Tuesday, October 25, 2016

दहेज उत्पीड़न के केश कितने सच कितने झूठ !!!



Image result for dahej utpidan ke kesदोस्तों ! आज तक जितने भी  दहेज उत्पीड़न के केस हुए हैं, क्या वो सारे सच हैं ? ये सारे सच नही हो सकते। दस साल बाद पति पत्नी में नही पटी केस कर दिया दहेज का । जोइंट फैमली है लड़की पसन्द  नही करती । जब उसकी नही चल पाती तो अलग होने के लिए  केस कर दिया दहेज का या सुसाइड करने की कोशिस। आज लड़की या उसके घर वाले जितने परेशान दहेज उत्पीड़न से हैं उससे अधिक लड़के व उसके घर वाले इस कानून से हैं । 

कई महिलाएं वास्तव में पीड़ित हैं। लेकिन 90 % दहेज उत्पीड़न के कैस झूठे पाए जाते हैं । जिन्हें बाद में खुद महिलाएं ही वापिस लेती हैं । आंकड़े के हिसाब से  आज तक हमारे देश में 45  लाख परिवार बर्बाद हुए हैं । और ऐसे तो इससे भी ज्यादा लोग हैं जो सिर्फ घर बर्बाद या जग हसाई ना हो इसके लिए लड़के या लड़के वाले झेल रहे हैं ।  


19 61 में दहेज निरोधक कानून बनाया गया था।  दहेज निरोधक कानून की धारा -8 के अनुसार  दहेज लेना व देना दोनों ही कानून अपराध हैं ।धारा 498a कानून इसलिए  बनाया  गया था कि महिलाओं को उत्पीड़न से बचाया जा सकें।  जिससे दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों  को खत्म किया जा सके । 



लेकिन दहेज कानून के दुरूपयोग अधिक हो रहे हैं। दहेज कानून का दुरूपयोग इस कद्र हो रहा है कि अगर बहु पुलिस के सामने 498a दहेज एक्ट या घरेलू हिंसा के तहत एक लिखित झूठी शिकायत कर दी तो आप आपके परिवार  व रिश्तेदार तक फ़ौरन गिरफ्तार कर  लिए जाते हैं । और गैरजमानती टमर्स में जैल में डाल दिए जाते हैं, चाहे वो केस झूठा ही क्यों न हो । कई  तो बुजर्ग माँ बाप के साथ साथ विदेशो में रह रहे भाई बहन तक गिरफ्त में आ जाते हैं ।  

आप बेकसूर होते हुए भी खुद को बेकसूर साबित नही कर पाते । कानून जानने वाले व  सरीफ लोगो के लिए ये कानून इस कदर खतरनाक हो चूका है कि- कई गलत लड़की व उसके घरवाले मिलकर ससुराल वालो को टॉर्चर करते  हैं।  और घर वाले या लड़का जानते हुए भी कुछ नही कर पाता । 

सामाजिक तौर पर महिलाओ को  त्याग सहनशीलता व शर्मीलेपन का प्रतिरूप मना जाता था ।  लेकिन आज की कुछ चालाक महिलाओं ने अपने सुसरालवालों व पति पर झूठे मुकदमे करके उनसे पैसे एठने का धंदा बना लिया है । लड़की व उसके परिवार वाले मिलकर ऐसे कार्य  कर  रहे हैं । 

आपने देखा होगा की कई लोग लड़की के रंग रूप से या झूठी सराफत से  प्रभावित होकर बेमैल लड़की से बिना दहेज शादी करते हैं।  और फिर वो लड़की व उसके परिवार वाले दहेज का झूठा इल्जाम लगा कर लाखों खीच लेते हैं । और फिर उस लड़की की शादी दूसरी जगह कर देते हैं । फिर वहां से भी पैसे एठने का सिलसिला शुरू कर  देते हैं । ऐसी महिलाओं को सहानुभूति अधिक मिलती है। जिसका वो फायदा उठती हैं । 




 दोस्तों धन देखने की बजाय रूप देखने की बजाय संस्कार देखो । आज एक योग्य बेटी को योग्य लड़का नही मिल पाता क्यों कि हम देखते हैं धन, रूप। और इसी लिए पीछे पछताते हैं। ऐसे ही बेटियों को अच्छी एजुकेशन के साथ साथ माँ अच्छे व मिलनसार के संस्कार डालें।परिवार की अहमियत सिखाएं तभी बेटी अच्छी बहु बन पायेगी ।  


Monday, October 24, 2016

बहाने बाजी यानी असफलता की गारंटी !!!

       
Image result for excuses in hindiदोस्तों ! बहाने बाजी की आदत ही सफल व असफल लोगो के बीच का  सबसे बडा अंतर  है। जब बनाते हैं , तो वो अवचेतन मन पर गहराई से बैठ जाता है । और फिर जितनी बार बहाने बनाते हैं उतना ही सच लगने लगता है। किसी  समझदार व्यक्ति ने कहा है - 

" सफल होने के लिए तूफानी दिमाग या चमत्कारी याददाश्त की जरूरत नही है । सफल होने के लिए लगातार लगे रहने की  क्षमता की जरूरत है । किसी भी कार्य में लगे रहने की क्षमता ही आपको योग्य बनाती है "


95 प्रतिशत योग्यता आपको जुटे रहने की क्षमता से प्राप्त होती है :- दोस्तों सफल तो सब होना चाहते हैं लेकिन सफलता की तैयारी की कीमत चुकानी पड़ती है । उसके लिए सब लोग तैयार  नही हो  पाते । अगर जिदगी में इंसान लापरवाही छोड़ दे तो ,वो सब कुछ अचीव कर सकता  है  जो वो सपने देखता है या चाहता है । किस्मत कही ऊपर नही लिखी जाती किस्मत बनती है सुनियोजित तरीके से काम करने से। चिंता, तनाव, उलझन ,अनुशासन हीनता ,नैगेटिव सोच हमे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर  

गरीबी, उम्र का कम ज्यादा होना , या समय ना होने का रोना ना रोएं :- ये बहाने सिर्फ कुछ ना करने के हैं।  अगर इन  कारणों की वजह से कुछ नही कर पाते।  तो कार्ल मार्क ने 59  साल की उम्र  में ( दास कैपिटल ) ना लिखी होती । डोनाल्ड विल्सन 70 वर्ष की आयु में ( u.s.a )  प्रसिडेंट नही बनते ।डेविड स्वार्टज जी ने लिखा है -

" हिसाब लगाओ की आप के पास कितना रचनात्मक समय बचा है । 30 वर्ष की आयु वाले के पास 80 % समय बचा है। और 50 वर्ष की आयु वाले के पास 40 % रचनात्मक समय बाकी   है "  

हेमामालनी का मानना  है -
" उम्र केवल एक अंक है । उम्र की वजह से कुछ करना या सीखना ना छोडे "
13 वर्ष की पूर्णा मलवथ ने एवरेष्ट फतह  किया है । पूर्णा के माँ बाप आदि वासी मजदूर हैं । बुनियादी सुविधाएं भी उनके पास नही हैं । 

अगर समय ना होने का रोना रोते  हो,तो  करने  वाले आठ घण्टे की ड्यूटी करके भी कर लेते हैं । अगर  आप सोचते हो की समय निकल गया । या बहुत देर हो गई।  तो समय निकला नही है । हाँ ऐसे ही टालते रहे तो जरूर समय निकल जायेगा । 




शारीरिक अक्षमता व अशिक्षता ये सब बहाने हैं :- आत्मविश्वास के  साथ बढ़ाया गया कदम, हमे जरूर मंजिल तक पहुँचाता है । आप इस बात को मानने से इंकार नही कर सकते। कि दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने इन शब्दो को सच करके दिखाया है । 

रही सक्षम व असक्षम की बात तो ये तो सब सोच पर निर्भर है । अगर ऐसा ना होता तो फरीदाबाद में रहने वाली लक्ष्मी पैरालिपक एथलीट अक्षम है , लेकिन सक्षम लोगो के लिए प्रेरणा बन गई । सुधा चन्द्रन उनकी उपाधि ऐसी है जिनसे सक्षम लोग भी प्रेरणा ले सकते हैं । कहते हैं अगर कुछ करने का जज्बा है तो रास्ते व मंजिल खुद मिल जाती है । 

अगर आप सोचते हो की आपके पास डिग्री नही है तो ऐसे लोगो की लंबी कतार है जिन्होंने अपने कालेज या स्कुल कैम्पस से ज्यादापने अनुभव से सीखा है । लता मंगेशकर कुछ महीने ही स्कुल गई थी। आज अपने हुनर से ही कामयाब हैं । 

बाबा रामदेव ने स्कुल से ही पढ़ाई छोड़ दी थी और वो ऐसे बोलते हैं जैसे उन्होंने धर्म ,अध्यात्म व दर्शन में पी.एच. डी कर  रखी हो । उनकी सक्सेस के बारे में  कौन नही जनता ।   

बीमारी को बहाना मत बनाओ :- जब तक आप बीमारी के बारे में सोचते हो तब तक  इनवाइट क्र रहे हो । जब आप  बातें करते हो तो आपको लगेगा की आप बहुत बीमार हो । बीमारियों का रोना छोड़ो और किसी डॉक्टर से सलाह लो और बीमारी से निजात पाओ । 

" एक रिसर्च में पाया गया है कि 95 % बीमारियां मानसिक हैं। सिर्फ 5 % लोग ही वास्तव में बीमार होते हैं " 

व्यस्त रहने का बहाना तो नही बनाते ? अगर ऐसा है तो सावधान ! इससे आपको ग्रोथ रुक  है । व्यस्त होने का बहाना बनाने का मतलब है आप किसी के काम नही आना चाहते। जरा सोचो जब आप किसी के  काम नही आओगे, तो आपकी जरूरत पड़ने पर कोई आपके काम क्यों करेगा ?   काम को प्रायटी दो लेकिन रिस्तो को इग्नोर मत करो । कई लोग व्यस्त नही होते बल्कि व्यस्ता के मनोविकार के शिकार होते हैं । 




Sunday, October 23, 2016

मन सक्सेस की राह का रोड़ा भी है और सक्सेस की सीढ़ी भी !!!

     
हाय दोस्तों ! में ललतेश यादव | दोस्तों किसी ने सही कहा है कि -
हम अपने मन पर जीत हासिल करके दुनिया पर जीत हासिल कर कर सकते हैं | 

जो भी कार्य जीवन में करते हो उसे करने से पहले ये सोच लो कि जो आप करने जा रहे हो ये कार्य आपके मन दुवारा चुना गया है या दिमाग से | अगर मन से किया गया है तो  -

" मन के मते ना चलिये मन पक्का यमदूत ले दुबे मझदार में, प्राण जाएंगे छूट  "

और अगर आपने इस मन को बुद्धि से चलाया तो यही मन आपकी मंजिल की सीढ़ी बन जायेगा  । 



दुनिया में कोई ऐसी चीज नही  है जिसे आप कंट्रोल ना कर  सको । लेकिन मन को कंट्रोल करना बड़ा ही मुश्किल काम है । परन्तु  जो मन को जीत लेते हैं वे दुनिया को जितने की हिम्मत रखते हैं । लेकिन  प्रॉब्लम ये है हमे पता ही नही चलता की हम कब मन की मान बैठते हैं । और जब  तक पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है । जैसे -


हम चाहते हैं की शुबह 6 बजे उठें और यही सोच कर रात को सोते है, की कल से 6 बजे उठुगा / उठुगी लेकिन शुबह होते ही सोचते हैं 10 मिनट और सो लु  में फिर उठुगा /  उठुगी । 10 मिनट के बाद  फिर १० मिनट बाद और 10 मिनट। ऐसा करते करते 7 बज जाते हैं और हमारे योगा या अक्सर साइज का समय निकल जाता है 


ऐसे ही ये काम मुझे अब करना है या आज करना  है।  लेकिन  फिर थोड़ी देर में कर लेंगे,  कल कर  लेंगे। ऐसे करते करते पहले दिन, फिर हफ्ते, और फिर महीने, और फिर साल  कब चली जाती है पता ही नही चलता । और ये छोटी छोटी लापरवाही  हमारी फैलियर की वजह बनती हैं ।  


मैने लाइफ के चार फैसले लेते वक्त मन की सुनी और में चारो जगह  फैलियर बन गई । सबसे पहले शादी के बाद आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन अगली साल, फिर अगली  साल ऐसे ही करती रही और मेरी आगे पढ़ने की इच्छा धरी रह गई । दूसरी मेंरी  इंग्लिस वीक थी , और में इंग्लिस की कोचिग लेना चाहती थी । लेकिन नही ले पाई। तीसरी में दोस्तों के साथ बहुत ज्यादा समय बर्बाद करती हूँ  इस आदत को बदलूँगी लेकिन आज तक समय बर्बाद करती हूँ | योगा करना चाहती हूँ, और शुरू भी कर देती हूं लेकिन कन्टीन्यू आज तक नही कर सकी। जिसकी वजह से में फिजिकली फिट नही हूं । 

ये मेरी लाइफ के वीक पॉइंट  हैं । और इन्होंने ही आज मुझे ये आर्टिकल लिखने की प्रेरणा दी । और इन वीक पॉइंट का कारण है, मन के पीछे चलना ।  

Saturday, October 22, 2016

अन्धविश्वासी होने के कारण !!!


Image result for andhvishwasदोस्तों ! में कापसहेड़ा ( दिल्ली एनसीआर ) में रहती हूं। मुझे ये जानकर हैरत होती की इकीसवीं सदी में भी लोग अन्धविश्वासी हैं। लेकिन क्यों हैं ? ये जानने की कोशिस की।

 इंसान की फिक्रत है कि वो बिना रीजन जाने ही जजमेंटल हो जाता है । जैसे की हम किसी को भी कह  देते हैं कि - ये अन्धविश्वासी है । लेकिन क्यों है ? इस बात की तह तक नही जाते । मैने कई लोगो को अन्धविश्वासी पाकर उनके हालात जानने  की , वे अन्धविश्वासी क्यों हैं ये जानने की कोशिस की ।  

1 जीवन में टेशन :- एक पढ़ी लिखी फैमली है मैने उन्हें पाया की उनके रिलेटिव पैसे वाले हैं और वो उनसे कम्पेयर करते हैं जब कम्पेयर नही कर पाते  तो अपने आपको को कम आंकते हैं । उन्हें लगता है की हमारे ऊपर कुछ करा धरा है  या हमारे ग्रह अपोजिट हैं  इसलिए हम जीवन में आगे नही बढ़ पा रहे । और वो इसी के चलते सुरेश भाई ज्योतिषचार्य के पास गए और उन्हें 21 हजार फ़ीस देकर आए। और में उन्हें जानती हूँ की वो किसी जरूरत मन्द को 21 सौ देने वाले नही हैं इतने कंजूस हैं ।  

2 गलत धारणाएं :- मैने कई ऐसे लोगो को देखा है की कहते हैं उसके सिर देवी आती ,हनुमान जी आते हैं या पितृ आते हैं । बकवास मेंटली प्रॉब्लम को आस्था का नाम दे रहे  हैं । लोगो को बेकूफ़ बनाने वाली बातें हैं । कहते हैं हम दुसरो का भला करते है ऐसे लोग मैने सिर्फ सेलफिश पाए हैं । इंसानियत के नाम पर कलंक पाए हैं । लोगो को बेकूफ़ बना कर अपना उलहु सीधा करते हैं । जिन लोगो बी ए में हिस्ट्री पढ़ी है वो ये जानते है कि ये एक बीमारी है । 
    
3 लड़ाई झगड़े  :-  में एक ऐसी फैमली से मिली जहां सास बहु में नही पटती । सास  के अगर छीक भी आये, तो सोचती है की बहु ने कुछ करवा दिया है । और बहु के बढ़ती उम्र के चलते कमर में दर्द है तो कहती है मेरी सास ने बहुत भारी करवा रखा है । और इसके चलते दोनों सास बहु टोने टोटके के चक्कर में अपना पैसा बर्बाद करने लगी हुई हैं । और अजीब बात ये है की उनके घरो में जेंट्स भी इन बातो को मानते हैं । अरे यार जब आप अपने परिवार वालो के साथ मिलकर नही रहोगे बच्चे माँ बाप को और माँ बाप बच्चो को अहमियत नही देगे तो उस घर में तो लड़ाई झगड़े होंगे ही । 

४ लालच:- दोस्तों हर इंसान अपनी मेहनत ,योजना व  अपनी कैपिसिटी  के अनुसार  ही कामयाब होता है और उतना ही कमाता है । लेकिन कई इसके चलते पूछ ताछ करते फिरते हैं वो सोचते हैं की कोई ऐसा साधन बता दे की हम रातो रात माला माल हो जाएं । और वो पैसे तो नही कमा पाते। लेकिन जिनके पास ये जाते हैं , इनका फायदा  वे जरूर  उठाते हैं उनकी  जरूर चाँदी कट जाती है । 

5 ईर्ष्या :- कई लोगो का ईगो जब दुसरो की श्रेष्ठता बर्दाश्त नही कर पाता तो वो उसे गिराने या हराने या फैलियर बनाने के चक्कर में अन्धविश्वास का सहारा लेते हैं । जब कि आगे बढ़ने के लिए किसी को पीछे धकेलने की जरूरत नही है । किसी बड़ी लाइन को छोटी करने के लिए उसे काटने की जरूरत नही है उसके आगे और भी बड़ी लाइन खीच कर उसे छोटा करा जा सकता है ।  

6 अनपढ़ता :-  जो लोग पढे  लिखे नही है वो भी इन ढकोसलो में फंसे रहते हैं । एक के एक पोती हुई तो दूसरी पोती ना हो जाये इसलिए एक बाबा से लड्डू पढ़वाकर बहु को लाकर दिया। की इससे मेरे पोता हो जायेगा । वहा दोस्तों लगता है की साइस से ज्यादा तरक्की तो ये बाबा कर रहे हैं ? 


7  गरीबी:- गरीब लोग कुछ ज्यादा ही अन्धविश्वास के चंगुल में फसते हैं। इनकी लाइफ में प्रॉब्लम तो होती है अनपढ़ता, बेरोजगारी , अधिक जन्संख्या, बीमारी की वजह से और ये सोचते हैं की ये करा धरा है या ये बाबा या तांत्रिक मेरी परेशानियों को काट देगे ।

दोस्तों अंधविश्वासियों का तो कुछ भला नही होता। इनका तो सिर्फ ये बह्म है लेकिन हाँ जो ये तांत्रिक या बाबा बने बैठे है इनकी दुकान जरूर अच्छी चल रही है और ये जब तक चलती रहेगी जब तक अंधविश्वासियों की खुद की सोच नही बदलेगी । 




Thursday, October 20, 2016

कड़ी मेहनत,कामयाबी की कुंजी है !!!


Image result for mehnat bina safalta nahi miltiदोस्तों ! कामयाबी चाहते हो ? तो हमेशा याद रखना की बिना कड़ी मेहनत करे, कभी भी कोई भी इंसान आज तक कामयाब नही हुआ।  और ना ही आगे कामयाब हो सकता है । 

जब  तक  आप कड़ी मेहनत नही करते, तब तक आप किसी भी काम को पूरा नही कर सकते । कड़ी  मेहनत से ही आप असंम्भव कार्य को सम्भव बना सकते हो । कड़ी मेहनत से आप किसी भी फिल्ड में कामयाब हो सकते हो । कहते भी हैं - 

" जहां प्रयत्नों की ऊचाई अधिक होती है ,  वहां नसीबो को भी झुकना पड़ता है " 


उन्नति, सफलता , विकास के लिए अनुशासित जीवन जीना अनिवार्य है । अनुशासन हीन लोगो के हाथ सिर्फ असफलता ही हाथ लगती है । इसलिए हर इंसान का अनुशासित होना अनिवार्य है । अनुशासित व्यक्ति हमेशा प्रसनचित आनंदमय जीवन जीता है । 

अनुशासन दो प्रकार के बताए गए हैं । एक आंतरिक अनुशासन व दूसरा बाहरी। आंतरिक अनुशासन मनुष्य स्वयं समझता है और बाहरी अनुशासन समाज व परिवार लगाता है । अनुशासन में रहकर कड़ी मेहनत करने  वाले ही समाज में कुछ कर के दिखा सकते हैं । 

नियमत्ता  न होने से मनुष्य का समय व मेहनत दोनों बर्बाद हो जाते हैं । आपने कछवे व खरगोश  की कहानी बचपन में पढ़ी ,सुनी होगी । धीमी चाल चलने वाला कछुवा भी सतत प्रयास से मंजिल हासिल कर लेता हैं। 

इसलिए जो भी नियम बनाओ उन्हें फॉलो करो । चाहे उन कार्यो के लिए थोड़ा ही समय दो लेकिन नियमित से दो । क्योंकि तेज चलने वाला खरगोश भी नियमतता ना होने की वजह से क्षमता सम्पन होते हुए भी पराजित हो जाता है । 

कामयाब होने के लिए ये मायने नही रखता की आपकी योग्यता क्या है ? ये मायने रखता है , जो योग्यता है उसे योजना रूप से नियमित किया जाये । बी के शिवानी ने भी कहा है कि -

" प्रयास छोटे ही सही पर  नियमतता से होने चाहिए "






आप का नजरिया ही आपका भविष्य तय करता है | मोटिवेशनल कहानी !!!



Image result for atitutएक किसान के तीन बेटे थे । तीनो ही पढ़ाई में औसत थे । क्लास में तीनो के नम्बर ही बराबर से आते थे। उनके पिता जी उन्हें बहुत समझाते अपनी गरीबी व लाचारी का हवाला देते। उन्हें आगे बढ़ने का सपना दिखाते , अमीरी व कामयाबी के फायदे बताते । 


इससे छोटे बेटे पर कोई असर नही पड़ता था । उसके नम्बर कम है पिताजी को दुःख होता है ! या उसके पिताजी क्या चाहते हैं ? वो इस बारे कुछ भी नही सोचता था । और जब भी उसके पिताजी कुछ कहते तो वह अनसुना करके घर से बाहर घूमने निकल जाता । 

बीच वाला बेटा सुनता! थोड़ी देर दुखी होता! और फिर  कुछ देर  पढता ! लेकिन मन लगा कर नही पढता। सोचता कि मेरी किस्मत में पढ़ लिख कर आगे बढ़ना ही नही लिखा है।  में कितनी भी मेहनत करू मेरे नम्बर कभी अच्छे नही आ सकते । ये सोच कर मेहनत करनी ही छोड़ दी । 

बड़ा बेटा औसत बुद्धि  का था।  फिर  भी  हर बात ध्यान से सुनता और यही सोचता की में एक दिन कामयाब होऊँगा। अपने पिताजी का सहारा बनुगां । फिर हमारे घर में कोई परेशानी ही नही रहेगी । में कामयाब होकर गरीबी से अपने पिताजी का पीछा छुड़ा  दुगा । 

बीच वाला बेटा 10 वी क्लास से ही, पढ़ाई छोड़कर, किसी फेक्ट्री में काम करने लगा । और जो उसके खर्चे से बचते वो अपने घर में देने लगा । 

छोटा  बेटा  ग्रेजुएशन करके  जॉब ढूढने लगा। लेकिन उसे बहुत ही थोड़ी सैलरी की जॉब मिली । इससे उसने सोचा की इतने पैसो  से कुछ नही होना।   इससे तो में खेती ही कर  लेता हूं मेरा गुजारा तो खेती  से ही हो जायेगा । ये सोच कर खेती करने लगा ।  

बड़े बेटे को अपने भाईयो के डिशिजन को देखकर बड़ा दुःख होता। लेकिन अपने भाइयो को समझा नही पाया । उसके मन में एक बात थी की मुझे आगे बढ़ना है । ये सोच कर उसने खूब मेहनत की और आखिर उसकी मेहनत रंग लाई और वह  इंजीनियर बन गया । 

बड़े बेटे ने अपने सारे फर्ज बेखुबी निभाए। और हर परस्थिति से लड़ कर कामयाबी पाई । एक ऐसा बेटा ,भाई , पति व बाप बना जैसा की समाज चाहता है । 

दोस्तों  दुनिया में तीन तरह के लोग होते हैं .......  

१ कुछ ऐसे लोग होते हैं  जिन पर सफलता या असफलता का कोई असर ही नही पड़ता बस अपनी जिदगी में मस्त रहते हैं । कुछ उनके पास है या नही है उनपर कोई फर्क नही पड़ता । जो है उसी में  खुश रहते हैं । 

2 कुछ  इस तरह के इंसान होते है , जिनके सपने तो बड़े बड़े होते हैं लेकिन असफलता को अपनी किस्मत मानकर हार जाते है । और बहते पानी में एक लकड़ी के टुकड़े की तरह अपने आपको छोड़ देते हैं की जिदगी जहा ले जाएगी वही ठीक है । 

3 कुछ ऐसे होते जो जिदगी को अपने मुताबिक मोड़ कर  ही दम लेते हैं । वो ना समाज के चलाये चलते हैं और ना ही जिदगी के चलाए चलते हैं। वो अपना भविष्य खुद चुनते हैं और तब तक हार नही मानते जब तक उन्हें मंजिल नही मिल जाती। इन्ही लोगो को सक्सेस या कामयाब या जनूनी कहते हैं ।

दोस्तों ये हकीकत पर आधारित कहानी है अब आप सोचो की आप इन तीनो में से किस के जैसे हो ? और किस के जैसे होना चाहते हो ? ये बात मन में अच्छी तरह बिठा लो की भविष्य इंसान खुद चुनता है । और उसे बनाने और बिगाड़ने में मदद करता हैं आपका नजरिया । 

आपका नजरिया आपको कौन सी राह दिखा रहा है ? नेगेटिव या पोजेटिव अगर आपकी बुद्धि पोजेटिव की और जा  है तो आप तब तक लगे रहोगे जब तक सफल ना हो जाओ । और अगर आपकी बुद्धि नेगेटिव की और जा रही है तो आप योग्य होते हुए  कुछ  भी नही कर सकते ।

आपका नजरिया ही आपके लिए वरदान या अभिशाप है । अगर आपका नजरिया वरदान है तो आपके लिए बंद दरवाजे भी खुल जाएंगे । आपकी योग्यता का सम्बंध आपके नजरिया से है। ना की किसी तरह की समस्या या सहूलियत से ।  

 जब तक आपके मन में नेगेटिव थोट चलते रहगे, तब तक आप कुछ भी करने की हिम्मत नही जुटा सकते । इसलिए सब से पहले अपने विचारो पर ध्यान दो अगर आपके अंदर नेगेटिव थोट चल रहे है तो आप तुरंत बदल दो । जेम्स एलेन ने अपनी पुस्तक में लिखा है -

" अच्छे विचारो के सकरात्मक और स्वस्थप्रद और बुरे  विचारो का बुरा  फल आपको भुगतने पड़ेगे "

किस्मत का रोना असफल लोग रोते  हैं जब कि असफल होते हैं मेहनत , तैयारी ,योजना ,द्र्ढ इच्छा व द्रढ संकल्प की कमी की वजह से ।  


Tuesday, October 18, 2016

जीवन में कामयाबी चाहते हो तो बहाने बनाने छोड़ो !!!



Image result for bhane bnana chodoदोस्तों ! इंसान को काम समय से निबटाने के तरीके खोजने चाहिए, ना की काम टालने के । जब बुद्धि का सकरात्मक प्रयोग करते हैं तब सफलता की तरफ अग्रसर होते है। और जब बहाने बनाते हैं तब असफलता की और अग्रसर होते हैं । 


बहाने बनाने वालो का जीवन अस्त व्यस्त रहता है :-बहाने बनाने वाले कोई भी कार्य समय पर नही करते । और ना ही सही तरीके से करते । ऐसे लोगो को कामयाबी भी मुश्किल ही मिलती है । इसलिए बहाने छोड़ो और अपना लक्ष्य तय करके उसे हासिल करने का तरीका  सोचो । किसी भी कार्य को आधे अधूरे मन से नही पुरे मन से  सही तरीको से करो । आप जो करना चाहते हो ,उसे टालते रहे तो कभी भी कोई कार्य नही कर पाओगे। जीवन संघर्षो  से भरा है अगर आप कही पहुंचना चाहते हो तो कई विकल्पों में से किसी एक को चुनना पड़ेगा । 

बहाने बाजी कामयाब होने की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है :- बहाने बनाते तो सभी हैं कोई कम कोई ज्यादा । लेकिन किसी भी कार्य को ना करने के 85 % बहाने होते हैं और 15 % प्राब्लम होती हैं । 

बहाने बाजी की आदत से कैसे बचें ? :- बहाने बनाने में सबसे बड़ा रोल हमारी सोच का है । ये सोच ही आपकी नित नए बहाने बनाती है । अपने मामले में सबसे ज्यादा स्टीक बनो । बहाने बजी एक ऐसी बीमारी है जो थोड़ी बहुत किसी ना किसी काम में सबमे पाई जाती है । चाहे वो बच्चे हो ,बुजर्ग हो लेडिस हो या जेंट्स हो । 

1 द्रढ संकल्प से आप बहाने बनाने की आदत को बदल सकते हो :-किसी भी कार्य के लिए हमे द्रढ सकल्पित होना अनिवार्य है । मन बहाने क्यों नही बनाएगा ? इससे स्वछंद घूमने की आदत जो पड़ गई है । इसे कंट्रोल करने के लिए मन की नही दिमाग की सुनने की आदत डालो । 

2 अपनी बुद्धि को कम ना आंके :-अगर आपको लगता है की आप बुद्धि के कारण कमजोर हैं तो आप अपनी क्षमताओ  को सिमित न माने । कामयाबी के लिए योग्यता से ज्यादा रूचि होनी जरूरी है । ये मायने नही रखता की आप कितने बुद्धिमान हैं ये मायने रखता है की आप अपनी बूद्धि का इस्तेमाल कैसे करते हैं । हमेशा मन में ये विश्वास रखो की आपको आपकी मंजिल जरूर मिलेगी । 

3 नम्र बनें :-अगर ताना सही बनोगे तो लोग आपके विरुद्ध खड़े  जायेगे । कुछ लोग कामयाब होने के बाद घमंडी हो जाते हैं और घमंड की वजह से लोगो को इग्नोर करना शुरू कर देते हैं । घमंड से शत्रु बना सकते हो दोस्त नही और कामयाबी बनाये रखने के लिए  या कामयाब होने के लिए दोस्तों की जरूरत  है ना की दुश्मनो की । 

4 डर को अपने ऊपर हावी ना होने दें :- ज्यादातर डर मानसिक होता है । चिंता उलझन लापरवाही ये सब मानसिक हैं । हम सोचते हैं की कहि घटा ना हो  जाये? फैल ना हो जाऊ ? लोग क्या कहेगे ? किस्मत ने साथ ना दिया तो ?ऐसे कई डर की वजह से काबिल इंसान कुछ नही क्र पाते और अफ़सोस करते जाते हैं । कुछ करके असफल होना कुछ ना करने के अफ़सोस से अच्छा है । नही तो पूरी जिदगी आपके मन में ये रहेगा कि  का मौका ना मिला या मैने मौका गवां दिया । अगर आप कुछ करके असफल होते हैं तो आपके मन में ये सन्तुष्टि रहेगी की आपने कोशिस  तो  की ।  






Monday, October 17, 2016

फर्क सिर्फ सोच का है। मोटिवेशनल कहानी !!!



Image result for soch ka frkदोस्तों जब "श्री श्याम सेवा समिति" बनाई गई तो इसकी ऑग्नाइजर से एक सख्स ने कहा कि -

" इसका चार्ज आप मेरे रिलेटिव को दे दो "

ऑग्नाइजर ये बातें सुन ही रहा था कि एक अन्य सख्स आया और ऑग्नाइजर ने उसे इंचार्जर बना दिया। ये देखकर बोलने वाले सख्स का चहरा उतर गया। जब तक ऑग्नाइजर उस सख्स को अन्य को इंचार्जर बनाने के बारे में कुछ बताता, उससे पहले ही वो सख्स बिना कुछ बोले आगे चला गया। ऑग्नाइजर के मन में ये था कि ये तो सब अपने है मुझे समझते हैं जानते हैं । इस कार्य में जहा सबसे आगे आने का समय है वहां उसके रिलेटिव को खड़ा कर देगे ये सोचकर वह और कार्यो में लग गया


इधर उस सख्स ने अपने रिलेटिव को आगे ना देखकर ऑगनजर के बारे में लोगो को भडकाना शुरू किया । ऑग्नाइजर को तो ये समझ में ही नही आ रही थी कि जिन्हें वो सब से आगे रखना चाहता है वही गड़बड़ कर रहे हैं। उसके दोस्त ही उसकी इमेज बिगाड़ने के लिए ही अफवाह फैला रहे हैं। वह और लोगो को कसूरवार समझकर उन्हें इग्नोर करने लगा और सारा फोक्स अपने कार्य पर कर दिया । कार्य अच्छी तरह से सम्पन भी हुआ ।


इससे अपने रिलेटिव को आगे ना देखकर वो सख्स और उसके साथी तो थे ही खिलाप। और जो साथ में जुड़ने थे और इग्नोर करे जाने वाले लोग थे वो और खिलाप हो गए। और उस सख्स के साथ मिल गए जो अपने रिलेटिव को आगे रखना चाहता था। उन लोगो ने आपस में मिलकर एक अलग समिति बनाई और उस ऑग्नाइजर को ही समिति से अलग कर दिया। उस ऑग्नाइजर ने सबको एक करने की बहुत कोशिस की लेकिन उनका ईगो उसे एक्सप्ट नही कर पाया। इसलिए उन्होंने ऑग्नाइजर को अपने साथ नही रखा


अब जो नई समिति बनी उसमे और लोग जुड़े थे, उन लोगो ने भी उन्हें या उनके रिलेटिव को चार्ज नही सोपा । जो और लोग जुड़े थे उन्होंने उन्हें आगे कर दिया। इससे उनकी चार्ज की भूख तो शांत ही नही हुई और उन्होंने अब जो उनके साथ जुड़े थे उनके बीच में भी झगड़ा करवा दिया । लेकिन चार्ज फिर भी उन्हें नही मिला ।



अब वो दुबारा "श्री श्याम सेवा समिति" के ऑग्नाइजर के पास वापिस आ गए । लेकिन अब इतनी देर हो चुकी थी कि "श्री श्याम सेवा समिति " में और बहुत लोग जुड़ चुके थे । और पहले भी ये लोग धोखा दे चुके हैं अब "श्री श्याम सेवा समिति" का ऑग्नाइजर चाहकर भी उन्हें आगे नही कर सकता था ।

कई बार हम अधूरी बात सुनकर ही निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। जिसकी वजह से जिदगी में बहुत बड़ा तूफान आ जाता है और पूरी जिदगी उसका खामयाजा भरते हैं। किसी ने सही कहा है -

" नजर का आपरेशन तो संभव है लेकिन नजरिये का नही "


अतुल राठौर ने अपनी blogig में सही लिखा है कि -

" फर्क सिर्फ सोच का है -


" वरना वही सीढ़ी ऊपर भी जाती है और निचे भी आती हैं "








लीडर शिप का गुण !

Image result for leadershipदोस्तों ! हर इंसान  के अंदर कोई ना कोई गुण ऐसा छिपा  होता है। जो उसे सबसे अलग दिखाता है ।ऐसे ही एक गुण है लीडर शिप का गुण । जिसमे भी लीडरशिप का गुण होता है, बचपन से  होता । पर लीडर बनने के लिए लीडर शिप गुण को विकसित करना पड़ता है। अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके उसे प्राप्त करने के लिए तमाम चुनोतियों का सामना करना पड़ता है। लीडर को अलग अलग अवस्थाओं से गुजरना पड़ता हैं। जो स्वयं को साबित कर पाता है वही लीडर बन जाता है । 

 अच्छा लीडर अपने गुणों से  पहंचाना जाता  है -

1 लीडर अपनी बात पर हर स्थिति में अडिग रहते हैं । मुश्किल निर्णय लेने की सक्षम होता है । दुसरो की  बाते समझने और अपनी बात समझाने की कला जानता है ।  

२  लीडर सामने वाले इंसान से वो कार्य करवाने की नीति जानता हैं, जो वो करवाना चाहता हैं । उसमे ये योग्यता होती है की किस से किस तरह काम करवाया जाये ।   


3  लीडर के कार्य दुसरो को सपने देखने ,सिखाने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं । ये टीम का ध्यान समस्या के सलूशन पर लगाता  हैं । और उनकी पूरी क्षमता का दोहन टीम को जीताने में लगता  है । 


4 लीडर अपने साथियों को वहा ले जाने में सक्षम होता  है, जहा वो नही जा सकते ।  लीडर बेहतर लोगो को आगे बढ़ने का मौका देता है और कमजोर लोगो को अपनी कमियां सुधारने का मौका देता  हैं । 

५ लीडर का स्वभाव नम्र होता हैं । नम्रता ही इन्हें अच्छे लीडर के रूप में साबित करता है । ये गलत से गलत बातों का सोच समझकर निडरता से सही जवाब देता है । 

6  सच्चे लीडर के हर कार्य में ईमानदारी रहती है । साहस और ईमानदारी से ही ये लोग का सबका विश्वास जीतता है । जिससे इसके साथी इसके लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं । 


७ लीडर दूरदर्शी होता हैं ।  किल्यर  सपने देखता होते हैं और उन सपनो को हासिल करने के लिए स्टेप वाइज कदम उठाता  हैं ।  


 लीडर शिप का गुण कैसे विकसित करें ? 

अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करें :- हर इंसान में अलग -२ गुण होते है कोई किसी कार्य में माहिर होता है तो कोई किसी में । कार्य करते करते ही खुद को जान पाते हैं  की हमारे अंदर क्या गुण है । 



समस्याओं से ना घबराएं :-  कहते हैं ना ? कोशिस करने  वालो की हार नही होती । आज के युवाओ के सामने  पहले से कही अधिक विकल्प हैं । लेकिन कई विकल्पों के चलते कई बार कन्फ्यूजन की स्थिति बन जाती है  जिससे की ऐसी स्थिति में धैर्य जवाब दे जाता है ।

सब की सलाह से फैसला लें :- एक लीडर अपनी ही मन मानी  नही कर सकता ।  सब को साथ लेकर ही आप आगे बढ़ सकते हो ,आप घर में हो ,समाज हो, या कोई लीडर  हो । 


" आप कितने भी उच्च पद  पर क्यों ना विराजमान हो ,अकेले फैसला नही ले सकते " 







Thursday, October 13, 2016

निस्वार्थ लोगो के सामने स्वार्थी लोगो को झुकना ही पड़ता है मोटिवेशनल कहानी !!!


Image result for niswarth dosti kare दोस्तों !  आपको एक कहानी सुनाती हूं स्वार्थी और निस्वार्थी लोगो की । स्वार्थी लोग  कितने ही सक्सेस फूल हो, तादाद में अधिक हो ,कितने ही पावर फूल हों एक दिन ऐसे इंसानो को निस्वार्थ लोगो सामने अपनी गलती का अहसास हो ही जाता  है।   

मीना एक मिडिल क्लास फैमली से ब्लॉग करती थी। उसकी जिदगी में एक ऐसा दौर आया जब सब कुछ उसे बिखरता नजर आने लगा। जिससे मीना डिप्रेसन में रहने लगी । जब ये बात मीना के पति को महसूस हुई तो वो अपनी पत्नी को कही भी बाहर नही आने जाने देता था। लेकिन ये देखकर , कुछ सोच कर उसने मीना को बाहर आने जाने की छूट देने लगा । 

इस बीच मीना की दोस्ती कुसुम से हुई कुसुम भी उस समय परेशानियो में थी। ये दोनों  ही एक जैसी स्थिति होने के कारण एक दूसरे को अच्छी तरह समझने लगी।  और कहते भी हैं कि  - 

" दोस्ती में सबसे खास बात ये है कि आप उसे समझे वो आपको समझे "

दोनों ही एक दूसरे के नजदीक आ गई और सुख दुःख में साथ देने लगी   ।मीना की दोस्त कुसम की रिलेटिव थी। मीना और उस रिलेटिव की आपस में बिगड़ गई । जिसकी वजह से मीना और कुसुम के बीच फर्क आने लगा । कुसुम अपने रिलेटिव को छोड़कर मीना का साथ नही दे सकती थी । लेकिन दोनों में निस्वार्थ दोस्ती थी तो वो टूटी भी नही।  कहावत है कि -

        " जो दोस्ती टूट जाये, वो कभी सच्ची दोस्ती थी ही नही "

कही ना कही दोनों के दिलो में  एक दूसरे के लिए प्रेम व इज्जत थी । इसलिए वो ज्यादा दिन तक दूर ना रह सकी । लेकिन कुसुम के रिलेटिव लालची थे वे भी जुड़ना तो चाहते थे लेकिन बिना स्वार्थ के नही जुड़ना चाहते थे । 

मीना स्वार्थी लोगो  से बचना चाहती थी वो नही चाहती थी कि ये लोग फिर कोई टेशन क्रेयट करें इसलिए वो उनको अपने साथ नही जोड़ना चाहती थी । इसलिए वो उससे  नही जुड़ पाए । लेकिन कुसुम पर दवाब नही बना सकें । स्वार्थियों को उनकी निस्वार्थ दोस्ती के सामने कुछ नही चल पाई । दोस्ती हमेशा निस्वार्थ होनी चाहिए । कहते भी हैं कि -

" एक दोस्ती जो  व्यापार से शुरू हुई हो उसकी तुलना में वो व्यापार अधिक अच्छा है जो दोस्ती से शुरू हुआ हो । 






Wednesday, October 12, 2016

प्रोफेशन क्यों बदलते हैं ?


                   
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दोस्तों ! अच्छी जॉब हो , अच्छी सैलरी हो आपकी पसंद का कार्य हो तो आप प्रोफशन नही बदलोगे । प्रोफेशन बदलने के और कई कारण होते हैं जैसे -अच्छी जॉब ऑफर ,काम में तनाव या और कोई मजबूरी तभी इंसान अपना प्रोफेशन बदलता है । 



प्रोफेशन बदलने में उम्र का कोई रोल नही है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने 40 साल के बाद प्रोफेशन बदला है और सक्सेस पाई है । जैसे पुलिस कमिश्नर ए ए खान ने इस्तीफा देकर सिक्योरटी एजेंसी खोली । और स्वर्गीय राजीव गाँधी  पायलेट की जॉब छोड़कर राजनीति में आए । कई लोग काबिलयत होते हुए भी प्रोफेशन नही बदल पाते और मन मार कर  निचले  तबके  पर कार्य करते रहते हैं । 

अधिकतर महिलाएं ऐसा करती हैं । घर बच्चे या समाज की वजह से काम  में समझौता करती रहती हैं । अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर फैसले लें वरना खुश नही रह सकोगे । खुद पर भरोसा करके खुद को एक मौका अवश्य दें । और ये याद  रखें  कि कुछ भी नया करने के लिए कड़ी मेहनत ,धैर्य ,द्रढ़ संकल्प और आत्मविश्वास अनिवार्य है ।  

सही समय पर प्रोफेशन बदलने का निर्णय लें । कहते हैं कि पढ़ने लिखने की कोई उम्र नही होती लेकिन प्रोफेशन में ऐसा नही होता इस में हमारे निर्णय ही हमे सक्सेस या फैलियर बनाते हैं।गलत डिशिजन हमे असन्तुष्टि भर जीवन जीने पर मजबूर कर देते हैं । कई लोग दोस्तों या पेरेंट्स के कहने पर गलत प्रोफेशन चुन लेते हैं। जो हमारी च्वाइस के अकोडिंग नही होता ।  

अगर आपने भी ऐसा किया है और ऐसा करके पछता रहे हैं ,तो आप जिदगी भर पछताने की बजाए ग्लोबलाजेशन के इस युग में मिलने वाले अवसर का फायदा उठाना चाहिए । 

ऐसे बहुत लोग हैं  जिन्होंने प्रोफेशन बदला और वो सक्सेस भी हुए  हैं जैसे - अदिति गोवित्रकर डॉक्टर सम मॉडल बने । मदिरा बेदी अभिनेत्री से स्पोर्टस कमंटेटर ,ऐश्वर्य राय विश्व सुंदरी से अभिनेत्री बनी । ऐसे बहुत से लोग हैं  


Sunday, October 9, 2016

दुसरो की निंदा करने में या सुनने में समय व्यर्थ क्यों करें ? !!!


Image result for ninda chugli  na kareदोस्तों !  जब भी आपको लगे की सामने वाले ने आपके बारे में गलत बात कहकर आपकी छवि बिगड़ी है तो तुरन्त प्रतिक्रया ना करें । उस समय चुप्पी साध लें । गुस्से में कोई भी बात ऐसी ना कहे जो आपको घातक सिद्ध हो । लेकिन बाद में सहज  होकर जवाब दें और गलत बात का विरोध करें । अगर आप ऐसा नही करते तो अपना ही नुकसान करोगे ।

"साधारण व असाधारण लोगो में यही फर्क होता है । साधारण लोग तुरन्त रियेक्ट करते है और असाधारण लोग चीजो को समझने और गलती को माफ़ करने में विशवास करते हैं"   

हम किसी की सोच को तो नही बदल सकते लेकिन किसी की गलत सोच की वजह  नुकसान होने से बचा सकते हैं । असल बात तो ये है कि हम सामने वाले की बात पर किस तरह रिएक्ट करते हैं|हर बात का असर हम पर नही पड़ना चाहिए ।  

क्रटिसाइज को मैनेज करना सीखें :- अगर आप क्रटिसाइज मैनेज करना नही जानते तो आप कोई ऐसी गलती कर दोंगे जो आपके व आपके कैरियर के लिए सही साबित नही होगी । और आपके पास पछतावे की सिवाय कुछ नही बचेगा ।  आप किसी भी कामयाब इंसान के बारे में जाने उसने कोई ना कोई गलती जरूर हुई होगी । आप उनकी गलती से सीख लेकर आगे बढ़ सकते हो ।  

हम किसी भी इंसान को जब तक नही बदल सकते जब तक वो खुद बदलना ना चाहे :- जल्दी से नया किसी को पसंद नही आता नया डराता है । हमारे मन में गड़बड़ी व उलझन पैदा करता है । लेकिन जब तक आप क्रटिसाइज को अवॉयड  नही करोगे तब तक आप कुछ विशेष नही  कर  पाओगें । जीवन में सक्सेस होने के लिए लीक से हट कर कार्य करना होगा , सभी धारणाओं को तोड़कर आगे निकलना होगा । तभी आप कुछ नया कर सकते हो । 

क्रिटिसाइज मैनेज ना कर पाने की वजह से सक्सेस  नही हो पाते :- याद रखो श्रेष्ठ कार्य वही होते हैं जिन्हें आप  कर दिखाओ और लोग देखते रह जाएं। जब किसी बात को और लोग गलत कहे तो हमे अच्छा नही लगता और जब उसी कार्य को हमारा मन गलत कहे तो हम उसे नही करते। इसलिए हमारा फैसला वो होना चाहिए जिसे हमारा दिल कहे और दिमाग सही माने । 

अगर आपके अंदर योग्यता है, तो फिर आप किसी की परवाह ना करें :- आपके अंदर योग्यता तो जन्म से होती है लेकिन उसे विकसित करना पड़ता है। और विकसित करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। सिर्फ अपनी योग्यता पहचानना काफी नही  है, इसके साथ सही दिशा में कदम बढ़ाना भी जरूरी है । खुद को प्रूव करने के लिए किसी भी काम को सही ढंग से कार्य करना जरूरी है । और जब भी कोई कार्य लीक से हट कर  होता है, तो लोग बाते तो करेगे ही जो सहमत वो सही बताएंगे और जो सहमत नही हैं वो गलत बताएंगे । कहते हैं -

" गलतियां विफलता ,अपमान निराशा और अस्वीकृति ये सभी उनत्ति और विकास का ही एक हिस्सा हैं । कोई भी व्यक्ति इन पाचों चीजो का सामना किए बिना जीवन में कुछ भी प्राप्त नही  कर सकता " 



शक खोकला कर देता है रिस्तो को !!!

        
Image result for vishvas nhi rha risto meदोस्तों!इंसान के पास  डिग्री ,धन, दौलत, इज्जत, शौहरत सब कुछ हो लेकिन ऐसे रिस्ते ना हो जिन पर वो विश्वास करता हो ,जिन्हें वो अपना कह सके तो इंसान सब कुछ होते हुए भी अकेला पड़ जाता है । 


और ये सारे सुख मिलकर भी उसे सुख शांति नही देते । कई लोग आपने ऐसे भी देखे होंगे जिनके पास सब सुविधा हैं लेकिन वे सुखी नही हैं । वे अपनों के बीच रहते हुए भी अकेले पड़ जाते हैं  ऐसा क्यों ?

लोग उन्ही के साथ रहना या व्यापर करना पसंद करते हैं जिन पर वो भरोसा करते हैं :-  जिसके साथ आप काम कर रहे है या रिस्ते बना रहे हैं आप उन्हें ये विश्वास दिलाएं कि  आप उनके सुख दुःख में साथ हैं । जब आप उनके सुख दुःख में साथ दोंगे  तो वो लोग भी आपको कभी नही भुलगें। और आपके सुख दुःख के साथी बन जाएंगे । 



जब विश्वास टूटता है तब शक जन्म लेता है:- लेकिन बिना वजह के शक नही करना चाहिए। जहा छोटी छोटी बातो बातो पर शक किया जाता है वहा रिस्ते खोकले हो जाते हैं । ये स्थिति ठीक नही है इस आदत को समय रहते बदल लेना चाहिए । शकी इंसान को कोई पसंद नही करता । जहाँ शक पैदा हो जाता है वही लोगो के  बीच में तू तू में में होने लगती  है । 

शक क्यों करते हैं :- हर इंसान के व्यक्तित्व को सवारने व बिगाड़ने में उसके परिवेष का बहुत बड़ा योगदान रहता है । जिन लोगो का बचपन असुरक्षित माहौल में बिता हो या रिस्तो में धोखा खाया हो तो ऐसी स्थिति में उस इंसान के मन में शंक स्थाई रूप से घर कर  जाता है । अगर इसे समय रहते दूर ना किया जाये तो ये बहुत बड़ी टेंशन क्रीएट क्र सकता है । 



शक की स्थिति से कैसे उभरें :- स्थिति बिगड़ने से पहले ही उसके कारण  को जान लें । सत्य को जानने समझने की कोशिस करें कोई कड़वा अनुभव रहा हो,  किसी के खो जाने का मन में डर हो।  अकेले पड़ जाने का डर कोई धोखा ना दे दे । अगर आप को ये लक्षण दिखते हैं तो इन्हें दूर करने की कोसिश करनी चाहिए । हमेशा पोजेटिव सोच वाले लोगो के साथ उठे बैठे व नेगेटिव सोच वाले लोगो से बचें । अपने अंदर बदलाव लाने की कोशिस करें । 

ये बात हमेशा याद रखें की धोखा खाना गलत नही है धोखा देना गलत है :- आप तो अपनी तरफ से सही थे ये तो उन लोगो की गलती जिन्होंने आपको धोखा दिया है । फिर आप क्यों टेशन लें क्यों सब से कटे । अगर आपके मन में आगे भी शंक का अंकुर फूटता है तो जिसके लिए भी ऐसा होता है उससे सीधी बात कर के अपने शंक को दूर क्र लें ।  

एक कड़वे अनुभव की वजह से आप और लोगो पर शक ना करें :- सामने वाले पर विश्वास करें व खुद पर विश्वास करें । एक दूसरे पर विश्वास का अहसास इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है । इससे लाइफ की हर फिल्ड में सक्सेस होने में काफी मदद मिलती है । वह सही डिशिजन लेने में सक्षम होता है । 




Saturday, October 8, 2016

जीवन में सक्सेस चाहने वालो के लिए परिवर्तन जरूरी है !!!


Image result for parivartan jaruri haiदोस्तों ! परिवर्तन  तो जीवन के हर पल में होता  ही रहता है। कुछ परिवर्तन सुखद होते है तो कुछ दुखद। ऐसी स्थिति में हर परिवर्तन को स्वीकार करके आगे बढ़ने की कोशिस करनी चाहिए । हर इंसान चाहता है कि उसके परिवार में, समाज में, शहर में, देश में, खुशहाली हो । लेकिन हम ये कभी नही सोचते कि ये सब  कैसे हो ? हमे क्या परिवर्तन  लाने हैं ? कैसे परिवर्तन लाने   हैं ? 


समय के अनुसार परिवर्तन होगा ही :- संसार में कोई भी चीज अचल नही है, परिवर्तन होता ही रहता है। महान दार्शनिक अरस्तु ने कहा है परिवर्तन  तो प्रकृति का नियम है लेकिन जब भी हम इसे मानने से मना करते हैं तभी हमे दुःख होता है । टेशन में आ जाते है, हमे ये  मानना  होगा की सुख के बाद दुःख आता ही है। जैसे- दिन के बाद रात और रात के बाद दिन लगा है । ऐसे ही सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख लगा है । 

सूर्य को भी एक दिन में तीन स्थितियों से गुजरना पड़ता है। वह शुबह हल्की गर्मी लिए होता है | दोपहर तक पूरा तप जाता है और शाम होते - होते ढल  जाता है । सूर्य को अपार शक्ति का भंडार होते हुए भी कई उतार चढाव देखने पड़ते हैं। इसी तरह से जिदगी भी कई उतार चढ़ाव से गुजरती है। अगर हम इस सत्य को मान लें तो कभी हताश व निराश नही होंगे, और कर्म शील बने रहेगें । 



परिवर्तन को देख कर घबराएं नही :-इंसान कई बार अपनी कमजोर मानसिक परवर्ती के कारण संघर्ष से घबरा जाता है । हीन  भावना व कुंठा के कारण अपना मनोबल गवा देता है । और बे मतलब उलझता रहता है, झगड़ता रहता है। और अपने असली लक्ष्य से भटक जाता है लेकिन ये सोचो की हर परिवर्तन में कुछ अच्छाई छिपी है । विवेकवान व्यक्ति असफलता को चुनोति मानकर दुबारा प्रयत्न करता है । और विवेकहीन व्यक्ति हार मानकर निराश हो कर बैठ जाता है । असफलताओं से घबराने की बजाए अपने प्रयत्न करने की गति बढ़ा दें । 


परिवर्तन के साथ सामंजय बनाये रखें :- ये नही  सोचना चाहिए कि  हमारा सपना पूरा नही हो सकता । हमेशा  ध्यान अपने लक्ष्य पर होना चाहिए, तभी ऊर्जा शक्ति सही से काम कर पाएंगी । जो भी कार्य करो पुरे मनोयोग व प्रसनचित होकर करो । हर कार्य में भटकाव व व्यवधान तो आते रहते हैं, लेकिन इन चीजो पर ध्यान देने की बजाए ज्यादा से ज्यादा समय अपने कार्य पर दें । आप वो पा सकते हो जो पुरे मन क्षमता व उत्साह से पाना चाहते हो । 


अपना अस्तित्व बनाएं रखने के लिए परिवर्तन स्वीकार करें :- यकीन रखें की बदलाव में  ही भलाई है ।  बदलाव को स्वीकार करने वाला ही गति शील बन सकता है । अगर हम समय के साथ ना चलें तो पिछड़ जाएंगे । जीवन के सफर में हम तभी आगे बढ़ सकते हैं जब समय के अनुसार खुद को बदलते रहेगें । और आपका बिना बदले काम चल भी नही सकता । जब मौसम बदलता  है, विचार बदलते हैं, मनुष्य की परिस्थितियां बदलती हैं।समय के अनुसार बदलने को  ही विकास कहते  हैं ।  

परिवर्तन करते वक्त  दुविधा में ना फंसे :- दुविधा हमारी इच्छा शक्ति को कमजोर कर देती है। और जब ये रोग हमारी इच्छा शक्ति  में लग जाता है तो हमारी इच्छा शक्ति को कमजोर कर  देता हैं ।जिससे हमारी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है । जिसकी वजह से हम सही डिशिजन नही ले पाते जब की किसी भी फिल्ड में सक्सेस के लिए सही डिशिजन लेना जरूरी है। जो भी डिशिजन ले सोच समझ कर  लें । और फिर अटल रहें ।  बार बार फैसले बदलने वाले सक्सेस नही हो पाते । 

अपने जीवन में जब चाहो तब परिवर्तन ला सकते हो :- बदलाव के लिए समय या उम्र नही  देखी जाती।  बल्कि जरूरत देखी जाती  है । जब भी आपको बदलाव की जरूरत लगे तभी बदलाव लाने लगें । सक्सेस लोगो में  यही खूबी देखी  जाती है कि वो जरूरत के अनुसार खुद को बदलते रहते हैं।  हावर्ड विश्वविधालय के विलियम जेम्स का कहना है कि -

"अगर आपको अपनी जिदगी बदलनी है तो उसकी शुरुआत फ़ौरन करें "

हम बदलाव तो चाहते है लेकिन द्रढ़ इच्छा नही रखते । और तब तक कोई बदलाव नही हो सकता जब तक द्रढ़ इच्छा ना हो, द्रढ़ इच्छा शक्ति ही क्रयात्मक रूपदेन की शक्ति प्रकट करती है । और यदि द्रढ़ इच्छा हो तो नियमित रूपसे योजना बनाकर नही करते। सबसे पहले अपनी सोच बदलें, सोच से ही व्यवहार बदलने लगता है । शुरू में कोई भी बदलाव लाना अच्छा नही लगता चाहे वो अच्छाई के लिए ही क्यों ना हो लेकिन बाद में उसके बहुत से सुख हैं । 

थोड़े  से परिवर्तन से बधाये भी सीढ़ी बनने लगेगी :-अगर आप जीवन में सक्सेस की इच्छा रखते हो तो समय के अनुसार अपने व्यवहार व आचरण को बदलते जाएं । अगर आप समय के अनुसार अपनी सनक की वजह से नही बदले तो आगे बढ़ पाना ना मुमकिन है ऐसे कितने ही लोग नाकामयाब हो गए जो सिर्फ समय के अनुसार अपने कार्य में परिवर्तन नही लाये , खुद को नही बदल पाएं ।