Wednesday, August 10, 2016

जिंदगी में सागर की तरह लहरें उठती गिरती रहती हैं !

                                           

   

एक वक्त सभी के जीवन मे ऐसा आता है जब बुरा हादसा, बीमारी नाकामी,रिस्तो में कड़वाहट और पैसे से तंगी भरा रहता है। समझदार व्यक्ति जानता है की इस दलदल से मुझे बाहर कैसे निकलना हैं और नासमझ व्यक्ति बिखर कर  रह जाता है।   

कभी ना कभी सभी अपने जीवन में चुनौतीपूर्ण परिस्थतियों का सामना तो करते ही हैं। बीमारी, कंगाली,रिस्तो में अनबन लेकिन  इसके बाद भी एक कामयाब व खुशहाल जिंदगी जीना इस बात पर निर्भर करती है कि हम इन परिस्थितियों का सामना कैसे करते हैं ? भगवान ने किसी को भी परेशानियों से मुक्त नहीं किया चाहे सीता हो या द्रौपदी सभी के जीवन में समस्याएं आई हैं । भगवान  भी जब स्वयं  राम व कृष्ण बन कर  आएं तो समस्याएं आई हैं । सभी के जीवन मे समस्याएं असफल व दुष्कर बनने का भय दिखाती हैं । मोनिका लाहिड़ी  कहती है कि - 

"किसी भी स्थति को उसके वास्तविक रूप में देखने के स्थान पर हम उसे जैसे देखते हैं वही हमारी खिनन्ता, कुंठा, निराशा का मुख्य कारण होता है । ग्लानि और आत्म दोष, समाधान प्राप्त करने के स्थान पर हमे उस कष्टप्रदय स्थति में जकड़ कर  रख देते हैं । और इस तरह  हमारी जिंदगी में परेशानियों का कद लंबा होता चला जाता है "  

इनसे पार पाने का एक ही उपाय है कि  अपने विश्वास को ना डगमगाने दें। रुक कर  ना खड़े हो। रुक कर  विलाप करने वाले कभी कोई लक्ष्य हासिल नही कर पाते । समस्याओं का रोना तो वही लोग रो सकते हैं जिनके  जिसके पास  बैठने के लिए  खाली समय है।  जिन लोगो के पास में लक्ष्य होता है उन्हें तो लक्ष्य  के सिवाय कुछ  और दिखाई ही नहीं देना चाहिये । कहते है कि - 

 " अपने लक्ष्य को न बताये  कि आपके पास समस्या है , अपनी समस्या को कहे की आपके पास लक्ष्य है "

कर्म का चक्र घूमने के साथ ही हमारे जीवन की घटनाएं घूमती रहती है। एक समय ऐसा आता है की जब चारो तरफ अंधेरा दिखाई देता है और कोई उम्मीद की किरण नही दिखाई देती । इसी समय हमे अंधकार को स्वीकार करना पड़ता है। और खुद को सम्भाल कर आगे बढ़ना चाहिए। हमेशा ये सोचना चाहिए की जिंदगी में जो कुछ भी हो रहा है आपकी भलाई के लिए ही होगा । 


सुख दुःख, लाभ हानि, सफलता असफलता, जीवन में  स्थाई नही है । ये बात हम सभी अच्छी तरह जानते हैं । पर फिर भी कई  बार हमारे आस पास  नैगेटिव विचारों की लह चढ़ जाती है और हम ना चाहते हुए भी उसमे फंस कर  रह जाते हैं । और पॉजेटिव की तरफ हमारा ध्यान ही नही जाता । हम सब जानते है कि दिन में  साठ हजार विचार हमारे दिमाग में आते हैं जिन पर हमारा कंट्रोल नही होता हाँ उन्हें हम मोड़ जरूर सकते हैं ।   


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