
नथु राम आध्यात्मिक प्रवर्ति का था उसके मन में विद्धवान के चार रत्न याद आये । नथु राम ने अपने दोनों बेटो को बुलाया और कहा -में तुम्हें चार बेसकीमती रत्न देना चाहता हूं- जो मुझे तुम्हारे बाबा ने मरते वक्त दिए थे । वो आज तक मेरे पास सुरक्षित हैं, और इन्ही से मैने ये करोड़ो की प्रॉपटी जोड़ी है । लेकिन इन्हें में आपको एक शर्त पर दूँगा जब आप ये साबित कर दोगे की आप इन्हें सँभाल सकते हो । और तभी आप इन रत्नों से अपना जीवन सम्रद्ध और सुखी बना पाओगें ।
बच्चो ने कहा - पिताजी हम आपकी सब शर्त मानने के लिए तैयार हैं बोलो क्या शर्त है - पिताजी ने कहा की में आपको दो दो लाख रूपये देता हूं अगर आप दो साल में पांच लाख कमा लाये तो आप इन रत्नों के भागीदार होंगे । नही तो में अपने पिता के कहें अनुसार इन्हें समाज सेवा में दान कर दूँगा ।
अब बच्चो में पूरी तरह से रत्न पाने की अभिलाषा थी । वो दोनो ही पूरी निष्ठा व मेहनत से काम में लग गए । और दो साल के अंदर ही दोनों पांच पांच लाख से ऊपर कमा लाएं । और बोले पिताजी अब हम उन चार रत्नों के लायक हो चुके हैं अब आप हमे उन्हें दें । नथुराम जी बोले बेटे अब तो आपके पास खुद ही चार रत्न आ चुके हैं । बच्चे बोले पिताजी वो कैसे ? नथुराम बोले सुनो -
पहला रत्न है विश्वास । ये बात जीवन में याद रखना की जो खुद पर विश्वास करते हैं उन्हें दुनियां में सफल होने से कोई नही रोक सकता । इसलिए हमेशा खुद पर और उस परमसत्ता पर विश्वास रखो आप जो भी कर रहे हो या करना चाहते हो उसे कर सकते हो ईश्वर आप के साथ है ।
दूसरा रत्न है । लक्ष्य जीवन में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है की आप लक्ष्य बनाकर चलें । बिना लक्ष्य के आप मंजिल पर नही पहुच सकते । इसलिए पहले अपना लक्ष्य बनाएं । फिर स्टेप वाइज फॉलो करें और धीरे धीरे लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाएं । लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए समय सीमा तय कर के चलना हमेशा आपकी मदद करेगा ।
तीसरा रत्न है। सही प्लांनिग चाणक्य जी ने कहा है कि - " जब आप कोई काम शुरू करो तो खुद से तीन सवाल पूछना - में जो ये कार्य करने जा रहा हुं - क्यों कर रहा हुं , इसका परिणाम क्या हो सकता है ? क्या में सफल होऊंगा ? जब गहराई से सोचने पर इसका जवाब मिल जाये तभी काम शुरू करना"
वैसे भी कोई भी कार्य दो बार होता है एक बार हमारे मष्तिक में और दूसरी बार धरातल में । एक बार भी कोई मिस्टेक रही तो आप फैल हो सकते हो इसलिए पूरी प्लांनिग से ही काम करें । अन्यथा बी च में रुक सकता है । कार्य शुरू करने के बाद पीछे मुड़कर ना देखें ।
चौथा रत्न है। कड़ी मेहनत! कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नही है । जब भगवान भी इंसान को मेहनत से पसीना बहाते देखता है तभी बारिस करता है । इसलिए बनी बनाई राह पर चलने की बजाए खूब मेहनत करे और वहा ना जाये जहा दुनिया जा रही है बल्कि वहां जाइये जहां कोई रास्ता ना हो, वहां अपने निशान छोड़ जाइये ।
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