Wednesday, August 10, 2016

हर इंसान चाहता है दिल अजीज बनना पर क्या ऐसे कर्म करते हो? ऐसी आदते हैं, कि आप दिल अजीज बन सको ?




दोस्तों  इंसान कुछ भी  नही है, जो भी है, वो  हैं उसकी आदते, उसके कर्म । इंसान कर्म और आदतों का आईना है।  जैसे कर्म होंगे वैसा ही इंसान होगा । जब हमारी आदतें हमारे कर्म ही हमारी छवि को बनाते बिगड़ते हैं तो फिर इंसान क्यों नही सोचता की मेरे किस कर्म से या आदत से मेरी कैसी छवि बन रही है ?  

एक इंसान कुछ भी पास नही होते हुए तन मन धन से समाज को बहुत कुछ दे देता है।  और एक इंसान सब कुछ होते हुए भी पशू पक्षी की तरह सिर्फ अपना व अपनों का पेट पालता है । हिंसक पशु पक्षी की तरह दुसरो का हिस्सा छिनता हैं क्यों ?    

अब आप बताइये की हमारे समाज को कैसे इंसानो  की जरूरत है ? ऐसे जो दुनिया को लूटें और  सिर्फ अपना व  अपनों का पेट भरे ?  या अब्दुल कलाम जी , सुभाष चन्द्र बोस , भगतसिह आजाद ,  स्वामी विवेकांनद , लक्ष्मी बाई, मदालसा, मदर टेरिसा जैसे लोग चाहिए ?

अगर  सब अपना  ही पेट भरते रहे,  दुसरो का पेट काट कर  तो क्या होगा हमारे समाज का ? क्या होगा हमारे देश का ? क्या होगा कल हमारे बच्चो का भविष्य ? क्या इसी दिन के लिए हमारे देश को आजाद करने के लिए दी थी क्रांतिकारियों ने कुर्बानी ? फिर तो बेकार गई  ना उन शहीदों की क़ुरबानी  ? क्या फायदा हुआ उनके मरने से ? क्या उनके परिवार नही था ? क्या उनको अच्छा खाना, पहरना , गाड़ियों में घूमना ,बैक बेल्स रखना बुरा लगता था ? क्या वो पागल थे ? जो इतने लड़े मरे । ' नही ' दोस्तों पागल वो नही हैं  । 
 जिन्होंने अपने लालच वस देश का नाश किया है, जो लालच में इतने अन्धे हो गये हैं कि पैसा ही इनका धर्म ईमान बन गया है । पागल तो इन लुड़ेरो को कर दिया है इनके लालच ने, सुख सुविधाओं की चमक ने । जिसके चलते इन्हें भलाई बुराई दिखाई ही नही दे रही । इन्हें किसी की परेशानी किसी लाचारी किसी की गरीबी किसी की भूख मरी दिखाई नही  दे रही। आज मैने ऐसे लोगो को देखा की जो अपने घूमने फिरने पर लाखों खर्च करते हैं हजारो की शॉपिग करते हैं ,लेकिन किसी गरीब औरत को किलो आटा नही दिलवा सकते बहुत दुःख हुआ ये देखकर की इंसान का जमीर कहा सो गया ? क्या लाखों की आय से २५ रुपये किसी जरूरत मन्द की मदद करने से कमी आ जाएगी   ?

क्यों  मनाते  हो स्वतन्त्र दिवस ,गणतन्त्र दिवस ? जब अपने से फालतू सोचना ही नही है  जब सिर्फ अपना ही पेट भरना है । आपके इस ढोंग से क्रांतिकारियों की आत्मा तड़फती होगी । 


1 comment: