Monday, October 24, 2016

बहाने बाजी यानी असफलता की गारंटी !!!

       
Image result for excuses in hindiदोस्तों ! बहाने बाजी की आदत ही सफल व असफल लोगो के बीच का  सबसे बडा अंतर  है। जब बनाते हैं , तो वो अवचेतन मन पर गहराई से बैठ जाता है । और फिर जितनी बार बहाने बनाते हैं उतना ही सच लगने लगता है। किसी  समझदार व्यक्ति ने कहा है - 

" सफल होने के लिए तूफानी दिमाग या चमत्कारी याददाश्त की जरूरत नही है । सफल होने के लिए लगातार लगे रहने की  क्षमता की जरूरत है । किसी भी कार्य में लगे रहने की क्षमता ही आपको योग्य बनाती है "


95 प्रतिशत योग्यता आपको जुटे रहने की क्षमता से प्राप्त होती है :- दोस्तों सफल तो सब होना चाहते हैं लेकिन सफलता की तैयारी की कीमत चुकानी पड़ती है । उसके लिए सब लोग तैयार  नही हो  पाते । अगर जिदगी में इंसान लापरवाही छोड़ दे तो ,वो सब कुछ अचीव कर सकता  है  जो वो सपने देखता है या चाहता है । किस्मत कही ऊपर नही लिखी जाती किस्मत बनती है सुनियोजित तरीके से काम करने से। चिंता, तनाव, उलझन ,अनुशासन हीनता ,नैगेटिव सोच हमे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर  

गरीबी, उम्र का कम ज्यादा होना , या समय ना होने का रोना ना रोएं :- ये बहाने सिर्फ कुछ ना करने के हैं।  अगर इन  कारणों की वजह से कुछ नही कर पाते।  तो कार्ल मार्क ने 59  साल की उम्र  में ( दास कैपिटल ) ना लिखी होती । डोनाल्ड विल्सन 70 वर्ष की आयु में ( u.s.a )  प्रसिडेंट नही बनते ।डेविड स्वार्टज जी ने लिखा है -

" हिसाब लगाओ की आप के पास कितना रचनात्मक समय बचा है । 30 वर्ष की आयु वाले के पास 80 % समय बचा है। और 50 वर्ष की आयु वाले के पास 40 % रचनात्मक समय बाकी   है "  

हेमामालनी का मानना  है -
" उम्र केवल एक अंक है । उम्र की वजह से कुछ करना या सीखना ना छोडे "
13 वर्ष की पूर्णा मलवथ ने एवरेष्ट फतह  किया है । पूर्णा के माँ बाप आदि वासी मजदूर हैं । बुनियादी सुविधाएं भी उनके पास नही हैं । 

अगर समय ना होने का रोना रोते  हो,तो  करने  वाले आठ घण्टे की ड्यूटी करके भी कर लेते हैं । अगर  आप सोचते हो की समय निकल गया । या बहुत देर हो गई।  तो समय निकला नही है । हाँ ऐसे ही टालते रहे तो जरूर समय निकल जायेगा । 




शारीरिक अक्षमता व अशिक्षता ये सब बहाने हैं :- आत्मविश्वास के  साथ बढ़ाया गया कदम, हमे जरूर मंजिल तक पहुँचाता है । आप इस बात को मानने से इंकार नही कर सकते। कि दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने इन शब्दो को सच करके दिखाया है । 

रही सक्षम व असक्षम की बात तो ये तो सब सोच पर निर्भर है । अगर ऐसा ना होता तो फरीदाबाद में रहने वाली लक्ष्मी पैरालिपक एथलीट अक्षम है , लेकिन सक्षम लोगो के लिए प्रेरणा बन गई । सुधा चन्द्रन उनकी उपाधि ऐसी है जिनसे सक्षम लोग भी प्रेरणा ले सकते हैं । कहते हैं अगर कुछ करने का जज्बा है तो रास्ते व मंजिल खुद मिल जाती है । 

अगर आप सोचते हो की आपके पास डिग्री नही है तो ऐसे लोगो की लंबी कतार है जिन्होंने अपने कालेज या स्कुल कैम्पस से ज्यादापने अनुभव से सीखा है । लता मंगेशकर कुछ महीने ही स्कुल गई थी। आज अपने हुनर से ही कामयाब हैं । 

बाबा रामदेव ने स्कुल से ही पढ़ाई छोड़ दी थी और वो ऐसे बोलते हैं जैसे उन्होंने धर्म ,अध्यात्म व दर्शन में पी.एच. डी कर  रखी हो । उनकी सक्सेस के बारे में  कौन नही जनता ।   

बीमारी को बहाना मत बनाओ :- जब तक आप बीमारी के बारे में सोचते हो तब तक  इनवाइट क्र रहे हो । जब आप  बातें करते हो तो आपको लगेगा की आप बहुत बीमार हो । बीमारियों का रोना छोड़ो और किसी डॉक्टर से सलाह लो और बीमारी से निजात पाओ । 

" एक रिसर्च में पाया गया है कि 95 % बीमारियां मानसिक हैं। सिर्फ 5 % लोग ही वास्तव में बीमार होते हैं " 

व्यस्त रहने का बहाना तो नही बनाते ? अगर ऐसा है तो सावधान ! इससे आपको ग्रोथ रुक  है । व्यस्त होने का बहाना बनाने का मतलब है आप किसी के काम नही आना चाहते। जरा सोचो जब आप किसी के  काम नही आओगे, तो आपकी जरूरत पड़ने पर कोई आपके काम क्यों करेगा ?   काम को प्रायटी दो लेकिन रिस्तो को इग्नोर मत करो । कई लोग व्यस्त नही होते बल्कि व्यस्ता के मनोविकार के शिकार होते हैं । 




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