दोस्तों में फलां की बेटी हूं फलां की पत्नी हूं फलां की मम्मी हूं । इसमें मेरा वजूद क्या है ? हर इंसान अपना वजूद दुढ़ता है । और उसे उसी से सन्तुष्टि मिलती है ना कि अपने पेरेंट्स या जीवन साथी के चुनें रास्ते से ।
अगर आप डॉक्टर बनना चाहते हो और आपसे कहा जाएं कि आप को इंजीनियर बनना है। तो आप बनना चाहोंगे ? या आप करना चाहते हो l.l.b. और आपसे कहा जाएं कि आप सिविल सर्विस की तैयारी करो। तो आप करना चाहोंगे ? या आप कर पाओगें ? "नही दोस्तों '
पहले तो आप करना ही नही चाहोगे । और अगर आपने अपने पेरेंट्स के लिए या जीवन साथी के लिए कम्प्रोमाइज कर भी लिया तो आप उस पढ़ाई को नही कर पाओगे । और अगर आपने पढ़ाई भी कर ली और डिग्री भी मिल गई । लेकिन आप उस फिल्ड में इतने सक्सेस नही हो पाओगें जितना की हो सकते थे । और अगर आप सक्सेस हो भी गए तो आप अपने काम को इंजॉय नही कर पाओगें । क्यों कि आपका कार्य आपकी पसंद का नही है ।
हम खाना दुसरो की पसंद का नही खा सकते । कपड़े दुसरो की पसंद के नही पहन सकते । तो हम कॅरियर या शादी जैसी चीज दुसरो की पसन्द की कैसे कर सकते हैं ? ये तो तभी हो सकता है या तो हमारी खुद की कोई च्वाइस ना हो या फिर समझौता करा हो । अगर अपनी पर्सनल कोई च्वाइस नही है तो चलेगा। लेकिन अगर समझौता किया है तो उम्र भर एक कसक दिल में बनी रहेगी । और ये बात उन लोगो के दिल में झांक कर देख लेना जिन्होंने लाइफ में समझौता किया है ।
दोस्तों ! मेरा यही कहना है की आप अपने बच्चो को पूरी फ्रीडम देते हो, अच्छी लाइफ स्टाइल देते हो तो कॅरियर व शादी जैसे निर्णय लेने में भी उन्हें फ्रीडम दो । उनकी खुशियों के दुश्मन मत बनो। वैसे भी न्यू जनरेशन हम से बहुत एडवांस है । अपना भला बुरा हम से बेहतर सोच समझ सकती है ।
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