
क्रोध पर काबू रखें :- सारी दुर्घटनाओं की वजह सिर्फ क्रोध है । क्रोध हम पर इतना हावी हो जाता है कि हम हीत व अनहित सब कुछ भूल जाते हैं । दुर्घटनाएं कुंठा का संकेत है । जो हमारे नही बोलने की वजह से है । जैसे सुख दुःख का आना जाना हमारे जीवन में लगा रहता है, उसी तरह से जीवन में घटनाएं भी घटती रहती हैं ।
जान पूछ्कर किसी के साथ बुरा नही करना चाहिए :- एक बुराई से समाज व परिवार की जड़ तक हल जाती हैं । जिस तरह पौधों को समय पर पानी ना मिलने से पौधो का विकास रुक जाता है । उसी तरह अनुकूल जीवन प्रवाह न होने पर दर्द का अहसास होने लगता है। जिससे मन और भी विचिलत होने लग जाता है। और विचलित मन से ही इंसान गलती करता है ।
जीवन में अच्छा करें व अच्छा पाएं :- कई बार आप लोगो ने हर किसी के साथ भलाई करी होगी, लेकिन बदले में आपको बुराई मिली होगी । और कई लोग आपने ऐसे भी देखे होंगे की बहुत बुरा करते हैं, और उनके साथ सब कुछ अच्छा होता है । इससे हमारे मन में ये विचार आता है कि कोई गारंटी नही है की अच्छा करने से हमारे साथ में कुछ अच्छा होगा । या बुरा करने से बुरा होगा । ये हमारा सोचने का नैगेटिव तरीका है । सुख दुःख तो हमारे जीवन में रात दिन की तरह है जो आते जाते रहते हैं ।
" हमारा जीवन u आकार की तरह है जिसमे कुछ अच्छाई और कुछ बुराई भरी हुई हैं । अगर हम एक तरफ से उसमे अच्छाई भरते रहेगें तो दूसरी तरफ से सारी बुराई बाहर निकल जाएगी और फिर अच्छाई ही बाहर निकल कर आएंगी । लेकिन हम कभी अच्छाई और कभी बुराई भरते रहते हैं इसलिए कभी अच्छाई और कभी बुराई निकल कर बाहर आती है जो हमे दुःख या सुख के रूप में मिलती है "
- संजय सिन्हा
या आप इस जीवन को यु टयूब की तरह मान सकते हैं । जिसमे आधा पूण्य या आधा पाप भर हुआ है । जब आप इसमें एक तरफ पूण्य भरे जाएंगे तो टयूब की दूसरी तरफ से सारे पाप बाहर निकल जायेगे जाएंगे । और जब आप इसमें दूसरी तरफ से पाप भरे जाओगे तो सारे पुण्य बाहर निकल जाएंगे । और पाप ही रह जायेगा या आप दोनों भरते रहोगे तो आप को दोनों का ही फल मिलेगा । पूण्य का सुख और पाप का दुःख या आप ये कह सकते हो जैसा करोगे वैसा भरोगे । हाँ थोड़ा समय जरूर लग सकता है ।
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