Friday, September 2, 2016

कई बुजर्ग क्यों नही रह पाते अपने बच्चो से खुश ?

        
Image result for dukhi bujurgदोस्तों ! इस टॉपिक पर लिखने की जरूरत क्यों पड़ी ? आज हम हर फिल्ड में सक्सेस है लेकिन कही ना कही ज्यातर हमारे बुजर्ग हमसे असन्तुष्ट हैं ऐसा क्यों ? क्या हमारी जनरेशन वास्तव में केयरलेश व अनुशासन हीन है ? क्या वास्तव में हम अपने बुजर्गो की सेवा नही करना चाहते ? नही 'दोस्तों! ऐसा नही है! मेंरा मानना है की हमारी पीढ़ी पहले से कई गुना अधिक सिंसियर व गम्भीर है रिस्तो को लेकर भी और कॅरियर को लेकर भी । बुजर्गो  का सन्तुष्ट ना रहने के कई कारण हैं -

नैगेटिव सोच :-  कई बुजर्गो ने जो भी अपने बच्चो के लिए किया उसे अपना प्यार या फर्ज ना मानकर अहसान मानते हैं । उनकी सोच से बच्चो को पालने में जितने भी कष्ट उन्होंने उठाये हैं, उन्होंने उनके लिए अपनी जेब काटी है  , उनकी सुविधओं के लिए कड़ी मेहनत की है , जिससे की बच्चे सुखी रहें व बुढ़ापे का सहारा बने । लेकिन जब बच्चे उनकी उम्मीदों पर खरे नही उतरते तो वे बच्चो को  अहसान फरामोश मानते हैं ।  

बदलाव को स्वीकार ना कर  पाना :- बुजर्ग लोग समाज में आ रहे बदलाव को स्वीकार नही कर पा रहे हैं।  इसलिए युवा पीढ़ी को दोसी मानते हैं । बच्चो की तर्क पूर्ण बातो को वे अपना अपमान व निरादर समझते  है। उन्हें लगता हमारे बच्चे परम्परागत तरीके से हमारी सेवा व रिस्पेक्ट नही करते । बुजर्गो के अनुसार आज की पीढ़ी अधिक स्वछंद व अनुशासन हीन हो गई है । जब की परिवर्तन प्रकृति का नियम है। प्रत्येक परिवर्तन में कुछ अच्छाइयां तो कुछ बुराइयां आती ही हैं। परिवर्तन से  समझौता कर के ही  बुजर्ग व युवा पीढ़ी खुश रह सकती  हैं ।   

बच्चो के हित में डिशिजन ना लेना :- बुजर्गो के लिए ये जरूरी है कि  वे सिर्फ अपने हित की ना सोचकर, बच्चो के हित में डिशिजन लें।  जिससे उनका भविष्य में कोई नुकसान ना हो। 

बच्चो का लालच :- कई बच्चे बुजर्गो की संपत्ति तो लेना चाहते हैं लेकिन उनकी बुढ़ापे में देखभाल नही करना चाहते । वे लोग ये भूल जाते हैं कि कल हमे भी बुढ्ढा होना है। ये समस्या एकाकी परिवार की वजह से भी बन रही है, आगे और ज्यादा बनेगी। पहले संयुक्त परिवार थे खेती बाड़ी का काम अधिक करते थे । परिवार में कई लोग होते थे उनमे से कोई बाहर चला जाता था तो कोई घर में रहकर घरवालो को सभांल लेता था । आज एक-२  दो- बच्चे हैं। खेती बाड़ी में गुजारा नही है, इसलिए बच्चो को बड़े होकर रोजगार के लिए बाहर निकलना पड़ता है। और बुजर्ग अपना घर , गांव व शहर नही छोड़ना चाहते । जिसकी वजह से रिस्तो में टेशन क्रीएट होती ही है ।   

प्रोपर्टी के घमंड में बच्चो को अहमियत ना देना :- कई घरो में जब बेटा कामयाब नही होता,   और बाप कामयाब होता है  या बाप बेटे से ज्यादा कमा रहा होता है । तो ऐसी स्थिति में भी बुजर्ग माँ बाप की सेवा अच्छी तरह नही हो पाती। क्यों कि माँ बाप अपनी कामयाबी के चलते, बच्चो को अहमियत नही देते । बच्चे माँ बाप की प्रोपर्टी पर ध्यान रखते है और माँ बाप जीते जी अपने बच्चो को अधिकार देना नही चाहते ।  

अतीत में डूबे रहना :- कई घरो में माँ बाप अतीत में डूबे  रहते हैं कि हमने अपने बुजर्गो की अच्छी सेवा की, हम उनके सामने बोलते भी नही थे, हम पुरे परिवार  को साथ लेकर चले, हमने थोड़े में गुजारा  किया , हमने इतने बच्चे पाले। ..... आदि ये बाते भी क्लेश का कारण बनती हैं ।  
  
एक बेटे पर सारी  जिम्मेदारी  डाल देना :-  कई बुजर्ग जब एक बेटा कमा रहा होता है तो सारी जिम्मेदारी उसी पर डाल देते हैं । जिसकी वजह से फिर और बच्चे अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से नही निभाते । और माँ बाप सोचते हैं कि उनके परिवार की जिम्मेदारी ये ही निभाएं या इन्हें हर तरह बराबर लेकर चलें । जब की ये मुमकिन नही है जिसकी   कमाई होती है उतना ही उसका खर्चा व समाज में रहन सहन का स्तर बढ़ जाता है उसे फिर उसी हिसाब से सब कुछ करना व रहना पड़ता है । 

बच्चो में फर्क करना :- देखो दोस्तों कोई भी माँ बाप अपने बच्चो में फर्क नही करता लेकिन बच्चो के मन में ये जरूर आ जाता है । जब एक अच्छी तरह कम रहा हो और दूसरा कुछ खास नही करता हो तो फिर दोनों के बिच में फर्क आ ही जाता है दोनों को अपनी कमाई के अनुसार करना रहना होता है । लेकिन माँ बाप चाहते हैं की ये बराबर लेकर चले जब की ऐसा नही हो पाता ।  




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