
अमरजीत की माँ पचपन में ही मर गई थी । उसके फादर ने दूसरी शादी कर ली, दूसरी पत्नी से उनकी बन नही पाई, तो वो बहुत नशा करने लगे । इसके चलते बचपन में ही घर की सारी जिम्मेदारी अमरजीत पर आ गई । अमरजीत के सात भाई बहन थे, सबसे बड़ा अमरजीत था । १० वी क्लास से अमरजीत खेतो में हल चलाता पशु संभालता घर खेत व घेर का काम करता । और साथ साथ पढ़ाई भी करता ।
अमरजीत को पढ़ने की ललक थी तो किसी तरह उसने बी.ए कर ली । बी.ए करते ही उसके पास कोई अच्छी नोकरी ढुडने का तो समय ही नही था। उसे ९०० रूपये की सैलरी की नोकरी मिली वो ही नोकरी उसने गजयाबाद में कर ली । छोटा एक भाई था जो बढा लिखा नही था, उसे साथ ले आया की उसे कुछ काम सीखा दिया जाए, जिससे कल उसकी जिदगी सम्भल जाएं ।
दो साल बाद ही उसे ट्रांसपोर्ट में नोकरी मिली जिसमे १३०० रूपये सैलरी थी उसने वो पकड़ ली। कुछ सकून मिला ही था की , कुछ साल बाद ही वो कम्पनी बन्द हो गई ।
एक सज्जन इंसान था उसने उसे समझाया की बेटे इतनी सारी जिम्मेदारी, एक नोकरी में कैसे पूरी कर पायेगा ? उसने उसकी इतनी मदद की कि एक गाड़ी अपने पैसो से लेकर उसकी चलवा दी । और धीरे धीरे कमेटी डाल कर अपने पैसे निकाल लिए ।
इससे उसका काम चल निकला। फिर वह नोकरी से घर का खर्चा निकलता और गाड़ी से आगे और गाड़ी ले लेता। जीवन में कई उत्तर चढ़ाव आये । फिर भी जैसे तैसे कर के उसके पास भी कई गाड़ी हो गई। लेकिन वो गाड़ी किसी और के थुरू चल रही थी । जिसके थुरू चल रही थी वो बहुत ही लालची किसम का इंसान है ।
वो कई % बिल्टी के लेता और फिर भी समय पर ना पैसे देता और ना ही अपना पैसे लेने में थोड़ी भी देर लगाता । और ना ही अमरजीत को आगे बढ़ने का मौका देता । अमरजीत की प्रॉब्लम ये थी कि अपनी गाड़ी लेकर कहा जाएं ? किस पर भरोसा करे ? क्या पता दूसरे के साथ निभ पायेगी या नही। और उस कम्पनी मालिक के ये था की जितना जोड़ना है जोड़ ले ।
वो कई % बिल्टी के लेता और फिर भी समय पर ना पैसे देता और ना ही अपना पैसे लेने में थोड़ी भी देर लगाता । और ना ही अमरजीत को आगे बढ़ने का मौका देता । अमरजीत की प्रॉब्लम ये थी कि अपनी गाड़ी लेकर कहा जाएं ? किस पर भरोसा करे ? क्या पता दूसरे के साथ निभ पायेगी या नही। और उस कम्पनी मालिक के ये था की जितना जोड़ना है जोड़ ले ।
अब ये था की मालिक का लालच और अमरजीत की दुविधा बढ़ती ही जा रही थी। अब अमरजीत करे तो क्या करे ? एक तरफ मालिक का लालच और दूसरी तरफ उसकी दुविधा खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी। अमरजीत के दो बच्चे हैं और दोनों ही ऐसी कगार पर हैं जिनके कामयाब होने में अभी तीन चार साल लगेंगे । ये सोच कर अमरजीत कोई डिसीजन नही ले पा रहा उसे लगता है कि इससे गाड़ी हटाने में नुक्सन भी हो सकता दोनों बच्चो का भविष्य अभी बीच में अटका है । अगर नुकसान हुआ तो बच्चो का भविष्य बिगड़ जायेगा । और सहन करू तो ये मुझे आगे नही बढ़ने देगा, करू तो क्या करू ?
दोस्तों ये कहानी मैने सिर्फ इसलिए सुनाई है- कि " हमारा छोटा सा लालच किसी दूसरे के लिए कितनी बड़ी परेशानी खड़ी कर देता है " इस बात पर इंसान अपने लालच के चलते ध्यान ही नही देता । अगर वो ध्यान दे ले तो अमरजीत की लाइफ की सारी टेंशन ही खत्म हो जाएं । पहले तो अमरजीत मालिक के काम पर ध्यान क्यों नही देगा ? उसे भी तो अपना काम चलाना है ।
दूसरे अगर पूरा ध्यान नही देगा तो इससे मालिक का तो कोई नुकसान ही नही है वो दूसरा कोई काम पर रख सकता है । और वो इतना तो अमरजीत की गाड़ियों से ही कमा सकता है । जितनी उसकी सैलरी देगा । ये उस मालिक की सिर्फ गलत व लालच भरी सोच है । इसलिए वो सही गलत को सोच ही नही पा रहा है । अब आप ही बताओ की अमरजीत क्या करे ?
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