Sunday, August 21, 2016

क्यों होते हैं पति पत्नी के बीच में झगड़े ?

              
दोस्तों ! मेरे परिचित पति पत्नी हैं । जो दोनों ही बहुत अच्छे इंसानों में गिने जाते हैं । लेकिन दोनों में ही अक्सर लड़ाई झगड़े  होते  रहते हैं । दोनों का ही पता नही चलता की उनमे किस बात को लेकर कहा सुनी हो जाती है । ये सोचकर हमेशा मेरे मन एक बात आती कि दो अच्छे इंसान  आपस में कैसे लड़ सकते हैं ? आज कई सालो के बाद मेंने उनके बारे में जाना - 


पत्नी आध्यात्मिक प्रवर्ति की है, पति कर्म प्रधान है:-  पति के लिए अपना काम समय पर होना ही सब कुछ है । लेकिन पत्नी हर काम को परमात्मा को साक्षी मानकर करती  है। पत्नी की निगाह में ईश्वर कृपा , बड़ो  के आशिर्वाद  सेवा व  शुभ कार्यो से मिलती है। और पत्नी दुसरो की मदद, शुभ कार्य ज्यादा करती है पत्नी सबसे पहले भगवान की पूजा पाठ भोग आदि करके घर के काम में लगती है । पति की निगाह में सक्सेस कड़ी मेहनत से मिलती है । इसलिए पति पुरे दिन कार्य में व्यस्त रहता है व दिन निकलने से लेकर  देर रात तक अपने आफिस के काम में लगा रहता है।और सबसे पहले  काम को अहमियत देता है । एक दूसरे के काम में ये टांग नही अड़ाते फिर झगडे  का कारण क्या है - 

एक दूसरे को टोकने की वजह से :- पत्नी अपने काम से निर्वित होकर नाश्ता बनाती है  बच्चो को  खिला पिलाकर स्कुल  भेजती है । फिर पति आफिस जाने के लिए तैयार होकर आता है। पति के ब्रेकफास्ट मांगने पर  पत्नी कहती है आप भी कुछ पूजा पाठ कर लो,  इतने में पति भिन्ना जाता  हैं। में तेरे साथ तेरे भगवान को ही मनाने में लग जाऊ और कुछ काम नही है मुझे । पत्नी को लगता है जब तक पति अध्यात्म की राह पर नही चलेगा तब तक अंदरूनी स्ट्रोंग नही बनेगा । और एक स्ट्रॉग इंसान ही कामयाब हो सकता है। पत्नी की राय में सही कर्म करने की प्रेरणा अध्यात्म से मिलती है। सही राह दिखाने वाला भी परमात्मा ही है इसलिए पत्नी पूजा पाठ को अहमियत ज्यादा देती है। और कहती है कि आध्यात्मिक होना जरूरी है । बस इतनी बात ही दोनों के बीच झगड़े का कारण बन जाती है । 


इतनी सालों में भी पति पत्नी समझौता क्यों नही कर लेते ? क्यों कि  दोनों ही जनूनी किस्म के हैं । पति पत्नी एक दूसरे की बात मानने के लिए तैयार नही हैं । एक दूसरे को समझने के लिए तैयार नही हैं । पत्नी कहती है अध्यात्म की राह पर चलो और पति कहता अपने काम पर अपने घर पर ध्यान दो । अब आप बताओं कि क्या सही है ?  


मेरी राय में दोनों ही सही हैं :- पति कहता है कि कर्म से ही सब संभव है, ये बात सच है। बिना कर्म किये आप जिदगी में कुछ भी हासिल नही कर  सकते ।  लेकिन इतना ही सच ये भी है की बिना अध्यात्म के आप किसी भी कार्य में एकाग्र नही हो सकते । सही डिसीजन के लिए इंसान का मन शांत होना अनिवार्य है । और सही डिसीजन से ही आप जिदगी में आगे बढ़ सकते हो और सही डिसीजन के लिए पॉजेटिव सोच जरूरी  है । और पोजेटिव सोच अध्यात्म से बनती है । आध्यात्मिक इंसान बड़ी बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान आसानी से कर लेता है । और नास्तिक इंसान छोटी छोटी बातो पर चिढ़ जाता है जो की सफलता में रोड़ा बनती है । 

अध्यात्म की राह पर चलने वाला इंसान ज्यादा सक्सेस मिलेगा :- आध्यातिमक इंसान की लाइफ में कुछ रूल्स मिलेंगे जैसे -जुबान का पाबन्द होना ,हाथ का सच्चा होना , हर कार्य एक नियम के तहत करना, दुसरो की मदद करना , सब के सुख दुःख में सामिल होना , इंसानियत का परिचय देना, नम्र रहना और हर किसी को अहमियत देना । इसलिए उसकी मार्किट में वेलूय अच्छी रहती है जिसकी वजह से उसका कोई भी कार्य नही रुकता । और वह सक्सेस की सीडी चढ़े जाता है । 



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