Sunday, September 18, 2016

निर्भरता छोड़े , आत्म निर्भर बनें !!!

                        
Image result for atma nirbhartaदोस्तों! सही कहा  है किसी ने  " पर आधीन स्वप्न सुख नाही "    जब तक आप दुसरो के आधीन रहेंगें , तब तक  आप सुखी नही रह सकते। चाहे आप करोड़ पति के बच्चे  हो, भाई बहन हो, या जीवन साथी। 

आपको अपने खर्च का ब्यौरा घरवालो को देना ही होगा:- आपके खर्चो पर रोक टोक होगी। और आपकी  भावनाओं की सोच की या आयडिया की कोई वेल्यु नही होगी। आपकी कोई नही सुनना चाहेगा , जब तक आप खुद नही कमा रहे। या खुद कुछ अपने बल पर घर व परिवार वालो को कर के नही दिखाते। इसलिए अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक है । 

आत्मनिर्भरता इंसान को स्वाबलबी तो बनाता ही  है। साथ में उसे आत्मविश्वासी भी बनाता है :- दुसरो पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति की शक्ति , योग्यता व स्वभिमान का ह्रास  होता है ।दुसरो पर निर्भर रहने वाला व्यक्ति किसी भी विपरीत परिस्थित का सामना करने में सक्षम नही होता । उसे अपने जीवन के फैसले लेने के लिए दुसरो पर निर्भर रहना पड़ता है ।

जिस घर समाज या देश में आत्मनिर्भर लोग ज्यादा होते हैं उनकी सम्रद्धि देखने योग्य होती है :- और जिनमे कम लोग आत्मनिर्भर होते है वहा की हालत दयनीय  है । वहां हमेशा लड़ाई झगड़े बने रहते हैं । आप लोगो ने देखा होगा की  अक्सर घरो में भी लड़ाई झगड़े पैसे की वजह से ही होते हैं । 


आत्मनिर्भर बनने के लिए मनुष्य के पास डिग्री हो  ये जरूरी नही है :- कई लोग आपने देखे होंगे की कम पढे लिखे भी आत्मनिर्भर हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए तो एक जनून जरूरी है । मेहनत जरूरी है ।सब्जी बेचने वाला भी आत्मनिर्भर है।  और घर घर झाड़ू पोछा लगाने वाली भी आत्म निर्भर है । आत्मनिर्भर व्यक्ति घर समाज के साथ साथ सबका कल्याण करता है ।  


पैसा वाला व्यक्ति  अक्सर खुद ओवर कॉन्फिडेंट व दुसरो को कम मापने लगता है :- जो लोग आत्मनिर्भर नही होते उनका आत्मसम्मान दुसरो के दुवारा बार बार  खण्डित  होता । और लोग उसे हीन दृष्टि से देखते हैं । अक्सर उन्हें पैसो वालो के सामने झुकना पड़ता है ।  किसी महान इंसान का कहना है कि -

            " मानव का महत्व आश्रित बनने में नही आश्रय देने में है " 



हर इंसान के अंदर ईश्वरीय गुण हैं। लेकिन इन गुणों को अपने अंदर खोजने लिए खुद को समय देना अनिवार्य है :- इन्हें पहंचान कर ही आप आत्म निर्भर बन सकते हैं। पर आधीन इंसान कभी भी ऊचाइयों को नही छू सकता। जब तक आप आत्म निर्भर नही बन जाते] तब तक आप अपनी मर्जी व योग्यता के अनुसार आगे नही बढ़ पाएंगे ।  

दुसरो पर निर्भर व्यक्ति उस गरीब की तरह हैं जिस के पास है तो बेसकिमती हीरा पर उसको उसका मूल्य ही नही पता :- इसलिए वो सड़क पर भटकने के लिए मजबूर है। और सब की सुनता रहता है सब उसकी अवहेलना करते हैं । आत्मनिर्भर बनने में समस्याएं तो आएगी लोग रोडे तो अटकाएंगे लेकिन इनसे घबराने की आवश्यकता नही है। सचिन तन्दुलकर ने भी एक मैगजीन में लिखा था कि -

कुछ हम उम्र लोग मुझे परेशान करते थे और खुद को बेहतर साबित करने की फ़िराक में रहते थे। सचिन कहते हैं कि में कभी कभी विचलित हो जाया करता था  "  
   
फिर में खुद का विश्लेषण करने जुट जाता। और जो कमियां मुझे अपने अंदर नजर आती उन्हें सुधारकर आगे बढ़ने की कोशिस करता था। आज लगता है कि अगर उन लोगो ने बाधाए पैदा न की होती तो मेरे प्रयास में कमी रह जाती । दिनकर का कहना है कि ----

अगर आपने अपने जीवन का लक्ष्य कुछ विशेष चुना है तो आप गंगा से सीख लो । गंगा को समुंदर में मिलना है इसलिए वह छोटे -२ नदी नालो की मिलने की परवाह नही करती " 



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