
दोस्तों! जो ख़ुशी मरते हुए इंसान की आखरी इच्छा पूरी करने से मिली वो ख़ुशी जिदगी भर अपने लिए हर सुख सुविधा एकत्र करते हुए कभी नही मिली ।
बात कुछ समय पहले की है । जहा में रहती हूँ वही एक विधवा लेडिस रहती थी। उसके तीन बच्चे थे लेकिन, उसके पास कमाई का कुछ साधन नही था। और खुद भी नाइलज बीमारी से पीड़ित थी। इसलिए वो खुद भी कोई काम नही कर सकती थी ।
उसकी में और मेरी दो फ्रेंड्स हमेशा हर तरह से जो मुमकिन बनता था वो मदद किया करते थे । उसकी बड़ी बेटी की शादी भी हम लोगो ने मिलकर की थी । दूसरी बेटी अभी छोटी थी इसलिए उसकी शादी के लिए हम उससे मना कर रहे थे । एक दिन अचानक उसकी बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई । जब हास्पिटल में भर्ती कराया गया तो डॉक्टर ने बताया की अब ये 15 दिन से अधिक नही जी सकेगी ।
उसके घर परिवार में कोई और नही था । इसलिए उस लड़की की शादी जल्दी करनी चाही । तो उसकी बड़ी बेटी के देवर से ही उसकी शादी तय कर दी । मेरे पास उसने अपनी बेटी भेजी। जब मुझे पता चला की अब इसका आखरी समय है तो मैंने उसे कह दिया की ठीक है। तू चिंता मत कर जैसे बड़ी बेटी की शादी में हम लोगो ने अपने बजट के अकोडिंग पैसे डाल कर उसकी शादी में मदद की थी वो हम अब भी करगें ।
कई साल पहले ही हम उसकी हमेशा मदद करेंगे ये वादा कर चुके थे । उसके घर में उसे स्वातना देकर अपनी फ्रेंड्स के घर उसकी शादी की प्लानिग करने लगे । जो हम लोगो से हुआ वो अधिक से अधिक करके । और जो हम नही कर सकते थे उसके लिए मेने अपनी और फ्रेंड्स को फोन कर कर के उस लड़की का जरूरत सारा सामान पूरा करा दिया ।
सारा समान पूरा होने पर में उससे मिलने गई । जब में वहां पहुची तो बातो बातो में वो लेडिस रोने लगी और बोली की बड़ी बेटी की शादी में, आप लोगो की हर तरह से मदद मिलने के बाद भी। मैने अपनी बेटी को कानों की बाली और दामाद को रिंग डाली थी। लेकिन इस बार तो में अपनी बेटी के कन्यादान में एक रुपया भी अपने पास से नही डाल सकती । मुझे क्या अधिकार था इन्हें जन्म देने का जब में इनके लिए कुछ कर ही नही सकती थी । इस बात ने मेरे मन को अंदर तक कचोट डाला ।
मेरे मन में उस समय अपने लिए डायमंड इयररिंग खरीदने की प्रबल इच्छा थी। मैने अपने हसबेंड से कहा तो मेरे हसबेंड ने भी दिलाने से मना कर दिया था। और मेरे लिए भी बिना पैसे जोड़े डायमंड इयररिंग लेना मुमकिन नही था । मेंने अपने लिए डायमंड इयररिंग के लिए पैसे जोडे थे ।
में अपने लिए डायमंड ईयर रिंग खरीदने के लिए गई । लेकिन बार बार उस लेडिस के शब्द मेरे कानो में गुज रहे थे । और में उसके बारे में ही सोचती रही की वो कितनी लाचार है कि अपनी बेटी दमाद को एक रिंग भी नही दे सकती । मैने अपने लिए इयररिंग नही खरीदे । और उसकी बेटी दामाद के दोनों के लिए दोनों चीज ले आये ।
दोस्तों सच मानो जो ख़ुशी मुझे उसकी आखरी इच्छा पूरी करके हुई वो आज तक अपने लिए हर सुख सुविधा एकत्र करते हुए नही हुई । और ना मुझे उसके बाद अपनी किसी इच्छा पूर्ति के लिए पैसे जोड़ने की जरूत पड़ी । कहते हैं कि जो दुसरो की मदद करता है उसकी स्वयं भगवान करते हैं । सच है। मैने ओरो की मदद करनी शुरू करी और भगवान ने मेरे जीवन में पूर्णता भर दी ।
इसलिए दुसरो की मदद करने में कंजूसी ना करें। आप ओरो की मदद करोगे तो परमात्मा आपके लिए हर सुख सुविधा देता जायेगा । आपके जीवन में कभी आभाव नही रहेगा ये मेरा अनुभव है ।
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