
महिलाओं की समाज में क्या वेलु है ? पति सारे धन पर अपना अधिकार जमाता है कमाई हजारो में हो या लाखों में, क्या पत्नी को अधिकार है, वो अपनी मर्जी से किसी को कुछ दे सकें, कोई फैसला खुद ले सकें ? हर बात में जेंट्स लोगो की रोक टोक क्यों ? क्यों हैं ये दोहरे माप दण्ड ? जेंट्स गलती करे तो भी घर में शेर बना रहें और महिलाएं बिना गलती के भी सफाई दे ?
महिला हॉउस वाइफ हो या वर्किग सिर्फ मशीन की तरह काम करती है , घर संभलो, बच्चे संभालो, कोई मेहमान आ जाये तो उसका करो, क्या पुरुष का कोई फर्ज नही है ? ग्रहणी तो करती ही है वर्किग भी हो तो भी घर की सारे काम की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की होती है । जेंट्स की क्यों नही ? जेंट्स बैठे बात करेंगे और महिलाएं आते ही सारा काम देखेगी ऐसा क्यों ? क्या शादी कर के जेंट्स बीबी को खरीद लेता हैं ?
बेटे को पैदा करती है माँ और फिर उसी माँ की क्या वेलु रहती है ? 9 महीने पेट में रखो फिर अपना खून पिलाकर पालो फिर पढ़ाई लिखाई करवा ओ उसके बाद जब खुद दो रोटी कमाने लायक हो जाये तो वही बच्चा माँ को शिक्षा देता है माँ को बताता है ये सही है ये गलत है । क्या उस माँ को सच मे नही पता क्या गलत और क्या सही है ? बेटे को 20 ,25 , साल में पता है क्या सही है क्या गलत है माँ को 40 ,45 साल की उम्र में भी नही पता ?घिन्न होती है मुझे ऐसी सोच वाले इंसानो से । दुनियां कितनी भी तरक्की कर ले, पर महिलाओं की स्थिति कभी नही बदलने वाली । चाहे कोई माने या ना माने पर हकीकत यही है की महिलाएं सिर्फ पुरषो के आधीन थी, हैं, और रहेंगी । कभी पुरषो की बराबरी का हक नही मिल सकता । सिर्फ कहने की बातें हैं आज की महिला सशक्त है। सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारियां बढ़ी है पहले सिर्फ घर की जिम्मेदारी होती थी अब ऑफिस की भी साथ में । सही लिखा है -
" नारी तेरी यही कहानी आँचल में दूध आखों में पानी"
में महिलाओं से ही पूछती हूं क्या आप खुश है इस लाइफ से ? क्या यही चाहती हो आप अपने लिए ? क्या यही चलता रहेगा महिलाओं के साथ में ? ये जेंट्स नही बदलेगे महिलाओं को ही बदलना होगा । जेट्स लोगो ने तो दुवापर में भी सीता पर शंक किया था, अग्नि परीक्षा ली थी । राम पर शंक नही किया गया था राम की परीक्षा नही ली गई थी । पुरुष समाज की इस सोच के ऑपोजिट खड़ा होना ही होगा । ये कौन होते हैं हमारे अस्तित्व पर ऊगली उठाने वाले या रोक टोक करने वाले । खुद जेंट्स लोगो की वजह से ही महिलाओं को टेंसन होती है । बीबी सीता हो तो भी ऊगली उठाते हैं और खुद रावण बनें फिरते हैं, जिंदगी का एक पहलु ।
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