
हम अपनी सुख सुविधा के लिए भगवान को चढ़ावा चढ़ाते हैं :- एक बात बताओ दोस्तों क्या जो पूरी श्रष्टि को चलाने वाला है उसको को हम खिला सकते है ? क्या वो हमारे भोग का भूख बैठा है ? नही दोस्तों भगवान ने इंसान को अपना रूप बना कर भेजा है। दरिद्र के रूप में उनकी सेवा करलो भगवान प्रसन्न हो जाएंगे । स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था -
" दरिद्रो की सेवा करो दीनानाथ प्रसन्न होंगे "
गरीबो की सेवा से भगवान अधिक प्रसन्न होते हैं । आपको एक शिव पुराण की कथा सुनाती हुं-
पार्वती जी ने देखा कि हजारो लोग कांवड़ लिए जा रहे हैं। सब के पैरो में छाले है और सभी थके हुए हैं फिर भी "जय भोले की" जय भोले की" बोले जा रहे है ।
पार्वती जी ने भोले जी से कहा कि "आपके भगत कितने श्रद्धालु हैं , कितनी श्रद्धा से आपकी कावड़ ला रहे हैं इनकी मनोकामना तो आपको शीघ्र अति शीघ्र पूरी करनी चाहिए" भोले बोले पार्वती जी बोले आप देखना चाहती हो ? कि कितने सच्चे श्रद्धावान हैं चलो इनकी परीक्षा खुद ही ले लो ।
शिव जी महाराज ने एक वृद्ध कोढ़ी का रूप धारण किया। और पार्वती जी एक सुंदर लड़की का वेश धारण कर दोनों ही पृथ्वी लोक पर आ गए ।
पार्वती जी भोले को पैर पर लिटा कर बैठ गई। और आते जाते भगतों से कहने लगी की कोई सच्चा भगत अपनी भगति का फल देकर जो शिव जी पर चढ़ाने के लिए जल लाये हैं मेरे पति को पिलाये तो मेरे पति का कोढ़ ठीक हो जाये ।
हजारो लोग तो अन सुना कर चले गए और कुछ दिल मचलो ने रुकर पार्वती जी का उपहास किया कि क्यों इस बूढ़े रोगी के साथ अपनी जिदगी तबाह कर रही है। हमारे साथ चल रानी बना कर रखेंगे ।
शुबह से शाम हो गई किसी ने उनकी पुकार नही सुनी। जब दिन छिपने वाला था एक बहुत ही निर्धन बुजर्ग आया - "बोला हे भोले नाथ अगर मेंने तन मन वचन से एक सेकेंड के लिए भी आपका नाम सच्चे मन से लिया हो तो इस लड़की का पति ठीक हो जाये ।
ये कह कर उसने अपना वो जल पिला दिया जो भोले पर चढ़ाने के लिए लाया था । और प्रार्थना कि की हे भोले नाथ इस मानव रूप में मेरा जल स्वीकार करें। और ये कह कर जल कोढ़ी बुजर्ग को पिला दिया ।
जल पीते ही, भोले नाथ जी, हर हर कहते ठीक होकर खड़े हो गए । और उस बुजर्ग की मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देकर कैलास पर्वत पर लोट आये ।
दोस्तों इस कथा को सुनाने का क्या मतलब है ? मेरा मकसद यही है की भगती के मर्म को जानो शिव जी पर दूध चढ़ाने से या प्रसाद चढ़ाने कुछ नही होगा । हाँ किसी गरीब का पेट भरने से जरूर तुम्हे दुवा मिलेगी और वो दुवा वो काम करेगी जो कभी दवा भी नही कर पाती ।
इसलिए बच्चों के लिए धन कमा कर इकठा करने ज्यादा उनके लिए दुवा इकठी करो । हो सकता है जो काम आपका धन ना कर पाए वो दुवा कर दें ।
दोस्तों ये सिर्फ कहने की बातें नही हैं । ये मेरा अनुभव है मैने हमेशा धन से ज्यादा रिस्तो को अहमियत दी दुवाओं को अहमियत दी । आज मेरे पास उन दुवाओं और रिस्तो की बदौलत सब कुछ मेरी वेल्यू से कही अधिक है, मेरी बातों पर विश्वास नही है तो दुवा लेकर देखों । कहावत में भी है "जो सबका भला करता है उसका भला परमात्मा करता है " कर भला तो हो भला " ।
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