
जब हम किसी सक्सेस इंसान को देखते हैं तो कहते हैं इसकी किस्मत अच्छी है । लेकिन दोस्तों किस्मत कुछ भी नही है सिर्फ हमारी मेहनत का फल है । मेहनत की है तो किस्म्मत अच्छी है और अगर मेहनत नही करते तो किस्मत खराब है। हाँ ऐसा हो सकता है कि मेहनत में आपको कम ज्यादा मिल सकता है । ये नही हो सकता कि आप पढ़ाई करो चार घन्टे और सपने देखो आईएएस बनने के । हाँ ये हो सकता है की आपने पढ़ाई की आईएएस की और आप बन गए pcs । बिना मेहनत के आपका कोई सपना पूरा नही हो सकता ।
आपको एक कहानी सुनाती हूं - राजबाला की शादी दुहेजवा से हुई । उसके पति के पहली पत्नी से दो बेटे थे । जब शादी कर के घर आई तो उसे ऐसा माहौल नही मिला की वो अपने पति या उन बेटो पर विश्वास कर सके ।आगे राजबाला के एक बेटा हुआ । वह अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर कामयाब बनांना चाहती थी ।
इसलिए उसने अपनी सारी उम्मीदे बेटे से जोड़ ली । और बेटे को वो जितनी सहूलियत दे सकती थी ज्यादा से ज्यादा दी । लेकिन उससे कभी कोई काम नही करवाती थी । पहली पत्नी के बेटे काम करते और वो हमेशा खेल कूद व दोस्तों में रहता जिसकी वजह से वो बिगड़ता चला गया ।
इसलिए उसने अपनी सारी उम्मीदे बेटे से जोड़ ली । और बेटे को वो जितनी सहूलियत दे सकती थी ज्यादा से ज्यादा दी । लेकिन उससे कभी कोई काम नही करवाती थी । पहली पत्नी के बेटे काम करते और वो हमेशा खेल कूद व दोस्तों में रहता जिसकी वजह से वो बिगड़ता चला गया ।
राजबाला ने भी उसकी सुख सुविधाओ का ख्याल तो रखा लेकिन ये ध्यान नही दिया की अगर ये मेहनत नही करेगा तो जिदगी की किसी भी फिल्ड में सक्सेस नही हो सकेगा । और लोग भी जब उसके बेटे के बारे में कहते तो उसे बुरा लगता । राजबाला अपने बेटे पर अंधा विश्वास करती थी, इसलिए उसे पूरी छूट दे रखी थी । घर में तो कोई काम पहले ही नही करता था अब उसका मन पढ़ाई में भी नही लग रहा था ।
उसने 'बी एस सी' से ही पढ़ाई छोड़ दी ।और गलत दोस्तों में फँसता चला गया । और ऐसी ही किसी कम पढ़ी लिखी लड़की से समय से पहले ही शादी कर ली, जिससे परिवार वाले और खपा हो गए । मेहनत करने की आदत तो बचपन से डाली ही नही थी। जिससे अब वो कोई काम नही कर पाता था । उधर दो बच्चे भी हो गए, अब क्या करे ? भाई हैं सब बराबर के हो गए तो जो घर की जमीन ज्यादाद थी वो भी भाइयों में बट गई । अब माँ के हाथ में भी कुछ नही रहा जो बेटे के परिवार को पाल सके । ऐसे स्थिति बन गई की घर में लड़ाई झगड़े होने लगे ।
भाइयो की निगाह में इमेज बिगड़ चुकी थी इसलिए उन्होंने भी मदद करनी छोड़ दी । और उसके हालात ये हो गए की उसपर जितना उसके हिस्से में आया था उतना कर्ज हो गया । काम पर टिक नही पाता था ।इसलिए जो उसके हिस्से में जमीन आई थी उसे बेचने की सोचने लगा ।
दोस्तों जिस बेटे से राजबाला ये उम्मीद करती थी। कि मेरा बेटा पढ़ लिखकर मेरा नाम रोशन करेगा। मेरी जिदगी के हर दुःख दूर करेगा। उसी बेटे की वजह से अब उसे हर इंसान के सामने शर्मिंदा होना पड़ा । और इसकी सिर्फ एक वजह थी की बेटे को मेहनत ना करने की आदत जो बन चुकी थी । अपने बच्चो को सब सुख दो लेकिन उन्हें कर्म प्रधान बनाओ । जब जरूरत पड़े तो उनसे काम भी दिल खोल कर करवाओ । ऐसा ना हो की वो निकम्मे बन जाएं ।
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