
हम जिन लोगो के साथ उठते बैठते हैं, उन लोगो का असर हमारे जीवन को गहरे रूप से प्रभावित करता है । अच्छी बातो का असर तो फिर भी पड़ने में कुछ समय लगता है लेकिन दुर्गुणों का असर तो बहुत ही जल्दी पड़ता है । अच्छी आदते तो हमारे जीवन में टिकती भी नही हैं बीच बीच में छूट जाती हैं, फिर पकड़नी पड़ती हैं लेकिन एक गलत आदत से पीछा छुड़ाना मुश्किल होता है ।
इसलिए किसी भी इंसान की संगत करने से पहले उसके बारे में जान लेना अनिवार्य है । लेकिन होता क्या है कि किसी भी इंसान की शुरू में हमे अच्छाई ही पता चलती हैं । बुराई तो बहुत बाद में पता चलती है , जब तक बहुत देर हो चुकी होती है । फिर हमे पीछे हटना मुश्किल होता है । संगत का असर इतना अधिक होता है कि जैसे वो होंगे हमे भी अपना जैसा ही बना लेंगे । संगत का फर्क बताते हैं -
'' पानी की एक बूँद गर्म तवे पर पड़े तो मिट जाती है, कमल के पत्ते पर गिरे तो मोती की तरह चमकने लगती है ,सीप में आये तो खुद ही मोती बन जाती है "
पानी की बूंद तो वही है सिर्फ संगत का फर्क है । गलत दोस्तों के साथ हम उनके चलायें चलते है। और जिस दिन उनकी नही सुनोंगे उसी दिन वो क्रोधित हो जाते हैं और फिर सिर्फ नुकसान ही पहुंचाते है । उन से हम दूर हो भी गए तो गलत आदत उनसे दूर होने नही देती । अच्छी आदत तो छूट जाती है लेकिन गलत आदत को छोड़ना तो बहुत ही मुश्किल है ।
गलत संगत हमे बड़ी से बड़ी मुशीबत में गेर देती है। और जब तक पता चलता तो बात हमारे हाथों से निकल जाती है । दोस्ती का असर तो इतना गहरा होता है कि अगर उनकी कोई बुराई भी करे तो हम नही सुनगे । बाद में पछताना पड़ता है । दोस्ती करो लेकिन सावधान होकर कही आपकी दोस्ती आपकी बर्बादी ना बन जाएं । और वैसे भी दोस्त होते कहा हैं ? कहा वफ़ा करते हैं ? कहते हैं कि -
" जिदगी में अपनेपन का पौधा लगाने से पहले जमीन परख लेना , हर एक मिटटी की फितरत में वफ़ा नही होती ''
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