समय के अनुसार परिवर्तन होगा ही :- संसार में कोई भी चीज अचल नही है, परिवर्तन होता ही रहता है। महान दार्शनिक अरस्तु ने कहा है परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है लेकिन जब भी हम इसे मानने से मना करते हैं तभी हमे दुःख होता है । टेशन में आ जाते है, हमे ये मानना होगा की सुख के बाद दुःख आता ही है। जैसे- दिन के बाद रात और रात के बाद दिन लगा है । ऐसे ही सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख लगा है ।
सूर्य को भी एक दिन में तीन स्थितियों से गुजरना पड़ता है। वह शुबह हल्की गर्मी लिए होता है | दोपहर तक पूरा तप जाता है और शाम होते - होते ढल जाता है । सूर्य को अपार शक्ति का भंडार होते हुए भी कई उतार चढाव देखने पड़ते हैं। इसी तरह से जिदगी भी कई उतार चढ़ाव से गुजरती है। अगर हम इस सत्य को मान लें तो कभी हताश व निराश नही होंगे, और कर्म शील बने रहेगें ।
सूर्य को भी एक दिन में तीन स्थितियों से गुजरना पड़ता है। वह शुबह हल्की गर्मी लिए होता है | दोपहर तक पूरा तप जाता है और शाम होते - होते ढल जाता है । सूर्य को अपार शक्ति का भंडार होते हुए भी कई उतार चढाव देखने पड़ते हैं। इसी तरह से जिदगी भी कई उतार चढ़ाव से गुजरती है। अगर हम इस सत्य को मान लें तो कभी हताश व निराश नही होंगे, और कर्म शील बने रहेगें ।
परिवर्तन के साथ सामंजय बनाये रखें :- ये नही सोचना चाहिए कि हमारा सपना पूरा नही हो सकता । हमेशा ध्यान अपने लक्ष्य पर होना चाहिए, तभी ऊर्जा शक्ति सही से काम कर पाएंगी । जो भी कार्य करो पुरे मनोयोग व प्रसनचित होकर करो । हर कार्य में भटकाव व व्यवधान तो आते रहते हैं, लेकिन इन चीजो पर ध्यान देने की बजाए ज्यादा से ज्यादा समय अपने कार्य पर दें । आप वो पा सकते हो जो पुरे मन क्षमता व उत्साह से पाना चाहते हो ।
अपना अस्तित्व बनाएं रखने के लिए परिवर्तन स्वीकार करें :- यकीन रखें की बदलाव में ही भलाई है । बदलाव को स्वीकार करने वाला ही गति शील बन सकता है । अगर हम समय के साथ ना चलें तो पिछड़ जाएंगे । जीवन के सफर में हम तभी आगे बढ़ सकते हैं जब समय के अनुसार खुद को बदलते रहेगें । और आपका बिना बदले काम चल भी नही सकता । जब मौसम बदलता है, विचार बदलते हैं, मनुष्य की परिस्थितियां बदलती हैं।समय के अनुसार बदलने को ही विकास कहते हैं ।
परिवर्तन करते वक्त दुविधा में ना फंसे :- दुविधा हमारी इच्छा शक्ति को कमजोर कर देती है। और जब ये रोग हमारी इच्छा शक्ति में लग जाता है तो हमारी इच्छा शक्ति को कमजोर कर देता हैं ।जिससे हमारी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है । जिसकी वजह से हम सही डिशिजन नही ले पाते जब की किसी भी फिल्ड में सक्सेस के लिए सही डिशिजन लेना जरूरी है। जो भी डिशिजन ले सोच समझ कर लें । और फिर अटल रहें । बार बार फैसले बदलने वाले सक्सेस नही हो पाते ।
अपने जीवन में जब चाहो तब परिवर्तन ला सकते हो :- बदलाव के लिए समय या उम्र नही देखी जाती। बल्कि जरूरत देखी जाती है । जब भी आपको बदलाव की जरूरत लगे तभी बदलाव लाने लगें । सक्सेस लोगो में यही खूबी देखी जाती है कि वो जरूरत के अनुसार खुद को बदलते रहते हैं। हावर्ड विश्वविधालय के विलियम जेम्स का कहना है कि -
"अगर आपको अपनी जिदगी बदलनी है तो उसकी शुरुआत फ़ौरन करें "
हम बदलाव तो चाहते है लेकिन द्रढ़ इच्छा नही रखते । और तब तक कोई बदलाव नही हो सकता जब तक द्रढ़ इच्छा ना हो, द्रढ़ इच्छा शक्ति ही क्रयात्मक रूपदेन की शक्ति प्रकट करती है । और यदि द्रढ़ इच्छा हो तो नियमित रूपसे योजना बनाकर नही करते। सबसे पहले अपनी सोच बदलें, सोच से ही व्यवहार बदलने लगता है । शुरू में कोई भी बदलाव लाना अच्छा नही लगता चाहे वो अच्छाई के लिए ही क्यों ना हो लेकिन बाद में उसके बहुत से सुख हैं ।
थोड़े से परिवर्तन से बधाये भी सीढ़ी बनने लगेगी :-अगर आप जीवन में सक्सेस की इच्छा रखते हो तो समय के अनुसार अपने व्यवहार व आचरण को बदलते जाएं । अगर आप समय के अनुसार अपनी सनक की वजह से नही बदले तो आगे बढ़ पाना ना मुमकिन है ऐसे कितने ही लोग नाकामयाब हो गए जो सिर्फ समय के अनुसार अपने कार्य में परिवर्तन नही लाये , खुद को नही बदल पाएं ।
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