
समस्याएं जीवन में साबुन का काम करती हैं जितनी समस्याएं आती हैं उतना ही इंसान की योग्यता व टेलेंट को निखारती हैं ।
मुझे बचपन से ही लोगो को मोटिवेट करना व दुसरो की हैल्प करने का शौक था । इसकी वजह से मेरी स्कुल व घर समाज में अलग पहंचान थी ।
वक्त के साथ साथ मेरे जीवन में परिवर्तन आया। पढ़ाई बीच में ही छूट गई और किसी कारण वस मेरी शादी समय से पहले ही हो गई । लेकिन मेरी ये हॉबी कम नही नही हुई बल्कि बढ़ती ही गई ।
लेकिन कही ना कही परिवार की जिम्मेदारियों ने, खराब हालातो ने और बीजी शिड्यूल ने मेरी सोच को नैगेटिव बना दिया और में रात दिन टेशन में रहने लगी । डिप्रेशन जैसी समस्याएं मेरे सामने थी ।
इनसे बचने के लिए में अध्यात्म की तरफ झुकती चली गई । और मेरा इन चीजो में आना जाना बढ़ने लगा । इससे में टेशन व डिप्रेशन जैसी चीजो से तो निकल गई लेकिन अध्यात्म की तरफ कुछ ज्यादा ही बढ गई ।
जब अध्यात्म की तरफ बढ़ी तो बड़े बड़े प्रोग्राम ऑग्नाइज करने लगी । इससे मेरे ही दोस्तों में ईर्ष्या जलन और घमंड जैसी चीजो ने जन्म लिया । और उन्हें ये बात गवारा न थी की इन कामो में मेरा नाम उनसे आगे हो ।
जिसके चलते उन्होंने मेरे सामने पहले जैसी स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी और में फिर से उसी टेशन और डिप्रेशन की शिकार होने लगी ।
मेरी बेटी ने मुझे समझाया की मम्मी आप सोचते रहने या हमे समझाने की बजाए ये लिखना शुरू क्यों नही कर देती ? वैसे भी आप बहुत ही अच्छी तरह मोटिवेट करती हो। इससे हमे भी और और लोगो को भी बहुत कुछ सीखने के लिए मिलेगा ।
इससे मेरी जिदगी बदल गई और मुझे जीने का आधार मिल गया । मैने लिखना शुरू किया। मेरे बेटे का इसमें पूरा सहयोग रहा । अब में घर की जिम्मेदारी के साथ साथ लेखन कार्य करती हूं ।
जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे मेरी रफ्तार बढ़ती रही । अब मेरे लेख मैगजीन व समाचार पत्रो में छपते हैं। और में बिलॉगिग करती हूं जिसका मुझे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है ।
आज लोग मुझे एक हाउस वाइफ की जगह एक लेखक व समाज सेवक के रूप में ज्यादा जानने लगे हैं । इससे में बहुत खुश हूं जो सपना मेरा छूट गया था कुछ करने का वो सपना पूरा हुआ। और मुझे अब नेगेटिव सोचने का, टाइम पास करने के लिए मेरे पास अब समय ही नही है ।
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