते हैं इन लोगो को तो वहां पर भी कोई देखने वाला नही है ऐसा क्यों ?
चोरी ,बेईमानी, लूट पाट व धोखे का मुख्य कारण गरीबी है :- में ये नहीं मान सकती कोई भी इंसान शौक से गलत कार्य करेगा । जब भी कोई कुछ गलत करता है तो उसके पीछे जरूर उसकी कोई मजबूरी होती है। हाँ बाद में उसकी आदत जरूर बन सकती है ।
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