
मीना एक मिडिल क्लास फैमली से ब्लॉग करती थी। उसकी जिदगी में एक ऐसा दौर आया जब सब कुछ उसे बिखरता नजर आने लगा। जिससे मीना डिप्रेसन में रहने लगी । जब ये बात मीना के पति को महसूस हुई तो वो अपनी पत्नी को कही भी बाहर नही आने जाने देता था। लेकिन ये देखकर , कुछ सोच कर उसने मीना को बाहर आने जाने की छूट देने लगा ।
इस बीच मीना की दोस्ती कुसुम से हुई कुसुम भी उस समय परेशानियो में थी। ये दोनों ही एक जैसी स्थिति होने के कारण एक दूसरे को अच्छी तरह समझने लगी। और कहते भी हैं कि -
" दोस्ती में सबसे खास बात ये है कि आप उसे समझे वो आपको समझे "
दोनों ही एक दूसरे के नजदीक आ गई और सुख दुःख में साथ देने लगी ।मीना की दोस्त कुसम की रिलेटिव थी। मीना और उस रिलेटिव की आपस में बिगड़ गई । जिसकी वजह से मीना और कुसुम के बीच फर्क आने लगा । कुसुम अपने रिलेटिव को छोड़कर मीना का साथ नही दे सकती थी । लेकिन दोनों में निस्वार्थ दोस्ती थी तो वो टूटी भी नही। कहावत है कि -
" जो दोस्ती टूट जाये, वो कभी सच्ची दोस्ती थी ही नही "
कही ना कही दोनों के दिलो में एक दूसरे के लिए प्रेम व इज्जत थी । इसलिए वो ज्यादा दिन तक दूर ना रह सकी । लेकिन कुसुम के रिलेटिव लालची थे वे भी जुड़ना तो चाहते थे लेकिन बिना स्वार्थ के नही जुड़ना चाहते थे ।
मीना स्वार्थी लोगो से बचना चाहती थी वो नही चाहती थी कि ये लोग फिर कोई टेशन क्रेयट करें इसलिए वो उनको अपने साथ नही जोड़ना चाहती थी । इसलिए वो उससे नही जुड़ पाए । लेकिन कुसुम पर दवाब नही बना सकें । स्वार्थियों को उनकी निस्वार्थ दोस्ती के सामने कुछ नही चल पाई । दोस्ती हमेशा निस्वार्थ होनी चाहिए । कहते भी हैं कि -
" एक दोस्ती जो व्यापार से शुरू हुई हो उसकी तुलना में वो व्यापार अधिक अच्छा है जो दोस्ती से शुरू हुआ हो ।
पोस्ट अच्छी है.
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