Thursday, September 29, 2016

जीवन में बदलाव क्यों जरूरी है ? और कैसे लाएं बदलाव !!!

Image result for changing lifeअगर बदलाव नही होगा तो हमारे जीवन में कुछ नया कैसे होगा ? समाज शास्त्री  मैकाइवर का कहना है कि समाज परिवर्तन सील है। अगर समाज में निरन्तरता को बनाये रखना चाहते हैं तो हमे यथा स्थिति  को छोड़ अपने आचार विहार को परिवर्तनमुख बनाना ही होगा ,तभी हमारी प्रगति संभव है । यदि हम परिवर्तन को स्वीकार नही करते तो हम रूढ़िवादी हो जाते हैं । जैसे रुका हुआ जल सड़ जाता है, वैसे ही रूढ़िवादी लोग परिवर्तन को स्वीकार नही  कर पाते  और अंदर ही अंदर दुखी होते हैं । 



छोटे छोटे बदलाव ही हमे  बेहतर से बेहतर इंसान बनाएंगे :- सबसे पहले खुद के स्वभाव को बदलें । जब तक आप अपनी गलत आदतों पर ध्यान देते रहोगे, तब तक वो आदते नही बदल सकती । जब आप ध्यान बदल लोगे तो, गलत आदतों को  ऊर्जा मिलनी बंद हो जाएगी।  इससे धीरे धीरे गलत आदत बदल जाएगी । आपके मन को एक बिंदु मिला चाहिए तब तक उसी में रमा रहेगा जब तक उसे दूसरा ना मिल जाये । इसलिए कोई भी आदत मत बनाइये सिर्फ ध्यान को रूपांतरित कीजिये । यही उपाय है आदतों को बदलने का । 

जीवन में बदलाव कैसे लाएं :-  आदतों में बदलाव लाते वक्त कठनाई तो होती है लेकिन बाद में सुख भी मिलता है। इसलिये जो बदलाव  समाज  में या जीवन में देखना चाहते  हो उस बदलाव को खुद में लाएं । बुराक ओबामा का कहना है -

 "यदि हम दूसरे व्यक्ति या समय का इंतजार करते रहे तो बदलाव नही ला सकते हम वही हैं जिसकी प्रतीक्षा कर  रहे हैं । हम वही परिवर्तन हैं जिसे हम तलाश रहे हैं " 

बदलाव चाहते हो तो कुछ बातें याद रखो :-१ कठिन प्रयास करें ।२  उत्साह पूर्ण बदलाव की आशा रखें । ३ धैर्य और साहस रखें । ४ अहसान मन्द रहें ।५  महान कार्य करें । ये बात याद रखो  कि जब तक आप कोई महान कार्य नही करोगे, तब तक आपके जीवन में कोई बदलाव नही आ सकता । 


बड़े बड़े उदेश्यो का संकल्प लें :-असफलता के डर से साधारण  जीवन जीने से अच्छा है । कि  आप कोई लक्ष्य  पाने का पर्यतन करें । जब आप पहले से लक्ष्य तय करके आगे बढेगे तो संभावनाओ का दोहन कर  सकोगे। अन्यथा आपके हाथ से अवसर कब फिसल जायेगा आपको पता ही नही चलेगा । 



बदलाव के लिए द्रढ इच्छा शक्ति जरूरी है :-  पहले सोचें की इस बदलाव का क्या फायदा है ?  इससे हमारी वास्तविक व क्षणिक इच्छा का पता चलेगा । क्षणिक इच्छा को टाल दोगे  और वास्तविक इच्छा को पुरे मनोयोग से पूरा करोगे । लक्ष्य का पूरा होना आपकी  द्रढ़ इच्छा पर निर्भर करता है । 

सही और अंतिम निर्णय लेने की आदत डालें :- निर्णय लेकर उस पर डटे रहें । अगर निर्णय गलत भी हो जाये तो उसे मोडिफाई करके सही करने की कोसिस करें। अगर गलत निर्णय ले लिया है तो अगली बार निर्णय लेते वक्त ध्यान रखोगे। अभ्यास से ही विचारक शक्ति परिपक होगी। परिपक शक्ति से ही सही डिशिजन ले सकोगे । सही डिशिजन का मतलब है सही समय पर सही लाभ हानि के बारे में सोच कर डिशिजन लेना। जल्द बाजी व हट बाजी में कोई निर्णय ना लें । जल्दबाजी व हट बजी में लिए डिशिजन हमेशा समस्या पैदा करते हैं । 

केंद्रित होकर कर्मठ की राह पर चलें :- कर्मठ इंसान कभी भी घाटे  में नही  रहता । जो मिलता है वो तो मिलता ही है उससे भविष्य भी सभल जाता है । मेहनत के बल पर बदलाव लाने की कोशिस करें । मेहनत करने वाले लोग अपने जीवन की दशा खुद निर्धारित करते हैं । किसी  भी कार्य  में अपनी सक्सेस  के लिए कर्मठ होना  अनिवार्य  है। और कर्मठ तभी बना जा सकता है जब आपको ये पता हो की आप कितने टू दा पॉइंट हो।ऐसा तो नही की आपको जाना कही है और जा कही और रहे हो ।आपका मंजिल व रास्ता एक हो ।  








Wednesday, September 28, 2016

कथनी और करनी का फर्क!!!



Image result for kathni aur karniदोस्तों ! आपको किसी की आप बीती कहानी सुनाती हूँ - आसिष बहुत मेहनती है। उसका सोचना है कि मेहनत से ही इंसान सफल व असफल होता है। इसलिए वो रात दिन कड़ी मेहनत करता । हर काम समय से निबटाता और हर सपना उसने अपने लक्ष्य को पाने के लिए कुर्बान कर  दिया। वो चलती फिरती मशीन बन  गया था। लेकिन उसमे एक गलत आदत थी उसकी करनी और कथनी में फर्क था । 


ना किसी रिलेटिव के वहां जाता था और  ना किसी को अपने घर बुलाता था। पूरी  साल ना कभी वो छुटी लेता और ना कभी कही  घुमने जाता। और ना ही अपने बीबी बच्चो को कही जाने देता। घर पर अगर बहन भांजी या कोई आ जाये तो ना किसी को कुछ देकर खुश था । वो सोचता था की में एक दिन कामयाब हो जाऊंगा । 

जिससे एक बार उधार ले लिए उसे सालो भी लौटाने का नाम नही था । जिससे एक बार लिया उससे दुबारा लेने का रास्ता नही छोङता था ।इसके चलते वो हर रिस्ते से दूर होता गया। बिलकुल अकेला उससे ना उसका परिवार खुश था और ना ही कोई रिलेटिव या दोस्त खुश था । 

और खुद भी  अपनी फिल्ड में  सफल नही  हुआ । उसकी पत्नी समझदार व पढ़ी लिखी थी। वो अपने पति की असफलता का कारण जानती थी। खुद उसकी इस आदत से दुखी थी। ओरो के साथ  तो आसिष ऐसे करता ही था  अपनी पत्नी को भी एक एक पैसे के लिए तरसा देता था । 

शंकी मिजाज इंसान था इसलिए हर समान घर का खुद लाता।  और अगर पत्नी अपने पर्सनल खर्चे के लिए मांगती तो टालता रहता। मना नही करता था लेकिन देता भी नही था। कल लेना परसो लेना अभी मेरे पास नही हैं । ऐसे कह कर टाल देता और मुश्किल से इतने पैसे पत्नी को देता की गुजारा  कर  सके । 

पत्नी पढ़ी लिखी व समाजिक थी । जैसे-२  वक्त बीत रहा था पत्नी की समस्या  बढ़ती जा रही थी । वो पति को फैलियर नही देखना चाहती थी।समाज में इज्जत से जीना चाहती थी । इसलिए वो समाज में इज्जत बनाये रखने के लिए जोड़ तोड़ करती रहती । लेकिन पति अपनी आदत को बदलने के तैयार नही था । 

इसलिए पति का काम चलाने के लिए खुद उधार लेती। और जब पति वो पैसे समय पर नही देता तो फिर किसी और से लेकर उसे देती।  वो कथनी और करनी में फर्क नही करना चाहती थी। वो जानती थी की अगर उसने पति की तरह किसी को समय पर नही दिए तो लोगो का विश्वास उठ जायेगा ।  और  पति के जैसी इमेज बन जाएगी ।

इससे पति का काम  तो चल निकला। लेकिन पत्नी कहा से दें ? पत्नी हॉउस वाइफ थी । बस उसे अपने बेटे का कामयाब  होने का इंतजार था।  और साथ में डर भी था कि कही ये अपने बाप दादा पर ना चला जाये ।  ये भी उनकी तरह असफल ना हो जाये । क्यों कि उसने अपने ससुर पति और देवर जेठो की  भी  करनी और कथनी में फर्क देखा था। यही गलत आदत उनकी फैलियर की वजह थी। कहते है कि  -

   " कहते हैं करते नही मुंह के बड़े लबाड़ , मुखड़े काले होंगे साहिब के दरबार "





Monday, September 26, 2016

क्या आपकी कथनी और करनी एक है ?



Image result for kathni aur karniदोस्तों ! किसी ने मुझसे पूछा की सफलता  और असफलता का सबसे बड़ा कारण क्या है ? 



मैने उसे दो  सफल और असफल लोगो के बारे में कुछ जानकारी लेने के लिए, उनके आस पास रहने के लिए, और उन्हें  नजदीकी से जानने के लिए कहा । जब कुछ दिन बाद वो मुझे मिला तो मैने उससे पूछा की बताओ दोनों में क्या फर्क है ? 


उसने मुझ से कहा कि  मैने जब  उन दोनों लोगो को पास से जाना तो सबसे बड़ा एक फर्क मिला। जो सफल व्यक्ति है वो बोलता कम है और जो बोलता है उसे हर हल में  पूरा करता है । और जो असफल व्यक्ति है वह बोलता बहुत  कुछ है लेकिन जो कहता वह  करता नही है ।  इस आदत के चलते सफल व्यक्ति पर सब भरोसा करते हैं और असफल पर कोई भी भरोसा नही करता ।   


दोस्तों ! कथनी और करनी का फर्क ही इंसान को सफल व असफल बनाता है। इस लिए जो बोलते हो उसे पूरा करो। नही तो लोग आप पर विश्वास नही करेगे । और जब आप पर विश्वास ही नही करेगे तो फिर वो आपका सहयोग नही  कर  पाएंगे और बिना सहयोग के आप सफल नही हो सकते।एक आदत की वजह से आप पूरी जिदगी सकूँन  भरी भी जी सकते हो और असफलता गरीबी लाचारी भरी भी जी सकते हो । आपके हाथ में है आप कैसी जिदगी जीना चाहते हो । मेरी मम्मी कहती हैं कि -


" हाथ का सच्चा जुबान का पाबंद  और चरित्र वान व्यक्ति रोड पर बैठकर भी कमा के खा सकता है "  


और जिस इंसान के अंदर ये क्वालटी नही है उसे विरासत में करोड़ो भी मिल जाए तो उसे बर्बाद  कर  देगा । अगर सफलता चाहते हो तो ये तीन उसूल जीवन में उतार लो । 





Friday, September 23, 2016

प्रयास जारी रखें !!!

            

दोस्तों !  ये जरूरी तो नही की आपको पहली बार प्रयास करने पर ही सक्सेस  मिल जाएं ?। कई लोगो को पहली बार प्रयास करने से ही सक्सेस मिल जाती है और कई लोगो को कई बार कोशिस करने पर मिलती है । इसलिए निरंतर ईमानदारी से प्रयास करते रहो । 

" बारिस की छोटी छोटी बूंदे, भले ही छोटी हो ,लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है । ऐसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास निश्चित ही हमारी जिदगी में बड़े परिवर्तन लाने  में सक्षम होते हैं । प्रयास छोटा  ही सही लगा तार होना चहिये" 
                                                      -  b k shivani 

जो आज तक कामयाब हुए हैं, उनमे से बहुत से लोग ऐसे है जिन्होंने कई बार असफलता का सामना किया। कई बार लोगो ने नकारा लेकिन हार नही मानी उन्होंने चलना नही छोड़ा और आखिर एक दिन वो कामयाब हुए । 


आपने कई छोटे बच्चो को  पहली बार चलते देखा होंगा कि वो चलती बार कई बार गिरते हैं और फिर उठकर चलने की कोशिस करते हैं । वो  एक बार नही गिरते अनेक बार गिरते हैं और हर बार उठकर चलने का प्रयास  करते हैं । और जब तक प्रयास जारी रखते है तब तक वो चलना नही सीख लेते ।  


ऐसे ही सक्सेस चाहने वालो को जब तक अपना प्रयास जारी रखना चाहिए जब तक उन्हें अपनी मंजिल ना मिल जाएं। रास्ते में कई तरह की रुकावटे आती है कई तरह की समस्या खड़ी होती हैं लेकिन मंजिल तक वो पहुचता है। जो इनके रोके नही रुकता । 


किसी ने सही कहा है की आप पहला कदम उठाओ और उसमे  जो आप कर सकते हो उसे करते जाओ। आगे की राह खुद प्रसस्त होती जाएगी । विचारक रॉबर्ट जे क्लियर कहते हैं कि - 

"  सफलता छोटे छोटे  कई प्रयासो का नतीजा होती है ,जिन्हें लगातार कई दिनों तक दोहराया जाता है "  

लेकिन कई लोग एक बार दिक्कत आने पर या असफल होने पर प्रयास करना छोड़ देते हैं । और हालात से समझौता कर लेते हैं । और फिर पूरी जिदगी गरीबी परेशानी व टेशन भरी जीते हैं । 

दोस्तों आप मुझे एक बात बताओ कि आप एक बार हार मानकर पूरी जिदगी घुटन भरी जीना चाहते हो ?  या खुशहाल जिंदगी जीना चाहते हो ? आप खुशहाल जिदगी जीना चाहते हो तो  तब तक हार नही मानना जब तक  जीत ना जाओ ?  


हार मानने वाले ही  पूरा जीवन असफल रहते हैं । और जो हार नही मानते वो लगातार प्रयास करते रहते हैं और आखिर उन्हें एक दिन सक्सेस मिल ही जाती हैं । ब्रह्माकुमारी की मैगजीन के स्लोगन में पढ़ा था -

" कमजोर तब रुकते जब थक जाते हैं, और विजेता तब थमते हैं जब वो जीत जाते हैं "   





Thursday, September 22, 2016

हर इंसान अपना वजूद ढूढ़ता है !!!

          

Image result for vjud mera kya hai is duniya meदोस्तों ! कई परेंट्स या जीवन साथी अपनी मर्जी थोपते हैं । वे चाहते हैं कि उनकी मर्जी से कॅरियर चुनें। कई लोग चाहते हैं  कि उनकी पत्नी जॉब ना करें या उनका बिजनैस सँभाले । 

दोस्तों में फलां की बेटी हूं फलां की पत्नी हूं फलां की मम्मी हूं । इसमें मेरा वजूद क्या है ? हर इंसान अपना वजूद दुढ़ता है । और उसे उसी से सन्तुष्टि मिलती है ना  कि  अपने पेरेंट्स या जीवन साथी के चुनें रास्ते से । 

अगर आप डॉक्टर बनना चाहते हो और आपसे कहा जाएं कि  आप को इंजीनियर बनना है। तो आप बनना चाहोंगे  ? या आप करना चाहते हो l.l.b. और आपसे  कहा जाएं कि आप सिविल सर्विस की तैयारी करो।  तो आप करना चाहोंगे  ?  या  आप  कर  पाओगें ?  "नही दोस्तों  ' 

पहले तो आप करना ही नही चाहोगे । और अगर आपने अपने पेरेंट्स के लिए या जीवन साथी के लिए कम्प्रोमाइज कर भी लिया तो आप उस पढ़ाई को नही कर पाओगे । और अगर आपने पढ़ाई भी कर ली और डिग्री भी मिल गई । लेकिन आप उस फिल्ड में इतने सक्सेस नही हो पाओगें  जितना की हो सकते थे ।  और  अगर आप   सक्सेस  हो भी गए तो  आप अपने काम को इंजॉय नही कर पाओगें । क्यों कि आपका कार्य आपकी पसंद का नही है ।  

हम खाना दुसरो की पसंद का नही खा सकते । कपड़े दुसरो की पसंद  के नही पहन सकते । तो हम कॅरियर या शादी जैसी चीज दुसरो की पसन्द की कैसे  कर  सकते हैं ? ये तो तभी हो सकता है या तो हमारी खुद की कोई च्वाइस ना हो या फिर समझौता करा हो । अगर अपनी पर्सनल कोई च्वाइस नही है तो चलेगा। लेकिन अगर समझौता किया है तो उम्र भर एक कसक दिल में बनी रहेगी । और ये बात उन लोगो के दिल में झांक कर  देख लेना जिन्होंने लाइफ में समझौता किया है । 

दोस्तों ! मेरा यही कहना है की आप अपने बच्चो को पूरी फ्रीडम देते हो, अच्छी लाइफ स्टाइल देते हो तो कॅरियर व शादी जैसे  निर्णय लेने में भी उन्हें फ्रीडम दो । उनकी खुशियों के दुश्मन मत बनो। वैसे भी न्यू जनरेशन हम से बहुत एडवांस है । अपना भला बुरा हम से बेहतर सोच समझ सकती है ।  




Tuesday, September 20, 2016

आलसी लोग सक्सेस का रस नही चख पाते !!!

 दोस्तों !  स्वेट मार्डन का कहना है कि इंसान की सक्सेस की राह का सबसे बड़ा रोड़ा आलस्य है । आलस्य से इंसान के सभी गुण  छिन  हो जाते हैं । जो भी इंसान आलस्य की चपेट में एक बार आ गया वो मुश्किल ही फिर निकल पाया है । आलसी इंसान के लिए सक्सेस होना असंभव है । आलसी इंसान  अपने लक्ष्य  को तय नही कर पाता । 

सामर्थ्यवान होकर भी अपने हाथ में आये हुए अवसर खो देता  है। इसलिए वो दरिद्र व लाचार बना रहता है ।  किसी भी कार्य को कल पर छोड़ने की आदत इंसान को सक्सेस नही होने देती । इसलिए हर काम को आज और अब करने की आदत बनाए । 

आलस्य व लापरवाही पूर्ण समर्पण नही करने देती :-किसी भी कार्य में तभी सक्सेस मिल सकती है जब पूर्ण समर्पण हो । पूर्ण समर्पण के आभाव में सक्सेस  नही मिल सकती और मिल भी गई तो ज्यादा दिन नही ठहर सकती । 

आलस्य  क्यों आता है ? दोस्तों ! ज्यादातर तो जिस कार्य में हमारी रूचि ना हो और वो करना पड़े तब हमे आलस्य आता है । अगर हमारी रूचि के अनुसार कार्य है, तो हमे आलस्य नही आयेगा । आपने देखा होगा जिसे जो कार्य करने का शोक है  वो उस कार्य को करके गुड़ फील करता  हैं । उन्हें उस कार्य से कभी भी आलस्य नही आयेगा । जैसे जिन्हें क्रिकेट खेलने का शौक है उन्हें क्रिकिट खेलने में आलस्य नही आयेगा । इसलिए अपनी पसंद का कार्य करो । 

आपसी अनबन संघर्ष व आत्मविश्वास की कमी :- इन कई बार विपरीत हालातो के चलते भी थक जाता है । और थकान  इंसान को कमजोर बना देता है । और कमजोर इंसान आलस्य  के कब्जे में आ जाता है।  आलस्य उसे बेबस बना देता है । आलस्य और गुस्सा दोनों ही जीवन में रुकावट पैदा करते हैं । आलस्य पुरषार्थ को ऐसे जला  डालता  हैं जैसे अग्नि सब कुछ जला कर राख कर  देती है। इसलिए किसी भी कार्य में आलस्य ना करें । आलस्य के  और भी कई कारण हो सकते हैं -जैसे थकावट होना , सही मेहनताना न मिलना , सही इन्वार्मेट का ना होना ,नींद का पूरा ना होना आदि । 

आलस्य से कैसे बचें :-  आलस्य से बचने का सिर्फ एक मार्ग है जिस कार्य को करते हुए आपको आलस्य आ रहा है उसे करने के लिए जबरजस्ती लग जाएं । और तब तक मेहनत करते रहे जब तक आप मंजिल तक ना पहुच जाएं ।आप थोड़ी ही देर में देखेंगे की आलस्य का भुत अपने  गायब हो जायेगा । किसी भी कार्य को छोड़ते हुए ये जरूर सोच लें कि आलस्य जीते जी मनुष्य की कब्र है । 

अपने लिए कोई लक्ष्य तय करें :- जब आप अपने लिए कोई लक्ष्य तय करेंगे । तो वो लक्ष्य आप को आलस्य नही करने देगा । आप थक भी जाओगे तो भी आपकी निगाह लक्ष्य पर टिकी रहेगी । और उठकर आप दुबारा से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ जाओगे । आलस्य उन लोगो को आता  है जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नही होता । 





विचार ही हमारे जीवन की दशा व दिशा निर्धारित करते हैं !!!


Image result for positive vichar दोस्तों !  हमारे कर्म विचारो के वाहक होते हैं । अतः अगर हम अपने विचारो को सुधारे तो हमारे कर्म भी सुधर सकते हैं ? इसलिए हमे अपने विचारो के प्रति हमेशा सावधान रहना चाहिए। या विचारो की क्वालटी डाउन नही होने देनी चाहिए ।

अगर हमारे विचार ही अच्छे या पोजेटिव नही हैं तो हमारे कर्म भी अच्छे नही बनेगे । क्यों कि विचारो से कर्म बनते हैं और कर्म से जीवन बनता है ।

   "जैसे विचार वैसे कर्म जैसे कर्म वैसा जीवन "

अब आप सोचो कि आपको कैसा जीवन चाहिए  ? फिर जैसा जीवन चाहिए वैसा ही सोचो । अच्छे कर्म व अच्छे जीवन के लिए, हमारे विचार भी अच्छे होने चाहिए। तभी हमारा जीवन अच्छा बन सकता है।

जैसे हम अपने बगीचे में अपनी पसंद के फूल पौधे उगाते हैं। और बेकार की घास पतवार को उखाड़ फेकते हैं । वैसे ही हमे अपने मन में अपने पसन्द के विचार लाने चाहिए। और नैगेटिव विचारो को तुरन्त बदल देना चाहिए। तभी हमारा जीवन  हमारी पसंद का  बन सकता है । इसलिए हमेशा सकरात्मक विचार मन में लाएं 

लोग कहते हैं की सोचने से कुछ नही होता पुरुषार्थ करना पड़ता है , लेकिन पुरुषार्थ भी इंसान ऐसा ही करता है जैसा वो सोचता है ।पुरुषार्थ करने के लिए भी हमारे विचार प्रेरित करते हैं । अच्छे विचार अच्छे कर्म बुरे विचार बुरे कर्म। हमारे विचार ही तो हमारे जीवन की दशा व दिशा निर्धारित करते हैं ? 

आपने देखा होगा की एक इंसान लाइफ की हर फिल्ड  में सक्सेस मिलता है।  और दूसरा लाइफ की हर फिल्ड में फैलियर  रहता है । इसका  कोई भी और रीजन  नही है  सिर्फ विचारो का फर्क है । 

सक्सेस इंसान को देखा होगा वो हर बात में पॉजेटिव पहलू को देखता है और फैलियर हर बात में नेगेटिव पहलू को देखता है । दोनों का देखने का नजरिया ही फैलियर व सक्सेस बनाता है । 

एक छोटी सी समस्या में उलझ कर रह जाता है।  और दूसरा शांति से सोच कर उस समस्या का समाधान ढूढ लेता है । 

" दुनिया में कोई भी समस्या ऐसी नही है जिसका कोई समाधान ना हो" 

सिर्फ समस्या के समाधान ढूढ़ने पर फॉक्स करो, चिंतन करो, पोजेटिव एटीट्यूट रखो,   और ठंडे दिमाग से जब तक सोचते रहो, तब तक आपकी समस्या का समाधान नही निकल आता । फिर आप देखना की आपकी हर समस्या का समाधान निकल आएगा । 










Monday, September 19, 2016

समस्याएं जब आती हैं तो अपने साथ जीवन में आगे बढ़ने का मौका लाती हैं !!!



Image result for atma nirbhartaदोस्तों ! जिन लोगो के जीवन में जितनी ज्यादा समस्याएं आती हैं । उतनी ही उसे निखार देती हैं उतना ही उसे लायक व सक्सेस बना जाती हैं। जिन लोगो के जीवन में समस्याएं नही आती वो आम आदमी बन कर रह जाते हैं ।

समस्याएं जीवन में साबुन का काम करती हैं जितनी समस्याएं आती हैं उतना ही इंसान की योग्यता व टेलेंट को  निखारती हैं । 

मुझे बचपन से ही लोगो को मोटिवेट करना व दुसरो की हैल्प करने  का शौक था । इसकी वजह से मेरी स्कुल व घर समाज में अलग पहंचान थी । 

वक्त के साथ साथ मेरे जीवन में परिवर्तन आया। पढ़ाई बीच में ही छूट गई और किसी कारण वस मेरी शादी समय से पहले ही हो गई । लेकिन मेरी ये हॉबी कम नही नही हुई बल्कि बढ़ती ही गई । 

लेकिन कही  ना कही परिवार की जिम्मेदारियों ने, खराब हालातो ने और बीजी शिड्यूल ने मेरी सोच को नैगेटिव बना दिया और में रात दिन टेशन में रहने लगी । डिप्रेशन जैसी समस्याएं मेरे सामने थी । 

इनसे बचने के लिए में अध्यात्म की तरफ झुकती चली गई । और मेरा इन चीजो में आना जाना बढ़ने लगा । इससे में टेशन व डिप्रेशन जैसी चीजो से तो निकल गई लेकिन अध्यात्म की तरफ कुछ ज्यादा ही बढ गई ।

जब अध्यात्म की तरफ बढ़ी तो बड़े बड़े प्रोग्राम ऑग्नाइज करने लगी । इससे मेरे ही दोस्तों में ईर्ष्या जलन और घमंड जैसी चीजो ने जन्म लिया । और उन्हें ये बात गवारा न थी की इन कामो में मेरा नाम उनसे आगे हो । 

जिसके चलते उन्होंने मेरे सामने पहले जैसी स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी और में फिर से उसी टेशन और डिप्रेशन की शिकार होने लगी । 

मेरी बेटी ने मुझे समझाया की मम्मी आप सोचते रहने या हमे समझाने की बजाए ये लिखना शुरू क्यों नही कर देती ?  वैसे भी आप बहुत ही अच्छी तरह मोटिवेट करती हो।  इससे हमे भी और और लोगो को भी बहुत कुछ  सीखने के लिए मिलेगा । 

इससे मेरी जिदगी बदल गई और मुझे जीने का आधार मिल गया । मैने लिखना शुरू किया। मेरे बेटे का इसमें पूरा सहयोग रहा । अब में घर की जिम्मेदारी के साथ साथ लेखन कार्य करती हूं । 

जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे मेरी रफ्तार बढ़ती रही । अब मेरे लेख मैगजीन व समाचार पत्रो में  छपते हैं। और में बिलॉगिग करती हूं जिसका मुझे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है । 

आज लोग मुझे एक हाउस वाइफ की जगह एक लेखक व समाज सेवक के रूप में  ज्यादा जानने लगे हैं । इससे में बहुत खुश हूं जो सपना मेरा छूट गया था कुछ  करने का वो सपना पूरा हुआ। और मुझे अब नेगेटिव सोचने का, टाइम पास करने के लिए मेरे पास अब समय  ही नही है ।













Sunday, September 18, 2016

निर्भरता छोड़े , आत्म निर्भर बनें !!!

                        
Image result for atma nirbhartaदोस्तों! सही कहा  है किसी ने  " पर आधीन स्वप्न सुख नाही "    जब तक आप दुसरो के आधीन रहेंगें , तब तक  आप सुखी नही रह सकते। चाहे आप करोड़ पति के बच्चे  हो, भाई बहन हो, या जीवन साथी। 

आपको अपने खर्च का ब्यौरा घरवालो को देना ही होगा:- आपके खर्चो पर रोक टोक होगी। और आपकी  भावनाओं की सोच की या आयडिया की कोई वेल्यु नही होगी। आपकी कोई नही सुनना चाहेगा , जब तक आप खुद नही कमा रहे। या खुद कुछ अपने बल पर घर व परिवार वालो को कर के नही दिखाते। इसलिए अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक है । 

आत्मनिर्भरता इंसान को स्वाबलबी तो बनाता ही  है। साथ में उसे आत्मविश्वासी भी बनाता है :- दुसरो पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति की शक्ति , योग्यता व स्वभिमान का ह्रास  होता है ।दुसरो पर निर्भर रहने वाला व्यक्ति किसी भी विपरीत परिस्थित का सामना करने में सक्षम नही होता । उसे अपने जीवन के फैसले लेने के लिए दुसरो पर निर्भर रहना पड़ता है ।

जिस घर समाज या देश में आत्मनिर्भर लोग ज्यादा होते हैं उनकी सम्रद्धि देखने योग्य होती है :- और जिनमे कम लोग आत्मनिर्भर होते है वहा की हालत दयनीय  है । वहां हमेशा लड़ाई झगड़े बने रहते हैं । आप लोगो ने देखा होगा की  अक्सर घरो में भी लड़ाई झगड़े पैसे की वजह से ही होते हैं । 


आत्मनिर्भर बनने के लिए मनुष्य के पास डिग्री हो  ये जरूरी नही है :- कई लोग आपने देखे होंगे की कम पढे लिखे भी आत्मनिर्भर हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए तो एक जनून जरूरी है । मेहनत जरूरी है ।सब्जी बेचने वाला भी आत्मनिर्भर है।  और घर घर झाड़ू पोछा लगाने वाली भी आत्म निर्भर है । आत्मनिर्भर व्यक्ति घर समाज के साथ साथ सबका कल्याण करता है ।  


पैसा वाला व्यक्ति  अक्सर खुद ओवर कॉन्फिडेंट व दुसरो को कम मापने लगता है :- जो लोग आत्मनिर्भर नही होते उनका आत्मसम्मान दुसरो के दुवारा बार बार  खण्डित  होता । और लोग उसे हीन दृष्टि से देखते हैं । अक्सर उन्हें पैसो वालो के सामने झुकना पड़ता है ।  किसी महान इंसान का कहना है कि -

            " मानव का महत्व आश्रित बनने में नही आश्रय देने में है " 



हर इंसान के अंदर ईश्वरीय गुण हैं। लेकिन इन गुणों को अपने अंदर खोजने लिए खुद को समय देना अनिवार्य है :- इन्हें पहंचान कर ही आप आत्म निर्भर बन सकते हैं। पर आधीन इंसान कभी भी ऊचाइयों को नही छू सकता। जब तक आप आत्म निर्भर नही बन जाते] तब तक आप अपनी मर्जी व योग्यता के अनुसार आगे नही बढ़ पाएंगे ।  

दुसरो पर निर्भर व्यक्ति उस गरीब की तरह हैं जिस के पास है तो बेसकिमती हीरा पर उसको उसका मूल्य ही नही पता :- इसलिए वो सड़क पर भटकने के लिए मजबूर है। और सब की सुनता रहता है सब उसकी अवहेलना करते हैं । आत्मनिर्भर बनने में समस्याएं तो आएगी लोग रोडे तो अटकाएंगे लेकिन इनसे घबराने की आवश्यकता नही है। सचिन तन्दुलकर ने भी एक मैगजीन में लिखा था कि -

कुछ हम उम्र लोग मुझे परेशान करते थे और खुद को बेहतर साबित करने की फ़िराक में रहते थे। सचिन कहते हैं कि में कभी कभी विचलित हो जाया करता था  "  
   
फिर में खुद का विश्लेषण करने जुट जाता। और जो कमियां मुझे अपने अंदर नजर आती उन्हें सुधारकर आगे बढ़ने की कोशिस करता था। आज लगता है कि अगर उन लोगो ने बाधाए पैदा न की होती तो मेरे प्रयास में कमी रह जाती । दिनकर का कहना है कि ----

अगर आपने अपने जीवन का लक्ष्य कुछ विशेष चुना है तो आप गंगा से सीख लो । गंगा को समुंदर में मिलना है इसलिए वह छोटे -२ नदी नालो की मिलने की परवाह नही करती " 



Friday, September 16, 2016

सही समय पर सही डिसीजन लेना अनिवार्य है !!!


Image result for nirnay lenaदोस्तों ! आप ये तो मानते हो कि किसी भी कार्य को  करने से पहले   हमे कुछ निर्णय ले ने पड़ते हैं । अगर हम सही समय पर सही डिशिजन  नही ले पाते तो हमारे समय और बुद्धि का दुरूपयोग होता है । हमारी चिंताएं बढ़ जाती हैं। हमे अब क्या करना है ? क्या नही करना है ? क्या उचित है या क्या अनुचित है ? किस कार्य से हमे प्रॉफिट है ? किससे नुकसान है ? ऐसे सवालो का जवाब हमे डेली खुद को देना पड़ता है । 


वैज्ञानिक और विश्लेषण युक्त सोच का आभाव हमे सही समय पर सही डिशिजन नही लेने देती :-  और इस देरी से समय का तो नुकसान होता ही है।  और कई बार हमारे हाथ में आया हुआ मौका भी निकल जाता है । इसलिए हमे अपनी सोच  को सही व तर्क संगत रखनी चाहिए। सही समय पर सही डिशिजन ना लेना का मतलब है अपने ऊपर विश्वास का ना होना । इसलिए  मानव की सोच वैज्ञानिक व विश्लेषण युक्त होनी चाहिए ।  

सक्सेस के लिए सही समय पर सही डिसीजन लेना अनिवार्य है :- लेकिन सही डिसीजन कैसे लें ? ये महत्वपूर्ण है। अगर हमारे अंदर सही गलत की समझ है। तो  हम सही समय पर सही डिसीजन ले सकते हैं । और अगर हमारे अंदर सही गलत का निर्णय करने की क्षमता नही है तो हम गलत डिशिजन ले लें गे। गलत डिशिजन का परिणाम हमेशा कष्ट कारी ही होता है। इसलिए सही डिशिजन लेना अनिवार्य है ।


सही डिसीजन से ही हम अपने जीवन में सक्सेस व खुश हाली ला सकते हैं :- इसलिए अगर आप अपनी लाइफ में सक्सेस व खुश हाली चाहते हो तो पहले अपनी बुद्धि को परखना होगा । खुद पर विश्वास करना होगा । और बुद्धि का सही प्रयोग करके सक्सेस प्राप्त करनी होगी । नही तो हम अपने और अपनों की जिदगी में कभी शकुन नही दे सकते। हमे कोई पसंद करेगा और हम सब के लिए टेशन ही बने रहेगे । 


 सही डिशिजन कैसे लें \   

माइड को कूल रखें:- ठंडे दिमाग से ही आप सही डिशिजन ले सकते हो । ठंडे दिमाग से जो भी कार्य किये जाते हैं उनकी गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है । जब जीवन में कठनाई के छन आते हैं तब हम ठंडे दिमाग से हल निकाले तो हम कठनाइयों को आसानी से पार कर सकते हैं। ठंडे दिमाग से काम लेने वाले व्यक्ति ही घर ]समाज] व देश के विकाश में सहयोग करते हैं व नया अविष्कार करते हैं ।  

अनुभव से सीखें:- जब हम कोई भी कार्य करते हैं तो हमे पहली बार में सक्सेस मिले या ना मिले लेकिन अनुभव जरूर मिलता है। और उसी अनुभव के आधार पर हम सक्सेस की राह चुनते हैं । इसलिए अपनी हर गलती से हर कार्य से अनुभव जरूर लें । जब आपके पास अनुभव होगा तो सही डिशिजन लेने की क्षमता आप में  जरूर होगी । 

नए नए प्रयोग करो :- जब आप लाइफ में नए नए कार्य करोगे तो आपको नए नए अनुभव मिलेंगे जितनी आपसे गलती होगीं उतना ही आपका अनुभव बढेगा । इसलिए हमेशा कुछ ना कुछ नया करते रहो । गलती करते रहो  लेकिन एक गलती दुबारा मत दोहराना । नही तो जिदगी आगे बढ़ने का मौका दुबारा नही देगी । 

जिदगी में अवरोधको से ना घबराएं !!!



दोस्तों! असफलता हमारी लाइफ में स्पीड ब्रेकर की तरह है। जो हमारे जीवन गाड़ी की राह मे आते हैं और हमारी रफ्तार धीमी कर देते है। जिस तरह गाड़ी हमेशा एक गति में नही चल पाती उसी तरह हमारा जीवन भी एक गति में नही चल सकता । उतार चढ़ाव जीवन में आता ही रहता है ।कुछ लोग असफलता से हिम्मत हार कर बैठ जाते हैं । और कुछ लोग असफलता से सीख लेकर आगे बढ जाते हैं नया इतिहास रचते हैं । थामस अलावा कहते हैं कि---- 

̕ ̕ मैने अपनी हर असफलता को स्पीड ब्रेकर की तरह लिया है । में कुछ देर रुका आत्म निरक्षण किया और फिर आगे की तरफ बढ़ गया  ̕ ̕


आप असफलता रूपी स्पीड ब्रेकर को पार करके ही सफलता तक पहुच सकते हो । अल्फेड आर्मंड का कहना है कि ---

̕ ̕ बहुसंख्य लोग बाधाओ को देखते हैं ,सिर्फ चन्द लोग ही लक्ष्यो पर नजर टिकाएं रहते हैं । इतिहास बाद वालो की सफलताएं दर्ज करता है । और पहले वालो को भुला देता है ̕ ̕ 

अवरोधको को पार करना चाहते हो तो अपना द्रष्टिकोण बदलो------ क्या आप ये मानने के लिए तैयार हो कि कुंठा भय दुःख निराशा जैसी चीजो को बदला जा सकता है बिलकुल नही ना । लेकिन ये सम्भव है। इसके लिए आपको अपनी सोच को बदलना होगा। आपकी सोच ही अवरोधको को पार करने का रास्ता प्रशस्त करेगी। हम अपनी नकारत्मक भावनाओं को दूर कर सकते हैं क्यों कि ये भावनाएं हमारे जीवन में ठहराव ला देती हैं। जब की जीवन सतत चलने का नाम है । हम अपने जीवन में सकरात्मक चलते रहें इसके लिए जरूरी है कि जो गलत धारणाएं हमारे मन में बैठी हुई हैं उन पर विश्वास करना छोड़ दे ।   

महान लोगो से मिले या उनकी जीवनी पढ़ें ---- जब उनके बारे में पढोगे व जानोगे कि उनके जीवन में भी बड़े बड़े अवरोधक आये हैं उन्होंने भी इनका सामना डट कर किया है । हर समस्या का समाधान ढूढा है जब जाकर ये महान बने है या सक्सेस कहलाए हैं। प्रसिद्ध लेखक व समाज सेवी हैलन केयर का कहना है कि ---


̕ ̕  असफलता अवरोधक नही है बल्कि आपकी सफलता की माप दंड है। जब आप अवरोधको का निडरता से सामना कर सफल हो जाओगे तो आपको इन्ही अवरोधको और असफलता से जूझने में मजा आने लगेगा  ̕ ̕ 


अवरोधकों से विचलित ना हों ---- मस्तिक को शांत और चित को प्रसन्न रखने के लिए जरूरी है कि इंसान क्षणिक विफलताओं से परे हट कर निरन्तर अपने कर्म में लगा रहे । लक्ष्य की प्राप्ति में कई बार ना सिर्फ व्यक्ति बल्कि नैसर्गिक परिस्थितियां भी अवरोधक बन जानती हैं । मनोविज्ञान राबर्ट हाल्डेन अपनी किताब हैप्पी नाउ किताब में लिखते हैं कि --

 ̕ ̕ खुद को अपने सहकर्मी या भाई बहनों के बीच प्रतिस्पर्धा में रखना इंसानी फिक्रत है दरअसल ऐसा व्यक्ति खुद को कमतर महसूस करता है पर सामने वाले व्यक्ति को धैर्य नही खोना चाहिए । उसे अपने कार्य में लगा रहना चाहिए  ̕ ̕  



द्रढ संकल्प से अवरोधकों को पर करें ---- इतिहास साक्षी है कि इंसान ने अपने द्रढ़ संकल्प व कड़ी मेहनत से ही अवरोधकों को पार किया है । द्रढ संकल्प ही इंसान के जीवन में व्यवस्थित व जीवन शैली को सुनिश्चित करती है। संकल्प की गति बहुत तीव्र है। प्रयास करने के बाबजूद बार बार हारना कोई दुख की बात नही है लेकिन संकल्प से हार जाना दुःख व चिंता का विषय है। किसी महान व्यक्ति ने कहा था कि --- 



̕ ̕  हमारी महानता कभी ना गिरने में नही है अपितु हर बार गिर कर उठने में हैं  ̕ ̕

जिस फिल्ड में हो उसकी नॉलिज बढ़ाओ इग्लिश में एक कहावत है नॉलेज इज पॉवर अर्थार्थ ज्ञान ही शक्ति है ।ज्ञान सीखो । पद्मपुराण में  लिखा है कि-----  

 ̕ ̕  विधा से सुख मिलता है यश और कीर्ति प्राप्त होती है तथा  ज्ञान से स्वर्ग मिलता है । अतः विधा सीखो विधा पहले दुःख का मूल जान पड़ती है किन्तु पीछे वः बड़ी सुख देनी होती है  ̕ ̕ 

ज्ञान से ही मनुष्य तमाम समस्याओ के बाबजूद अवरोधकों से पार जाने का रास्ता ढूढ़ लेता है। ज्ञान के दुवारा ही इंसान संसार के असंभव कार्य को संभव  कर  लेता है।  
    

Thursday, September 15, 2016

जो ख़ुशी दुसरो की मदद करके मिलती है, वो ख़ुशी कभी अपने लिए जी कर नही मिल सकती !!!



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दोस्तों! जो ख़ुशी मरते हुए इंसान की आखरी इच्छा पूरी करने से मिली वो ख़ुशी जिदगी भर अपने लिए हर सुख सुविधा एकत्र करते हुए कभी नही मिली । 



बात कुछ समय पहले की है । जहा में रहती हूँ वही एक विधवा लेडिस रहती थी। उसके तीन बच्चे थे लेकिन, उसके पास कमाई का कुछ साधन नही था। और खुद भी नाइलज बीमारी से पीड़ित थी। इसलिए  वो खुद भी कोई काम नही कर सकती थी । 

उसकी में और मेरी दो फ्रेंड्स हमेशा हर तरह से जो मुमकिन बनता था वो मदद किया करते थे । उसकी बड़ी बेटी की शादी भी हम लोगो ने मिलकर की थी । दूसरी बेटी अभी छोटी थी इसलिए उसकी शादी के लिए हम उससे मना कर रहे थे । एक दिन अचानक उसकी बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई । जब हास्पिटल में भर्ती कराया गया तो  डॉक्टर ने  बताया की अब ये 15 दिन से अधिक नही जी सकेगी । 

उसके घर परिवार में कोई और नही था । इसलिए उस लड़की की शादी जल्दी करनी चाही । तो उसकी बड़ी बेटी के देवर से ही उसकी शादी तय कर  दी । मेरे पास उसने अपनी बेटी भेजी। जब मुझे पता चला की अब इसका आखरी समय है तो मैंने उसे कह दिया की ठीक है। तू चिंता मत कर जैसे बड़ी बेटी की शादी में हम लोगो ने अपने बजट के अकोडिंग पैसे डाल कर उसकी शादी में मदद की थी वो हम अब भी करगें । 

कई साल पहले ही हम उसकी हमेशा मदद करेंगे ये वादा कर  चुके थे । उसके घर में उसे स्वातना देकर अपनी फ्रेंड्स के घर उसकी शादी की प्लानिग करने लगे । जो हम लोगो से हुआ वो अधिक से अधिक करके । और जो हम नही कर सकते थे उसके लिए मेने अपनी और फ्रेंड्स को फोन कर कर के उस लड़की का जरूरत सारा सामान पूरा करा दिया । 

सारा समान पूरा होने पर में उससे मिलने गई । जब में वहां पहुची तो बातो बातो में वो लेडिस रोने लगी और बोली की बड़ी बेटी की शादी में, आप लोगो की हर तरह से मदद मिलने के बाद भी।  मैने अपनी बेटी को कानों की बाली और दामाद को रिंग डाली थी। लेकिन इस बार तो में अपनी बेटी के कन्यादान में एक रुपया भी अपने पास से नही डाल सकती । मुझे क्या अधिकार था इन्हें जन्म देने का जब में इनके लिए कुछ कर ही नही सकती थी । इस बात ने मेरे मन को अंदर तक कचोट डाला ।

मेरे मन में उस समय अपने लिए डायमंड इयररिंग खरीदने की प्रबल इच्छा थी। मैने अपने हसबेंड से कहा तो  मेरे हसबेंड ने भी दिलाने से मना कर दिया था। और मेरे लिए भी बिना पैसे जोड़े  डायमंड इयररिंग लेना मुमकिन नही था । मेंने अपने लिए डायमंड इयररिंग के लिए पैसे जोडे थे । 

में अपने लिए डायमंड ईयर रिंग खरीदने के लिए गई । लेकिन बार बार उस लेडिस के शब्द मेरे कानो में गुज रहे थे । और में उसके बारे में ही सोचती रही की वो कितनी लाचार है कि अपनी बेटी दमाद को एक रिंग भी नही दे सकती । मैने अपने लिए इयररिंग नही खरीदे । और उसकी बेटी दामाद के दोनों  के लिए दोनों चीज ले आये ।

दोस्तों सच मानो जो ख़ुशी मुझे उसकी आखरी इच्छा पूरी करके हुई वो आज तक अपने लिए हर सुख सुविधा एकत्र करते हुए नही हुई । और ना मुझे उसके बाद अपनी किसी इच्छा पूर्ति के लिए पैसे जोड़ने की जरूत पड़ी । कहते हैं कि जो दुसरो की मदद करता है उसकी स्वयं भगवान करते हैं । सच है। मैने ओरो की मदद करनी शुरू करी और भगवान ने मेरे जीवन में पूर्णता भर दी । 

इसलिए दुसरो की मदद करने में कंजूसी ना करें। आप ओरो की मदद करोगे तो परमात्मा आपके लिए हर सुख सुविधा देता जायेगा । आपके जीवन में कभी आभाव नही रहेगा  ये मेरा अनुभव है । 


















































Wednesday, September 14, 2016

अपना जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार महिलाओं को कब मिलेगा ?





Image result for BIHAR BUJURGदोस्तों ! आज में एक ऐसी महिला से मिली जिसे में बचपन से जानती हूँ। और उससे मिलकर दुःख हुआ कि इकीसवीं सदी में भी महिलाओ की ऐसी दयनीय हालात हैं। क्यों महिलाएं अपने अधिकार के लिए आवाज नही उठातीं ? क्यों उसकी कोई नही सुनता ? क्यों उनकी जिंदगी के अहम फैसले वे नही लेतीं ? 


आपको में उसके बचपन से लेकर अब तक की संघर्ष भरी जिदगी की दासता सुनाती हुं -



उस महिला का नाम सुनैना है। सुनैना  रंग रूप में तो कोई खास नही  है। लेकिन एक गुनी व्यक्तित्व वाली महिला है । बचपन से ही उसमे वो गुन रहे है कि जो भी उससे एक बार भी मिलता है वो उसके गुणों का कायल बन जाता है । 



सुनैना के ९ भाई बहन थे  सुनैना 7 वे नम्बर  की थी। सुनैना के पापा अकेले थे उनके कोई और भाई बहन नही थे । फिर सुनैना हर भी आठ बहने लगातार हुई । सुनैना के पाप मम्मी ने बेटे की चाहत में इतने बच्चो को जन्म दिया  8 बहने  होने के बाद उनके भाई हुआ । 


पैसे की कोई कमी नही थी, लेकिन इतना भी नही था की 9 बच्चो को पढ़ा लिखा कर कामयाब कर सकें। और करना भी चाहे तो ये समाज वाले बोल बोल कर नही करने देते। 



सुनैना की  4 बहनो की शादी कम उम्र में ही कर  दी गई । जब सुनैना 13 वर्ष की थी तभी उसकी सबसे बड़ी बहन मर गई । उसके तीन बच्चे थे । सुनैना की बहन का बड़ा बेटा सुनैना  से  10 साल छोटा था । 


सुनैना की शादी सुनैना के जीजा से कर दी । जब कि सुनैना की उम्र उस समय १४ साल की थी और उसके जीजा की उम्र ३२ साल थी। सुनैना पढ़ लिखकर अपने पैरो पर खड़ी होना चाहती थी। लेकिन उसके घर वालो ने सुनैना क्या चाहती है ये जानना जरूरी ना समझकर उसी शादी उसके जीजा से कर  । 



सुनैना के ससुराल वाले अच्छे लोग नही थे वो सुनैना के गुणों के देखने की बजाय उसके रूप रंग को देखकर हमेशा सुनैना की अवहेलना करते। जब सुनैना शादी करके ससुराल गई तो उसे पहले ही दिन ये कह दिया गया की बच्चे तो तेरी बहन के ही तीन है तेरे  और तेरी बहन  के बच्चो  में क्या फर्क है । और बच्चे मत करना ।


सुनैना के हसबेंड ने भी कभी उसकी भावनाओं की कद्र ना करी। सुनैना चलती फिरती लाश बन कर रह गई ।  सुनैना ने  सोचा जब मेरी ही कद्र इस घर में नही है तो मेरे बच्चे की कद्र क्या होगी । ये सोचा और बच्चे को जन्म नही दिया । थोड़े दिनों तक तक सुनैना मनमसोस कर  रही लेकिन कुछ ही सालो में उसे दोनों ही कमी खलने लगीं। एक तरफ बेमेल शादी और दूसरी तरफ अपनी सुनी कोख और दुनियां का लगाया बांझ का लेवल। सुनैना से ये बर्दास नही होता था । 


लेकिन फिर भी सुनैना किस्मत का लिखा लेख समझ कर अपनी सभी इछाओ को मार कर जीती रही । तीनो बच्चे बड़े हुए विवाह शादी की लेकिन तीनो ही ही अपनी मस्ती में मस्त हो गए ज्यो ज्यो बड़े होते गए त्यों त्यों वो अपनी मासी की तरफ  से लापरवाह होते गए । 


सुनैना ने भी फर्ज तो माँ का निभाया पर अधिकार कभी नही जताया । सुनैना उस घर में सिर्फ नोकर बन कर रह गई । जिस का जो काम होता वो सुनैना करती जिसे जो खाना वो सुनैना बना कर देती। लेकिन अगर सुनैना बीमार होती  तो उसे कोई नही  पूछता । अगर सुनैना कही जाना चाहे तो उसे जाने की इजाजत नही। अगर वो कही जाने की भी कहे तो चारो बाप बेटा बेटी एक होकर लड़ने लगें ।  

इन सब हालातो के चलते सुनैना खुद से अपनी जिदगी से बहुत दूर हो चुकी है । अब उसे शकुन मिलता है तो सिर्फ भगवान के चरणों में लेकिन कैसी विडंबना की वो चारो  ही इन सब को ढकोसला मानते है या ये कहिये की वो भगवान को ही नही मानते । 


अब सुनैना करे तो क्या करे ? घर छोड़ नही सकती।  सत्संग कीर्तन या गीत बाकली तक में जाने से घर में लड़ाई  होती है ।ऐसी जिंदगी कैसे जिए ? कब तक झेल पाएंगी सुनैना ऐसी जिदगी जिससे सुनैना को घुटन होती है ?

क्या वो चारो मिलकर सुनैना की भावनाओ की कद्र नही कर  सकते ? या सुनैना अपनी जिदगी अपने तरीके से जीने की हिम्मत नही कर सकती ? अपने अधिकारों के लिए उनसे नही लड़ सकती ?   









Tuesday, September 13, 2016

अपनी चलाने वालो की ज्यादती बर्दास ना करें !!!


Image result for pati patni ke jhagdeदोस्तों ! हमारी लाइफ में कई लोग ऐसे मिल जाते हैं जो हर चीज में अपनी चलाने लगते हैं । ऐसे लोगो की एक हद तक तो चलने देना सही है । लेकिन अगर वो आपकी जिदगी को ही कंट्रोल करने लगें तो ऐसे लोगो को उनकी मन मानी  ना करने दें । 



क्यों करते हैं और लोगो को अपने मुताबिक चलाने की कोशिस ? जो लोग हर जगह अपनी चलाने की कोशिस करते हैं उन लोगो में कही  ना कही आत्मविश्वास व आत्मबल की कमी रहती है । ऐसे लोग अपनी चलाकर खुद को साबित करने की कोशिस करते हैं । वो ये दिखाने की कोशिस करते हैं जो कुछ हूं वो "में"  हूं । में सही हुं और सामने वाला इंसान गलत हैं ।  


अपनी चलाने वालो का ईगो दुसरो को एक्सप्ट नही करता :- जो खुद किसी योग्य नही होते उन्हें अपने कुछ होने की वेल्यु चाहिए। वो उस वेल्यु को पाने के लिए हर जगह अपनी चलाता है । और जब उन की नही चल पाती  तो वो गुस्सा करता है तोड़ फोड़ करता है व लड़ाई झगड़े का माहौल क्रियेट करता है । 

कैसे लोग करते हैं अपनी चलाने की कोशिस :- दोस्तों मेरी लाइफ में ऐसे लोगो की तादाद सबसे ज्यादा रही है। और में ये मानती हूं की फैल्यर लोग ही अपनी चलाने की  ज्यादा कोशिस करते हैं। में ज्यादतर फैलियर लोगो के बीच रही । जो घर में फेल थे रिस्तो में थे या फिर अपनी बिजनिस में फेल थे। इन सब लोगो से मुझे एक अनुभव मिला की इंसान फैल होता है सिर्फ अपनी गलत आदतों से और टेशन क्रेयट करता है हर अपने से जुड़ने वाले इंसान को।  सही कहा था किसी ने  - 

" एक फैल्यर इंसान सैकड़ो को टेशन देता है और एक सक्सेस इंसान सेकड़ो को शकुन देता है " 

क्या करें ऐसे लोगो का ? दोस्तों ऐसे इंसानो के लिए अगर आप अपनी पूरी लाइफ भी इन पर कुर्बान कर दो तो भी ये खुश नही रह सकते । क्यों कि ये खुद से ऊपर नही सोच सकते ऐसे लोग जीते है अपने लिए और मरते हैं अपने लिए । इन्हें कितनी ही प्रायटी  दिए जाओ इनकी प्रायटी  की भूख कभी खत्म नही होगी । और आप की थोड़ी सी चूक होते ही ये आपकी जान के लिए बबाल खड़ा  कर  देगें । नाटक करने में ऐसे लोगो को मज़ा आता है । 

कैसे सुलझे अपनी चलाने वालो से :- दोस्तों मेरी निगाह में तो इनका एक ही इलाज है की इनके चलाये ना चले जब भी ये अपनी चलाने की कोशिस करें तभी इनसे  कुछ दुरी बना ले ये नाटक करते है तो करने दे इनकी किसी भी बात पर रिएक्ट ना करें जितना आप इनके चलाये चलोगे उतना ही ये आपको टार्चर  करेगें । और जब आप इन्हें प्रायटी देना बन्द कर  देगें  ये अपने आप ही सही राह  पर आ जायेंगे । 

अपनी तरफ से गलती ना करें और दूर तन से हो ना की मन से अगर मन से दूर हो गए तो फिर आपको कोई नही मिला सकता । 

Monday, September 12, 2016

जो हम जानते हैं वो एक दरिया है और जो सीखना है वो समुंदर !!!



दोस्तों ! सीखते रहिये, जितना सीखोगे उतनी योग्यता बढ़ेगी । जब आप किसी भी चीज को अच्छी तरह सीख लेते हैं तो उसे बेहतर तरीके से करने लगते हैं। और आप जितना ज्यादा अच्छी तरह सीख लेते हैं उतनी ही उस कार्य में आपको दक्षता प्राप्त हो जाती है। और दक्षता से वेल्यु बढ़ जाती है। बहुत अधिक व्यस्त रहने की बजाए अच्छे परिणाम की कोशिस करें। जीवन में श्रेष्ठ करने की सोचें इससे आप बेहतर इंसान बन सकते हैं । 

सशक्त इंसान बनना चाहते हो तो उम्र भर सीखते रहो %& अपनी क्षमताओं को सिमित न माने । बल्कि विभिन्न विषयो को समझने की कोशिस करें। नए नए तरीके खोजें समझने के लिए और जब तरीका मिल जाये तो उस पर अम्ल करें। जितना अभ्यास करोगे उतने ही नए तरीके आकर आपको उभारेंगे। एक बार अपने विचार स्पष्ट करले तो आगे भी अपने विचारो का व अपने अनुभव का इस्तेमाल कर सकते हो । 

आपको कोई कुछ भी कहें इसकी परवाह ना करें %& हाँ अगर आपकी अंतर आत्मा कचोटे तो सोच लो की आपके अच्छे दिन आ गए हैं। अब आप अपना कीमती समय ना गवाएं । अपनी कमियों को पहचाने और उन्हें दूर करें। अपनी योग्यता को मापो और फिर ठंडे दिमाग से सोच कर अपने आपको बदलो और सीखो ।  

स्वयं का अध्ययन करें तभी आगे बढ़ सकते हो:- पकी किस्मत में कुछ भी लिखा हो उससे उभरने के लिए अपने अंतर्मन में झांकना पड़ेगा। तभी आप उससे उभर सकते हो।आप कुछ करना चाहते हो और आप में योग्यता नही है तो आप योग्यता हासिल करोगें है । आगर आप में योग्यता की कमी है तो दुगना तीन गुना समय देकर सीखें। आप कोई और रास्ता भी ढुडो इससे आप जितना प्रयास करोगे आपके दिमाग की भी उतनी ही कसरत होगी। हर सीख जिदगी में कभी ना कभी काम आती है ।   

जब तक आप सीखते रहने के लिए तैयार नही हैं तब तक आप ऊँची सफलता हासिल नही कर सकते :- ये जरूरी नही है जब आप कोई कार्य शुरू करते हो तो आपके पास में कितनी योग्यता है । ये जरूरी है की आप कितना सीखते हो कितना बदलते हो । सीखने के लिए किसी को रोलमॉडल बनाएं तभी आप कुछ सीख सकते हो। लेकिन आपकी विलपावर इतनी स्ट्रॉग होनी चाहिए कि आप उनसे आगे निकल सको। उनसे अधिक सक्सेस फूल हो सको। हर परिस्थिति से आप खुद ही सीख सकते हो और कोई आपको कुछ नही सीखा सकता । आप अनुभव से ही सफल हो सकते हो । 

सफल लोगो को ध्यान से देखें उनके गुणों को जीवन में उतारें :- बोलन पढ़ना सुनना ये सीखना नही है। ये सीखने के रस्ते हैं। सीखना तो सिर्फ वो है जो आपने जीवन में उतारा है । जब तक आप सीखे हुए को जीवन में नही उतारते तब तक सीखने का कोई फायदा नही है।वो सीखो जो सफल लोगो ने सीखा उसे जीवन में उतारो जिससे वो सफल हो सकें। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने लिए ये जरूरी है की आप कितना सीख सकते हो अपनी कार्य क्षमता कितनी बढ़ा सकते हो । और ये सब आपकी सोच पर निर्भर है । अगर आप सोचते हो कि आप सीख सकते हो तो सिख सकते हो तो सीख लोगे और अगर आप सोचते हो की आप नही सीख सकते तो आप नही सीख सकते  ।   


महान लोगो से प्रेरणा लें :- स्वामी विवेकानन्द जी को कभी किसी ने निराश होते नही देखा। वे निरन्तर प्रयास में लगे रहते थे ,उन्होंने अपने गुरु राम कृष्ण परमहंस से प्रेरणा ली थी।  महान लोग अपना जीवन तो सम्भालते ही हैं दुसरो के लिए भी प्रेरणा बन जाते हैं । महान लोगो से प्रेरणा लेकर ही हम सयंम त्याग व समर्पण सीख सकते हैं। महान लोग भी हमारे और आपकी तरह सामान्य लोग होते हैं वे अपने कार्य व्यवहार से महान बनते है। और विश्वास कीजिये आप भी अपने आचरण  व व्यवहार से महान बन सकते हो।   





Sunday, September 11, 2016

सक्सेस की सीढ़ी चढ़ना चाहते हो तो सीखते रहियें !!!


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दोस्तों ! अगर इंसान अपनी हर गलती से, हर इंसान से सीख लेता रहे तो जीवन के बहुत सारे दुःख दर्द निराशा और संताप को मिटा सकता है । सीखते रहने का मतलब है, लगातार विकास करते रहना। अगर आप थोड़ा सा ध्यान दो तो दुसरो से बहुत कुछ सीख सकते हो । 
   

जीवन में सीखते रहना क्यों जरूरी है %& अज्ञानता किसी भी क्षेत्र में हार्मफुल है । इसलिए बारीकियों को समझने का प्रयास करें। ये ध्यान रखना कि जीत व सम्मान हमेशा योग्यता व प्रतिभा से ही मिलती है। सीखना छोड़ने से आपकी योग्यता ठहर जाएगी । जो चीज हम नही जानते वो चीज हम सीख सकते हैं। हम दुसरो का अनुसरण करके ही वहां पहुच सकते हैं, जहां दूसरे पहुंचे हैं । जब हम सीखते हैं तो हमारी योग्यता व क्षमता दोनों ही बढ़ती जाती हैं ।  

माइड ओपन रखें %& माइड ओपन रखकर ही आप कुछ सीख सकते होसीखा सकते हो । सवाल सोचने और करने से ही हमारा बौद्धिक विकाश होगा । लाइफ में सक्सेस होना चाहते हो तो जो सोचते हो उसे दुगना करो। हमारी प्रॉब्लम ही ये है, कि हम सोचते तो बहुत कुछ हैं लेकिन करते कम हैं। जहां आप पहुंचना चाहते हो वहां सिर्फ सोच कर या सीखकर नही पहुच सकते,वहां पर आप बेहतर तरीके से कर के पहुंच सकते हो । 

सीखने के लिए समय इन्वेस्ट करें %&अगर आप कुछ सीखना चाहते हो तो समय इनवेस्ट करना ही पड़ेगा । और समय का आभाव किसी के पास भी नही है सिर्फ सेल्फ मोटिवेशन का आभाव रहता है। अगर इंसान खुद मोटिवेट रहे तो सीखने के अनेक रस्ते खोज सकता है और सीखने के लिए समय निकल सकता है। सीखने के लिए खुद को मोटिवेट करें,सभी दुवार खुल जायेगे। समय अपने आप मिलने लगेगा। हर रोज कुछ नया सीखने की कोशिस करें । बेहतर करने के लिए योग्यता बढ़ानी जरूरी है किसी समझदार व्यक्ति ने कहा है कि-- 

"सीखने के लिए पहले जो जरूरी है उससे शुरू करें और फिर जो मुमकिन है उसे करें और फिर आप नामुमकिन काम भी करने लगोगे   "                         

अलग अलग फिल्ड के लोगो से मिलिए %&उनसे सवाल करिए । अँधेरे की शिकायत करने से अच्छा है कि दीपक जलाओ । जिस चीज का आपको पता नही है उसका पता लगाओ । हर फिल्ड के लोगो से आपको कुछ ना कुछ सीखने के लिए जरूर मिलेगा । और जब आप मिलोगे व सवाल करोगे तभी तो आगे बढ़ोगे। जिस तरह स्कुल की सीखी हुई बातें महत्वपूर्ण हैं इसी तरह व्यवहारिक ज्ञान और धन सम्बन्धी जानकारी भी जरूरी हैं । अगर आप को अपनी फिल्ड की नॉलिज नही है तो मोके आएंगे और चले जायेगें । और आपको पता ही नही चलेगा। इसलिए अपनी फिल्ड की जानकारी और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता होनी अनिवार्य है । 
     
योग्य व श्रेष्ठ आचरण वाले इंसान से कुछ भी  पूछने में कभी संकोच ना करें %&कई लोग ना जानते हुए भी संकोच करते हैं । जिस चीज या काम के बारे में आप नही जानते उसे पूछने में संकोच कैसा किसी काम का ना आना गलत नही है उसे ना सीखना गलत है । जो काम नही आता उसे छोटे बच्चो से भी सीखने में संकोच नही करना चाहिए । और जो बात आपको बड़ो की भी गलत लग रही है उसकी उपेक्षा करनी चाहिए। लेकिन अपमान नही जब आपके अंदर कुछ सीखने की इच्छा होती है, तभी आप कुछ सीख सकते हो । जिस काम को आप जितना सीखते जाते हो उतनी बारीकियों का पता चलता जाता है । और जितना आप ज्ञानी हो उतना ही आपको अज्ञानता का पता चलता जाता है । ईसाक न्यूट का कहना है कि ---
  
"जो हम जानते है वो एक बूंद है, जो नही जानते वह एक सागर है "