Sunday, August 7, 2016

बिना गलती के सजा क्यों ?

                    
दोस्तों  बिना गलती के सजा स्वीकार करने का मतलब है की गलती में हम भी शामिल हैं । 


मोहाना गांव में लड़कियों का स्कुल है, वहा मेरी एक दोस्त पढ़ती थी । लड़कियों का स्कुल है  तो ज्यादा तर अध्यापक महिलाएं  ही हैं । वहा एक जेट्स अध्यापक आया, उस पर कुछ लड़कियों ने नैगेटिव टिपणी की ।

जब ये बात मेडम को पता चली तो उन्होंने सारी क्लास को सजा दी और सजा थी की  पूरी क्लास की लड़की धुप में खड़ी रहेगी ।  सब लड़कियां बाहर जाकर खड़ी हो गई ,लेकिन मेरी दोस्त वहां नही गई । अध्यापक ने बहार खड़ी होने के लिए कहा तो  मेरी दोस्त  इनकार कर दिया ।  जब अध्यापक को ये पता चला तो  उसने उसे डाटा और सजा देने की बात की ।  


मेरी दोस्त बहुत ही  स्वाभिमानी है उसने सजा स्वीकार करने से इंकार कर दिया। बोली जो गलती हमने की ही नही हम उस की सजा क्यों भुगते ? और वो  भी ऐसी सजा जो गलती हम ख्वाबो में  भी नही कर सकते। उसकी सजा तो बिलकुल भी हम नही भुगतेगे । 



इस बात से उस अध्यापक को गुस्सा आया और ये बात  अध्यापकों में हवा की तरह फेल गई । और सारे अध्यापक इखट्टे हुए तो  मेरी सहेली के घर वालो को बुलाया गया । और ये बात उनके सामने रखी गई। तब  मेरी दोस्त ने कहा जब ये बात  हुई थी तो हम २६ जनवरी के महोत्सव की तैयारी के लिए गए हुए थे।

 ये बात हमे वहा से आने के बाद पता चली थी । दूसरी बात जब हमे सजा भुगते हुए दूसरे बच्चे देखेगे तो उनकी निगाह में हमारी क्या इज्जत रहेगी ? इससे तो हमारी छवि बिगड़ेगी और लड़कियां हमे लूज करैक्टर समझेगी ।

 और मुझे अपनी छवि बहुत प्यारी है में किसी और गलती की वजह से अपनी छवि नही बिगाड़ सकती । ये सुनकर घरवाले और बच्चे भी इस बात से सहमत हुए।कुछ और अध्यापको ने भी इस बात का समर्थन किय।आज वो दोस्त एक संस्था चला रही है । और स्वभिमान के साथ बहुत से जरूरत मन्दो की मदद कर  रही है । उसका का ही नारा है " 

  " ना गलत करो और ना गलत सहो, जितना हो सके दुसरो की मदद करो  "







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